चेक बाउंस होने पर कौन सा बैंक वसूलता है कितना जुर्माना, जानिए यहां
चेक बाउंस होने पर जुर्माने के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चेक बाउंस होने पर जुर्माने के साथ-साथ सजा का भी प्रावधान है। इसलिए अगर आप चेक से भुगतान करते हैं तो खास सावधानी बरतनी चाहिए। हमेशा उतनी ही रकम का चेक काटें, जितना आपके खाते में बैलेंस हो। अगर आप बैलेंस से ज्यादा रकम का चेक काटते हैं तो चेक बाउंस हो जाएगा। अगर ऐसा होता है तो बैंक इसके लिए जुर्माना वसूल करते हैं। आइये जानते हैं कि कौन सा बैंक चेक बाउंस होने पर कितना जुर्माना वसूल करता है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई)
अपर्याप्त राशि की वजह से चेक बाउंस होने पर एसबीआई 500 रुपये प्लस जीएसटी वसूल करता है। अगर किसी तकनीकी खामी की वजह से चेक रिटर्न हुआ तो बैंक 150 रुपये प्लस जीएसटी का चार्ज लेता है। अगर इस पूरी प्रक्रिया में ग्राहक की गलती नहीं है तो बैंक कोई चार्ज वसूल नहीं करेगा।
बैंक ऑफ बड़ौदा
इस बैंक में चेक बाउंस होने पर अलग-अलग जुर्माना है। बैंक ऑफ बड़ौदा में एक लाख रुपये तक का चेक फाइनेंशियल कारणों से रिटर्न होने पर 250 रुपये एक लाख से एक करोड़ तक के चेक के लिए 750 रुपये चार्ज है। वहीं नॉन फाइनेंशियल कारणों से चेक रिटर्न पर 250 रुपये चार्ज है।
ICICI बैंक
ICICI बैंक में ये चार्ज अलग-अलग हैं। ICICI से दूसरे बैंक और आउटस्टेशन रिटर्निंग के आधार पर चार्ज लगता है। लोकल एरिया के हिसाब से ICICI ब्रांच के अंदर चेक भेजने पर महीने में 1 चेक रिटर्न होने पर चार्ज 350 रुपये, महीने में 1 से ज्यादा चेक कम बैलेंस के चलते रिटर्न होने पर चार्ज 750 रुपये प्रति चेक है। सिग्नेचर वेरिफिकेशन को छोड़ अन्य नॉन-फाइनेंशियल कारणों से चेक रिटर्न होने पर चार्ज 50 रुपये है। अन्य बैंकों को चेक भेजे जाने की सूरत में बैलेंस कम होने पर चेक रिटर्न होने पर चार्ज 100 रुपये प्रति चेक और आउटस्टेशन के मामले में यह चार्ज 150 रुपये प्लस अन्य बैंक का चार्ज है।
HDFC बैंक
HDFC बैंक में कम बैलेंस की वजह से चेक बाउंस होने पर 500 रुपये का जुर्माना है। फंड ट्रांसफर के चलते चेक रिटर्न होने पर चार्ज 350 रुपये और तकनीकी कारणों से रिटर्न होने पर 50 रुपये है।
एक्सिस और कोटेक महिंद्रा बैंक
इन दोनों बैंकों में अपर्याप्त बैलेंस के चलते चेक रिटर्न होने पर 500 रुपये जुर्माना है।
बता दें कि चेक बाउंस होना कानूनी अपराध भी है। भारत में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 में हुए संशोधन के बाद सेक्शन 138 के तहत चेक बाउंस होने पर 2 साल तक की जेल या चेक में भरी राशि का दोगुना तक जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है। इसके तहत अगर अपर्याप्त बैलेंस के चलते चेक बाउंस होता है तो मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। हालांकि, नॉन-फाइनेंशियल कारणों के चलते मुकदमा नहीं होता।