जानिए क्यों लगातार बढ़ रहे हैं Petrol-Diesel के दाम, अभी और आ सकती है तेजी
Petrol Diesel Price अगर रुपये में मजबूती आ जाए और तेल उत्पादक देश उत्पादन बढ़ा दें तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल रुक सकता है। PC Pixabay
नई दिल्ली, पवन जायसवाल। कोरोना वायरस प्रकोप और लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक संकट के बीच अब उद्योगों और आम लोगों को पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि से भी जूझना पड़ रहा है। सोमवार को लगातार नौवें दिन देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल आया है। नौ दिनों में पेट्रोल की कीमतें करीब 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमतें करीब 5 रुपये 23 पैसे प्रति लीटर बढ़ गई हैं। पहले से ही नकदी संकट से जूझ रहे लोगों की समस्या ऐसे में और बढ़ गई है। आइए जानते हैं कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के पीछे क्या कारण हैं।
एक्साइज ड्यूटी
पिछले सप्ताह से पहले करीब 80 दिन तक ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की थी। इस दौरान मार्च में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी में 3 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया था। इसके बाद मई में सरकार ने पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी थी। एक्साइज ड्यूटी में इस बढ़ोत्तरी से आम आदमी की जेब पर कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने इस बढ़ी हुई ड्यूटी को वहन किया था। इससे कंपनियों को थोड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के वीपी एंड हेड ऑफ रिसर्च डॉ रवि सिंह के अनुसार, लॉकडाउन में ढील से पेट्रोल-डीजल की खपत बढ़ी है और ऐसे में ये कंपनियां एक्साइस ड्यूटी के कारण बढ़ी कीमतों का भार ग्राहकों पर डालना चाह रही हैं।
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दोगुना हुआ क्रूड ऑयल का दाम
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल का एक बड़ा कारण क्रूड ऑयल की कीमतों में वृद्धि भी है। डॉ रवि के अनुसार, 21 अप्रैल को क्रूड ऑयल 17.51 डॉलर प्रति बैरल पर था, जो अब बढ़कर करीब 38 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। इस तरह क्रूड ऑयल की कीमत लगभग दोगुनी हो गई है। क्रूड ऑयल की कीमत में इस तेजी का भार ऑयल मार्केटिंग कंपनियां ग्राहकों पर डाल रही हैं। आने वाले दिनों में क्रूड में उछाल आने पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में और बढ़ोत्तरी देखी जा सकती है।
भारतीय रुपया
पेट्रोल डीजल की कीमतों में वृद्धि का तीसरा कारण है डॉलर के मुकाबले रुपये का कामजोर होना। भारतीय रुपया एक डॉलर के मुकाबले सोमवार को 10 पैसे कमजोर होकर 75.94 पर खुला है। रुपये में गिरावट के कारण तेल कंपनियों की चिंता बढ़ी है। उन्हें तेल खरीदने के लिए डॉलर के रूप में ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। रुपये में और गिरावट आने पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी उछाल देखा जा सकता है।
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बढ़ गई क्रूड ऑयल की खपत
कई देशों द्वारा लॉकडाउन में ढील दिये जाने के कारण वैश्विक स्तर पर तेल की खपत में लगातार तेजी आ रही है। क्रूड ऑयल की कीमतों में अभूतपूर्व गिरावट और स्टोरेज के संकट के समय ओपेक और सहयोगी देशों ने तेल उत्पादन में कटौती का समझौता किया था। अब खपत बढ़ने के बाद भी तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन में बढ़ोत्तरी नहीं की है। अगर उत्पादन नहीं बढ़ाया गया, तो खपत बढ़ने के साथ-साथ क्रूड ऑयल की कीमतों में लगातार उछाल देखने को मिलेगा, जिसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ेगा।
अभी और बढ़ सकते हैं दाम
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अभी और उछाल देखने को मिल सकता है। अगर तेल उत्पादक देश उत्पादन में बढ़ोत्तरी नहीं करते हैं, तो खपत बढ़ने से निकट भविष्य में क्रूड ऑयल की कीमत 40 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाएगी। वहीं ऑयल मार्केटिंग कंपनियां बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी और रुपये में गिरावट के कारण कीमत में तेजी का भार ग्राहकों पर डाल रही हैं। डॉ रवि के अनुसार, अगले एक महीने में मुंबई में पेट्रोल की कीमत 90 रुपये प्रति लीटर को छू सकती है। सोमवार को मुंबई में पेट्रोल की कीमत 83 रुपए 17 पैसे प्रति लीटर है।
..तो रुक जाएगी कीमतों में बढ़त
अगर रुपये में मजबूती आ जाए और तेल उत्पादक देश उत्पादन बढ़ा दें, तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में उछाल रुक सकता है। वहीं, सरकार भी आम जनता पर पड़ रहे बोझ को देखते हुए एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर कीमतों को कम कर सकती है। हालांकि, पहले से ही राजस्व में कमी के चलते कारण सरकार द्वारा ऐसा कदम उठाने की संभावना काफी कम है।