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    टैक्सपेयर नहीं है फिर भी बनवा लें पैन कार्ड, नहीं तो होगा आपका नुकसान

    By Praveen DwivediEdited By:
    Updated: Tue, 20 Jun 2017 05:52 PM (IST)

    अगर आप सैलरी टैक्सेबल नहीं है फिर भी आपको पैन कार्ड बनवाना जरूरी है

    टैक्सपेयर नहीं है फिर भी बनवा लें पैन कार्ड, नहीं तो होगा आपका नुकसान

    नई दिल्ली (जेएनएन)। पर्मानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन कार्ड बहुत ही जरूरी दस्तावेज होता है। यह सिर्फ आपका आइडेंटिटी प्रूफ भर नहीं होता बल्कि यह टैक्स देनदारियों समेत फाइनेंशियल रिकॉर्ड्स को ट्रैक करने के लिहाज से भी काफी अहम होता है। बहुत सारे लोग सोचते हैं कि पैन कार्ड सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए जरूरी होता है जिनकी आय टैक्स के दायरे में आती है, लेकिन ऐसा सही नहीं है। अगर आपकी सैलरी टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो भी आपको पैन कार्ड बनवाना चाहिए ताकि आप आईटीआर फाइल कर सके और अपनी आय के कुछ हिस्से को टैक्स के रुप में बचा पाएं जो टीडीएस के रुप में काट ली जाती है।

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    आपके खाते में ट्रांसफर किए जाने से पहले जो टीडीएस कटौती की जाती है उसे बचाने के लिहाज से हर किसी के लिए पैन कार्ड कितना जरूरी है चलिए समझते हैं। आयकर विभाग के नियमों के मुताबिक करदाता को इनकम टैक्स में कटौती करवानी होती है जिसे टीडीएस के नाम से जाना जाता है। यह कुछ प्रमुख तरीकों से होने वाली आय पर लगता है जैसे कि किराया, ब्याज, कमीशन, सैलरी और कांट्रेक्टर चार्जेज फिर वो चाहे आपके खाते में आए हों या उनका भुगतान आपको किया गया हो। कानून के तहत कुछ सीमाएं होती हैं जो करदाता को टैक्स कटौती से छूट प्रदान करती हैं।

    जानिए किन मदों पर टीडीएस लागू होता है और यह किस दर से लगाया जाता है।

    ब्याज भुगतान (Interest payment) 
    अगर आपके खाते में जमा राशि पर मिलने वाला ब्याज एक निश्चित सीमा को पार करता है तो बैंक इस रकम पर टीडीएस की कटौती कर लेता है। यह सीमा 10,000 रुपए की है। यानी आपके खाते में जमा पर मिलने वाला 10,000 रुपए तक का ब्याज टैक्स फ्री होता, इसके ऊपर आप पर कर देनदारी बनेगी। अगर यह ब्याज योग्य आय बैंक से मिलने वाले ब्याज से इतर होती है तो टीडीएस कटौती के लिहाज से इसकी थ्रेसहोल्ड लिमिट 5,000 रुपए है। एक करदाता को एक वर्ष के दौरान प्राप्त होने वाले कुल ब्याज पर 10 फीसद का टैक्स देना होता है।

    किराए सो होने वाली आय (Rental income)
    मकान के किराए से होने वाली आय पर भी टीडीएस कटौती की जाती है। हालांकि अगर आपको एक साल में किराए से सिर्फ 1.80 लाख रुपए ही प्राप्त होते हैं तो यह छूट के दायरे में आएगा, लेकिन अगर किसी सूरत में किराए से प्राप्त आय 1.80 लाख की सीमा को पार कर जाती है, करदाता को टैक्स चुकाना होगा। ऐसे संदर्भ में टीडीएस की कटौती दर अलग अलग होती है। जैसे मशीनरी, प्लांट और इक्विपमेंट के लिए 2 फीसद और लैंड, बिल्डिंग, फर्नीचर और फिक्चर के लिए 10 फीसद। यह उस संदर्भ में लागू होता है जब आपको किराया देने वाला व्यक्ति किसी बिजनेस से जुड़ा हुआ हो।

    प्रोफेशनल चार्ज (Professional charges)
    यदि आप किसी को भी पेशेवर या तकनीकी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं तो जिस व्यक्ति को आप अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं वह 10% टीडीएस कटौती करेगा। यह उस सूरत में लागू होगा जब एक साल में किया गया भुगतान 30,000 रुपए से ज्यादा होता है।

    अनुबंध के तहत काम करने वालों पर
    अगर आप किसी अनुबंध के तहत काम करते हैं तो टीडीएस कटौती की दर 1 फीसद होगी। यह उस सूरत में होगी जब व्यक्तिगत अनुबंध का मूल्य 30,000 रुपये से अधिक हो या वर्ष के दौरान कुल अनुंबध की राशि 75,000 का आंकड़ा पार करती हो।

    सैलरी इनकम (Salary income)
    आपका नियोक्ता आपकी सैलरी पर उस सूरत में टीडीएस कटौती करता है जब आपकी नेट सैलरी छूट की सीमा में तय की गई रकम से ज्यादा होती है। यह नेट सैलरी एचआरए, एलटीए और होम लोन की ब्याज राशि के बाद देखी जाती है। वहीं विभिन्न योगदानों/ निवेश जैसे पीएफ और एनएससी आदि के लिए आपके नियोक्ता की ओर से सुझाव भी दिए जाते हैं। अगर इन सब कटौतियों के बाद आपकी नेट सैलरी छूट की सीमा से कम होती है तो आपको टैक्स नहीं देना होगा। कर की गणना मासिक आधार पर लागू होने वाली औसत दर पर की जाती है। चूंकि टीडीएस पर वेतन के लिए निर्धारित कर की कोई दर नहीं है। व्यक्ति का वेतन स्लैब इसका आधार होता है। हालांकि, इस उद्देश्य के लिए आपको अपने नियोक्ता को पैन विवरण प्रदान करना होगा।

    आपको क्या करना चाहिए
    अगर आप पढ़ाई कर रहे हैं और जल्द ही नौकरी ज्वाइन करने वाल हैं तो यह आपके हित में है कि आप पैन कार्ड बनवा लें। ताकि आप मिलने वाली सैलरी पर बड़ी कर कटौती से बच पाएं। ऐसे में आपको टैक्स बचाने के लिए फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए क्योंकि ऐसा करते हुए पकड़े जाने पर 20 फीसद टीडीएस के अलावा 10,000 रुपए का जुर्माना देना होता है।

    अगर आप रिटायर्ड पर्सन हैं और फॉर्म 15जी और 15एच भरना चाहते हैं ताकि बैंक आपकी रकम पर टीडीएस न काटे, ऐसे में अगर आप इन फॉर्म के साथ पैन की जानकारी नहीं देते हैं तो बैंक आपकी रकम पर 10 फीसद के बजाए 20 फीसद का टीडीएस काट लेगा।

    इसलिए बेहतर होगा कि आप बिना समय गंवाए अपना पैन कार्ड बनवा लें।