वित्त वर्ष 23 में जीडीपी का 6.4 फीसद रहा सरकार का राजकोषीय घाटा, जानिए कैसा रहा सब्सिडी और राजस्व व्यय का हाल
Fiscal Deficit वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल फरवरी में अपने बजट में अनुमान लगाया था कि केंद्र का राजकोषीय घाटा 2022-23 में जीडीपी के 6.4 फीसदी तक सीमित हो जाएगा। आइए जानते हैं कि इस बार केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा कितना रहा?
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Centre's Fiscal Deficit: आज जारी हुए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, FY23 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 6.4 फीसदी रहा। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय के आंकड़ों का जारी करते हुए लेखा महानियंत्रक (CGA) ने कहा कि निरपेक्ष रूप से राजकोषीय घाटा 17,33,131 करोड़ रुपये रहा।
सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए बाजार से उधार लेती है। राजस्व घाटा, सकल घरेलू उत्पाद का 3.9 फीसदी था, जबकि प्रभावी राजस्व घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 2.8 फीसदी था। 1 फरवरी को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट में, राजकोषीय घाटे का लक्ष्य वित्त वर्ष 2023-24 का लक्ष्य जीडीपी का 5.9 फीसदी का आंका गया था।
क्या कहते हैं आंकड़े
2023-24 के बजट में वित्त मंत्रालय ने 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में 16.61 लाख करोड़ रुपये से के मुकाबले ऊपरी सीमा में संशोधन किया था। 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था के आकार के बजट अनुमान से अधिक होने की उम्मीद के साथ, सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी के प्रारंभिक लक्ष्य से अपरिवर्तित रहा।
केंद्र 2022-23 में सरकार का नेट टैक्स रेवेन्यू संशोधित अनुमान से 0.5 फीसदी अधिक था, जबकि गैर-कर राजस्व ने अनुमानों को 9.3 फीसदी से अधिक टैक्स दिया। हालांकि, विनिवेश बुरी तरह से प्रभावित हुआ। इससे 46,035 करोड़ रुपये की आय हुई, जबकि लक्ष्य 60,000 करोड़ रुपये जुटाने का था।
सीजीए ने कहा कि सरकार को 2022-23 के दौरान 24.56 लाख करोड़ रुपये मिले। इसमें 20.97 लाख करोड़ रुपये टैक्स रेवेन्यू 2.86 लाख करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व और 72,187 करोड़ रुपये गैर-लोन पूंजी प्राप्तियां शामिल हैं।
सब्सिडी और राजस्व व्यय का हाल
गैर-लोन पूंजीगत प्राप्तियों में लोन की वसूली और विविध पूंजीगत प्राप्तियां शामिल होती हैं। केंद्र सरकार द्वारा टैक्सों के विचलन के रूप में लगभग 9.48 लाख करोड़ रुपये राज्य सरकारों को हस्तांतरित किए गए हैं, जो पिछले वर्ष (2021-22) की तुलना में 50,015 करोड़ रुपये अधिक है।
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