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Germany In Recession: मंदी की चपेट में जर्मनी की अर्थव्यवस्था, गंभीर परिणाम की चिंता से सहमे बाजार

Germany in Recession दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी पर वाले देश पर अब ग्रहण लग गया है। यूरोप के कई देश पहले ही मंदी की मार झेल रहे हैं। जर्मनी पर मंदी का साया गहराने लगा है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiPublished: Fri, 26 May 2023 02:27 PM (IST)Updated: Fri, 26 May 2023 02:56 PM (IST)
Germany In Recession: मंदी की चपेट में जर्मनी की अर्थव्यवस्था, गंभीर परिणाम की चिंता से सहमे बाजार
world largest economy enters recession: Germany Economic Crises

नई दिल्ला, बिजनेस डेस्क। Germany in Recession: दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मंदी की शुरुआत हो गई है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी के मंदी में होने की पुष्टि हो गई है। जिसके बाद दुनिया के बाजारों पर इसका असर देखने को मिला है।

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गुरुवार को यूरो तेजी से गिर गया था। वहीं डॉलर दो महीने के मुकाबले तेजी के साथ बढ़ रहा है। इसी वजह से दुनिया में बाकी करेंसी की तुलना में डॉलर मजबूत है।

इसको लेकर रेटिंग एजेंसी फिच ने सवाल उठाया है। इस एजेंसी ने संयुक्त राज्य अमेरिका को "AAA" डेट रेटिंग के नकारात्मक श्रेणी पर रखा है। यह एक संभावित डाउनग्रेड के पहले की स्थिति है, जो अमेरिका में लोन की सीमा बढ़ाने के लिए सरकार और विपक्ष में असहमत होने की वजह से हुआ है।

डॉलर क्यों हो रहा मजबूत?

अमेरिकी डॉलर को सेफ हेवन की मांग की वजह से फायदा मिला है। अमेरिका में डेडलाइन से पहले सरकार और विपक्ष में डेट सीलिंग को लेकर सहमति होना जरूरी है। इसको लेकर अमेरिका के ट्रेजरी सचिव ने सरकार से कहा है कि उसके पास बिलों के भुगतान के लिए अभी पर्याप्त पैसा नहीं है। वहीं यूरोप के आर्थिक हालात के कारण यूरो कई महीनों से निचले स्तर पर जा रहा है। जितनी यूरो में गिरावट आ रही है, उतना ही डॉलर मजबूत हो रहा है।

यूरोपीय देशों में हो रही कमजोरी का ताजा संकेत जर्मनी से आया है। यूरोप की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट हुई है। यूरोप में 2022 की चौथी तिमाही में नेगेटिव ग्रोथ के बाद से मंदी की स्थिति आ गई है।

अमेरिकी डॉलर का हाल

अमेरिकी डॉलर सूचकांक धीरे-धीरे यूरो के मुकाबले मजबूत हो रहा है। यह अब 0.3 फीसदी बढ़कर 104.16 पर पहुंच गया है। ये 17 मार्च के बाद सबसे ज्यादा है। यूरो करेंसी में लगभग 0.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। ये दो महीने के निचले स्तर के बाद 1.0715 डॉलर पर आ गई है। 3 अप्रैल के बाद से 1.2332 डॉलर पर अपने सबसे कमजोर स्तर पर पहुंचने के बाद स्टर्लिंग भी 0.1 फीसदी कम हो गया है।

येन के मुकाबले, डॉलर 30 नवंबर से 139.705 पर अपने सबसे मजबूत स्तर पर पहुंच गया है। पिछली बार 0.1 फीसदी से नीचे डॉलर 139.345 पर था। अमेरिकी मुद्रा को इस साल फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) की दर में कटौती के लिए समर्थन मिला है। अमेरिकी मुद्रा बाजार के ट्रेडर्स ने इस साल फेड रेट में कटौती की है।

अन्य देशों की करेंसी का हाल

दुनिया के कई करेंसी में गिरावट देखने को मिली है। चीनी युआन भी पिछले छह महीने से निचले स्तर पर है। अब युआन की कीमत 7.0903 प्रति डॉलर पर आ गई। ऑस्ट्रेलिया के डॉलर में भी गिरावट देखने को मिली है। अब यह $0.6523 पर फिसल गया है। न्यूजीलैंड डॉलर बुधवार को केंद्रीय बैंक के शॉक डोविश झुकाव से जूझ रहा था। इसमें 2.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। नवंबर के बाद से यह 0.4 फीसदी फिसल कर 0.6077 डॉलर आ गया है।

 


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