पर्सनल लोन vs ओवरड्राफ्ट: कौन है बेहतर, जानिए पांच बड़ी बातें
बैंक एक बार जब किसी व्यक्ति को ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करते हैं तो यह राशि आपको आसानी से उपलब्ध हो जाती है और आप आसानी से राशि निकाल सकते हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। पर्सनल लोन और ओवरड्राफ्ट दोनों क्रेडिट सुविधा विभिन्न नियमों और शर्तों के साथ बैंकों और वित्तीय सेवा कंपनियों की ओर से पेश किया जाता है। पर्सनल लोन और ओवरड्राफ्ट के फायदे और नुकसान संबंधित आवश्यकताओं और उधारकर्ताओं पर निर्भर करते हैं। आमतौर पर लोग पर्सनल लोन और ओवरड्राफ्ट और क्रेडिट कार्ड सुविधाओं से अधिक जागरूक होते हैं क्योंकि ओवरड्राफ्ट की सेवा का उपयोग बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट्स और एचएनआई ग्राहकों द्वारा किया जाता है। ओवरड्राफ्ट और पर्सनल लोन दोनों ही ब्याज की उच्च दर पर ग्राहक से ग्राहक और अलग-अलग ऑफिस पर लग अलग होते हैं। हम इस खबर में दोनों के बारे में पांच बड़ी बातें बता रहे हैं।
पर्सनल और ओवरड्राफ्ट से जुड़ी पांच बातें
उपलब्धता: बैंक एक बार जब किसी व्यक्ति को ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करते हैं तो यह राशि आपको आसानी से उपलब्ध हो जाती है और आप आसानी से राशि निकाल सकते हैं जबकि पर्सनल लोन लेने के लिए बहुत सारी कागजी कार्रवाई और प्रारंभिक सत्यापन की आवश्यकता होती है। एक पर्सनल लोन लेने के लिए आपको फिर से उसी प्रक्रिया से गुजरना होगा। ओवरड्राफ्ट सुविधा उपलब्ध कराना एक बार की प्रक्रिया है जिसे आवश्यकताओं के अनुसार बदला जा सकता है।
क्रेडिट लिमिट: ओवरड्राफ्ट सुविधा के तहत, अलग-अलग क्रेडिट सीमाएं अलग-अलग उधारकर्ता को सौंपी जाती हैं, इसलिए एक ग्राहक निर्धारित सीमा के भीतर किसी भी आवश्यक राशि को निकाल सकता है, जबकि पर्सनल लोन में जो राशि मंजूर की जानी है, उसमें बैंक और उधारकर्ता के बीच पारस्परिक रूप से सहमती जरूरी है। बैंक द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद एक व्यक्ति पर्सनल लोन की राशि में बदलाव नहीं कर सकता है।
ब्याज दर: ओवरड्राफ्ट पर लगाए गए ब्याज दर पर्सनल लोन की तुलना में अधिक है। पर्सनल लोन की राशि मंजूर होने के बाद इस लोन पर पूर्व निर्धारित ब्याज दरों को लागू किया जाता है, जबकि ओवरड्राफ्ट के मामले में एक क्रेडिट सीमा दी जाती है और यदि कोई व्यक्ति ओवरड्राफ्ट सीमा से निकासी नहीं करता है तो तो कोई ब्याज नहीं लिया जाता है।
क्रेडिट का टेन्योर: ओवरड्राफ्ट क्रेडिट सुविधा से निकाली गई राशि पर्सनल लोन की तुलना में कम अवधि के लिए होती है। पर्सनल लोन का कार्यकाल 20-25 साल तक जा सकता है, यह लोन की मात्रा पर निर्भर करता है जबकि ओवरड्राफ्ट का कार्यकाल काफी कम होता है क्योंकि इसमें ब्याज की दर अधिक होती है।
रीपेमेंट: पर्सनल लोन के मामले में एक उधारकर्ता निर्धारित ईएमआई प्रारूप के तहत या बैंक की ओर से निर्देश के अनुसार ऋण राशि चुकाने के लिए बाध्य है, जबकि ओवरड्राफ्ट सुविधा के तहत वापस ली गई राशि को उधारकर्ता के रूप में और जब चाहे चुकाया जा सकता है। ओवरड्राफ्ट राशि के प्रीपेमेंट के मामले में कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं है, जबकि यदि कोई ग्राहक रीपेमेंट से पहले पर्सनल लोन राशि को चुकाना चाहता है तो बैंक इसके लिए शुल्क लेता है।