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क्या होता है ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन?

सकल स्थायी पूंजी निर्माण सरकारी और निजी क्षेत्र के फिक्स्ड असेट पर किए जाने वाले शुद्ध पूंजी व्यय का एक आकलन है

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 11:35 AM (IST)Updated: Mon, 30 Jul 2018 11:35 AM (IST)

नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत नहीं हैं क्योंकि ‘ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन’ (जीएफसीएफ) में गिरावट आई है। पिछले चार साल से यह 28.5 फीसद के आसपास है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 31.3 फीसद था। ‘ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन’ क्या है? यह अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करता है? जागरण पाठशाला के इस अंक में हम यही जानने का प्रयास करेंगे।

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ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन’ (जीएफसीएफ) यानी ‘सकल स्थायी पूंजी निर्माण’ सरकारी और निजी क्षेत्र के फिक्स्ड असेट पर किए जाने वाले शुद्ध पूंजी व्यय का एक आकलन है। फिक्स्ड असेट्स का आशय ऐसी मूर्त/अमूर्त परिसंपत्तियों से है, जिन्हें एक साल से ज्यादा अवधि तक लगातार या कभी-कभार इस्तेमाल के लिए बनाया जाता है। इसमें किसी कंपनी, सरकार या स्थानीय निकाय द्वारा एक साल या तिमाही में मशीनरी, वाहन, सॉफ्टवेयर, नई रिहायशी इमारतों व अन्य बिल्डिंग तथा सड़क निर्माण पर किया गया पूंजीगत व्यय शामिल है। इस तरह जीएफसीएफ से यह पता चलता है कि अर्थव्यवस्था में फिजिकल असेट जैसे मशीनरी या बिल्डिंग जैसी स्थायी पूंजी के निर्माण पर हो रहे खर्च में कितना उतार-चढ़ाव आ रहा है।

दरअसल किसी भी देश को समय के साथ वस्तुओं के उत्पादन या सेवा प्रदान करने के लिए इस्तेमाल की जा रही मशीनरी या अन्य तरह के कैपिटल गुड्स को बदलने की आवश्यकता पड़ती है। अगर वह देश पुरानी मशीनरी की जगह नई मशीनरी नहीं खरीदेगा या उसमें सुधार नहीं करेगा तो उत्पादन का स्तर गिर जाएगा जिससे अंतत: विकास की रफ्तार थम जाएगी। इसीलिए यह माना जाता है कि अगर किसी देश में ‘ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन’ तीव्र गति से हो रहा है तो उस देश के विकास की रफ्तार भी अधिक होगी। यह अर्थव्यवस्था में निवेश के स्तर का सूचक है।

जीएफसीएफ के आंकड़े का इस्तेमाल देश के जीडीपी की गणना के लिए किया जाता है। असल में जीडीपी की गणना जब व्यय आधार पर होती है तो उसमें सार्वजनिक और निजी उपभोग के साथ-साथ जीएफसीएफ एक अहम भाग होता है। हमारे देश में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) जब हर तिमाही या पूरे वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के आंकड़े जारी करता है तो यह भी बताता है कि उक्त अवधि में जीडीपी का कितना हिस्सा जीएफसीएफ के रूप में आया। इसीलिए इसे जीडीपी के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2017-18 में प्रचलित मूल्यों (करंट प्राइस) पर जीएफसीएफ की दर 28.5 फीसद थी। वैसे जीएफसीएफ के एक साल के आंकड़ों की दूसरे साल से तुलना स्थिर मूल्यों (कंस्टेंट प्राइस) पर की जाती है ताकि मुद्रास्फीति के प्रभाव को दूर किया जा सके।

जीडीपी के आंकड़ों में ‘ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन’ दो प्रकार का होता है। पहला मशीनरी या उपकरणों के रूप में और दूसरा कंस्ट्रक्शन के रूप में। मशीनरी नई या सेकेंड हेंड भी हो सकती है। मशीनरी में सभी प्रकार की इलेक्टिक और नॉन इलेक्टिक मशीनरी जैसे एग्रीकल्चर मशीनरी, पावर जेनरेटिंग मशीनरी, डेयरी के लिए मवेशी, ऊन के लिए पाले जाने वाले जानवर शामिल हैं। सभी पंजीकृत और गैर-पंजीकृत मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों में बनने वाले कैपिटल गुड्स तथा विदेश से आयात होने वाले कैपिटल गुड्स के मूल्य को जीएफसीएफ में शामिल किया जाता है। कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में हाइवे, ब्रिज, रेल मार्ग, एयरपोर्ट, पार्किग एरिया, बांध, सिंचाई के साधन, जल और विद्युत परियोजनाएं, संचार के साधन तथा चाय, रबड़, कॉफी या अन्य बागवानी फसलों के लिए नए बागान निर्माण के काम भी शामिल हैं।


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