डीजीसीए ने जारी किया सर्कुलर, कमर्शियल फ्लाइट के संचालन के लिए एसओपी बनाने के दिए निर्देश
DGCA ने 20 फरवरी को एक सर्कुलर जारी किया जिसमें कमर्शियल फ्लाइट के संचालन के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया ( standard operating process) बनाने का निर्देश दिया गया है। इससे बिना किसी वैकल्पिक स्थान के उड़ान को सरक्षित तरीके से पूरा किया जा सकेगा।

नई दिल्ली, एजेंसी। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने सभी विमान ऑपरेटरों को कमर्शियल फ्लाइट संचालन के लिए एक एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार करने के निर्देश दिए है, ताकि बिना किसी वैकल्पिक स्थान के उड़ान को सुरक्षित तरीके से पूरा किया जा सके। डीजीसीए ने यह सर्कुलर 20 फरवरी को जारी किया है।
सर्कुलर के अनुसार ऑपरेटर हवाईअड्डों (एयरोड्रम-वार) के अुनसार एसओपी बनाएंगे। जिससे उड़ान संचालन कर्मियों को बिना किसी वैकल्पिक स्थान के सुरक्षित उड़ान प्रक्रियाओं को सुनिश्चित किया जा सके।
DGCA ने स्वीकार किए नियम
इन नियमों को डीजीसीए द्वारा स्वीकृत किया गया हो। सर्कुलर के अनुसार तेजी से बदलती ग्लोबल इकनॉमी में इंटरनेशनल एयर ट्रांस्पोर्ट इंडस्ट्री को लगातार नए प्रयोगों और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के अनुकूल होना चाहिए। मौजूदा तकनीकों और परिचालन संबंधी चुनौतियों का सामना करने के लिए नई-नई तकनीकों में निवेश करना चाहिए। नहीं तो आर्थिक और पर्यावरणीय चिंताएं ऑपरेटरों को ईंधन का अधिक कुशलता से उपयोग करने के लिए मजबूर करती रहेंगी।
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नो डेस्टिनेशन अल्टरनेटिव वाली उड़ानों के लिए एसओपी
डीजीसीए ने कहा कि इस परिपत्र का उद्देश्य सीएआर सेक्शन 8 सीरीज ओ पार्ट-2 के संदर्भ में वैकल्पिक स्थान के साथ उड़ानें संचालित करने के लिए नीति के क्रियान्वयन का समर्थन करना है। डीजीसीए ने नो डेस्टिनेशन अल्टरनेटिव वाली उड़ानों के लिए एसओपी तैयार करने संबंध में भी दिशानिर्देशों का सुझाव दिया है। इसके अनुसार ऑपरेटर प्रत्येक एयरोड्रम के लिए निर्धारित प्रक्रिया स्थापित करें, ताकि बिना डेस्टिनेशन अल्टरनेट के उड़ानें शुरू की जा सकें।
स्वतंत्र रनवे वाले स्थानों पर लागू होगी प्रक्रिया
सर्कुलर के अनुसार यह प्रक्रिया एक से अधिक स्वतंत्र रनवे वाले स्थानों पर लागू होती है। वहीं हवाईअड्डा ऑपरेटर को समय के साथ प्राथमिक रनवे से द्वितीयक रनवे में परिवर्तन के बारे में सूचित किया जाना चाहिए। अल्ट्रा लॉन्ग-रेंज (यूआरएल) फ्लाइट ऑपरेशंस में शामिल ऑपरेटर नो डेस्टिनेशन अल्टरनेट फ्लाइट के साथ फ्लाइट ऑपरेशंस शुरू करने के लिए री-क्लीयरेंस फ्लाइट प्लानिंग पर भी गौर कर सकते हैं।
साथ ही हवाईअड्डों (एयरोड्रम-वार) की लोकल रेगुलेटर से जरूरी मंजूरी ली जाएगी। नो डेस्टिनेशन अल्टरनेट के साथ उड़ान शुरू करने या जारी रखने का निर्णय पायलट इन कमांड (पीआईसी) के पास होता है।
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