Vostro Account: रुपये में व्यापार करने को उत्सुक हैं कई देश, 50 के करीब पहुंची वोस्ट्रो खातों की संख्या
केंद्र सरकार की Rupee trade policy को विदेशों से अच्छा समर्थन मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। अब तक कुल आठ देशों के बैंक अलग-अलग भारतीय बैंकों में स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट खुलवा चुके हैं। (जागरण फाइल फोटो)

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। डॉलर को छोड़ भारत के साथ रुपये में व्यापार करने की इच्छा रखने वाले देश काफी उत्सुक दिखाई दे रहे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि सरकार की ओर से दूसरे देशों के बैंकों के लिए भारत में स्पेशल रुपया वोस्ट्रो अकाउंट शुरू करने की सुविधा दिए जाने के छह महीन के भीतर ही ऐसे खातों की संख्या 50 के आसपास पहुंच गई है।
समाचार एजेंसी पीटीआई को सूत्रों ने बताया कि 49 अकाउंट्स अब तक खोले जा चुके हैं, जबकि कुछ के लिए नियामकों की मंजूरी आना बाकी है।
इन देशों के साथ होगा रुपये में व्यापार
बता दें, इन खातों को उद्देश्य रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा देना है। भारत में खोले गए 49 वोस्ट्रो अकाउंट्स में रूस, मॉरीशस, श्रीलंका, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, इजराइल और जर्मनी के बैंक शामिल हैं, जो कि रुपये में इन देशों के साथ व्यापार करने की सुविधा प्रदान करेंगे।
रुपये में विदेशी व्यापार को बढ़ावा दे रही सरकार
यूक्रेन युद्ध के बाद बाद पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंद्ध लगा दिए थे, जिसके बाद भारत ने रुपये में विदेशी व्यापार को प्रमोट करना शुरू कर दिया। जुलाई 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे लेकर गाइडलाइन्स भी जारी थीं।
कौन-से विदेशी बैंकों ने खोला खाता?
पिछला साल जुलाई में आरबीआई द्वारा गाइडलाइन्स जारी होने का बाद रूस के सबसे बड़े और दूसरे सबसे बड़े बैंक Sberbank और VTB बैंक ने वोस्ट्रो अकाउंट खोला था। एक अन्य रूसी बैंक गजप्रॉमबैंक ने भी यूको बैंक में खाता खोला है। एसबीआई मॉरीशस लिमिटेड और पीपुल्स बैंक ऑफ श्रीलंका जैसे अन्य ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के साथ वोस्ट्रो अकाउंट खोला है।
इसके अलावा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने रोस बैंक रूस का एक वोस्ट्रो अकाउंट रुपया खाता खोला है, जबकि चेन्नई स्थित इंडियन बैंक ने कोलंबो स्थित एनडीबी बैंक और सीलन बैंक सहित तीन श्रीलंकाई बैंकों के ऐसे खाते खोले हैं।
रुपये में विदेशी व्यापार से होगा फायदा
रुपये में विदेशी व्यापार होने से भारत की डॉलर जैसी विदेशी मुद्राओं पर निर्भरता कम होगी। इसके साथ अचानक आए वैश्विक उथल पुथल का असर भी देश की अर्थव्यवस्था पर कम होगा। इसके साथ ही भारतीय बैंकों को बड़े अंतरराष्ट्रीय बाजारों में व्यापार करने का मौका मिलेगा।
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