Direct Tax Collection में अगले वर्ष वृद्धि बनाए रखना मुश्किल, अर्थशास्त्रियों ने GDP को लेकर जताया ये अनुमान
Direct Tax Collection सरकार के सामने वैश्विक स्तर पर मंदी और उच्च कर आधार बड़ी चुनौती होगी। चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 19.5 प्रतिशत की वृद्धि बनी हुई है। आने वाले वित्त वर्ष में इसकी वृद्धि दर में कमी आ सकती है। (जागरण फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो: अगले वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 19.5 प्रतिशत की सतत वृद्धि बनाए रखना मुश्किल होगा। इसका कारण यह है कि सरकार के सामने अगले वर्ष वैश्विक मंदी और उच्च कर आधार जैसी बड़ी चुनौतियां होंगी। प्रत्यक्ष कर संग्रह में प्रमुख रूप से आयकर और कॉर्पोरेट कर शामिल होता है।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि वैश्विक मंदी के कारण वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी की वृद्धि दर कम रहेगी, जिससे आय कर संग्रह प्रभावित हो सकता है। 10 जनवरी तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 12.31 लाख करोड़ रुपये रहा है और पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले इसमें 19.55 प्रतिशत की वृद्धि रही है। यह कर संग्रह बजट अनुमान का 86.68 प्रतिशत के बराबर है। आगामी बजट में चालू वित्त वर्ष के राजस्व अनुमान में बदलाव किया जाएगा, साथ ही अगले वित्त वर्ष के लिए अनुमान तय किया जाएगा।
पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में भारत की नामिनल जीडीपी वृद्धि दर 15.4 प्रतिशत रहेगी और महंगाई के समायोजन के बाद वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6-6.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी।
GDP विकास दर का अनुमान घटा चुका है RBI
बता दें, दिसंबर में मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए आरबीआई शक्तिकांत दास ने चालू वित्त के जीडीपी विकास दर के अनुमान को 7.00 प्रतिशत से घटाकर 6.80 प्रतिशत कर दिया था। इसके साथ चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 4.2 प्रतिशत के विकास का अनुमान जताया था।
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