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    हेल्थ और एनर्जी सेस के नाम से वसूला जा सकता है टैक्स, इस मसले पर जीओएम सौंप सकता है अपनी रिपोर्ट

    Updated: Sun, 22 Jun 2025 06:05 PM (IST)

    जीएसटी से जुड़े क्षतिपूर्ति सेस को सरकार किसी न किसी रूप में जारी रखना चाहती है। अब क्षतिपूर्ति सेस की जगह हेल्थ एवं क्लीन एनर्जी सेस लगाने की चर्चा च ...और पढ़ें

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    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी से जुड़े क्षतिपूर्ति सेस को सरकार किसी न किसी रूप में जारी रखना चाहती है। अब क्षतिपूर्ति सेस की जगह हेल्थ एवं क्लीन एनर्जी सेस लगाने की चर्चा चल रही है। जल्द ही इस मसले पर मंत्रियों का समूह अपनी रिपोर्ट जीएसटी काउंसिल को सौंप सकता है। क्षतिपूर्ति सेस की अवधि अगले साल मार्च में समाप्त हो रही है। इसे किस रूप में जारी रखना है, इस पर विचार करने के लिए पिछले साल सितंबर में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन किया गया था। जून महीने के आखिर तक जीओएम की तरफ से रिपोर्ट सौंपे जाने की उम्मीद की जा रही है।

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    सूत्रों का कहना है कि सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में राज्य इस फैसले के लिए राजी होते हैं या नहीं। राज्य तभी किसी सेस को लगाने के लिए अपनी सहमति देंगे जब उन्हें भी इसमें हिस्सेदारी मिलेगी। अभी तंबाकू, सिगरेट, आटोमोबाइल जैसे उत्पादों पर जीएसटी के अलावा क्षतिपूर्ति सेस वसूला जाता है और इसकी अलग-अलग दरें हैं। माना जा रहा है कि सिगरेट, तंबाकू और इसी प्रकार की विलासिता संबंधी वस्तु पर हेल्थ सेस लगाया जा सकता है जबकि आटोमोबाइल उत्पादों पर क्लीन सेस लगाया जा सकता है।


    जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिया जाएगा फैसला

    सूत्रों के मुताबिक जुलाई में जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक होने की संभावना है, जिसमें क्षतिपूर्ति सेस के भविष्य को लेकर चर्चा की जा सकती है। सूत्रों का कहना है क्षतिपूर्ति सेस की जगह हेल्थ और क्लीन एनर्जी सेस लगाने पर जीओएम ने अभी अंतिम फैसला नहीं लिया है, लेकिन राज्यों को अगर इस सेस से अपने राजस्व में बढ़ोतरी दिखेगी तो वे इसके लिए राजी हो सकते हैं।

    जीएसटी लागू करने के दौरान क्षतिपूर्ति व्यवस्था अपनाई गई वर्ष 2017 के जुलाई माह में जीएसटी प्रणाली लागू करने के दौरान क्षतिपूर्ति सेस की व्यवस्था अपनाई गई थी। जीएसटी प्रणाली से पहले राज्य वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) के रूप में बिक्री पर टैक्स वसूली करते थे। जीएसटी लागू होने पर शुरू में उन्हें राजस्व में घाटे की आशंका थी, जिसकी पूर्ति के लिए पांच साल के लिए क्षतिपूर्ति सेस लाया गया। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी के आने के बाद जीएसटी और सेस वसूली प्रभावित हो गई और केंद्र ने बैंकों से कर्ज लेकर उस दौरान राज्यों की क्षतिपूर्ति की। इसलिए सेस वसूली की अवधि बढ़ा दी गई जो वर्ष 2026 मार्च में समाप्त हो रही है।

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