C-KYC के जरिए नहींं होगा बैंकों में काम, ग्राहकों को केवाईसी के लिए अपनाना होगा पुराना तरीका
C-KYC से स्पष्ट जानकारी न मिलने के कारण आरबीआई की ओर से बैंकों को वीडियो केवाईसी और फिजिकल केवाईसी कराने की सलाह दी गई है। सी-केवाई के तहत आने वाले ग्राहकों की मॉनिटरिंग करने को भी कहा है। (जागरण फाइल फोटो)

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आरबीआई की ओर से सेंट्रल- नो योर कस्टमर यानी c-KYC के तहत आने वाले ग्राहकों को हाई-रिस्क में डाल दिया गया है। साथ ही बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को सलाह दी गई है कि वीडिया केवाईसी और फिजिकल केवाईसी के जरिए ही ग्राहकों को ऑनबोर्ड करें।
बता दें, सी-केवाईसी के डाटाबेस को बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए एक आसान सॉल्यूशन माना जा रहा था। क्योंकि इससे बैंकों को ग्राहकों की पहचान के लिए बार-बार केवाईसी कराने की जरूरत नहीं होती है।
C-KYC के लिए आरबीआई ने क्या बयान जारी किया?
आरबीआई की ओर से कहा गया कि जिन ग्राहकों के सी-केवाईसी और डिजिलॉकर के जरिए पहचान कर अकाउंट खोले गए हैं, उन्हें हाई-रिस्क कस्टमर कैटेगरी में डाला जाए। इसके साथ जब तक उनकी वीडियो केवाईसी और फिजिकल केवाईसी न की जाए, तब तक उनकी मॉनिटरिंग की जाए।
ग्राहकों को जोड़ने की लागत बढ़ेगी
सी-केवाईसी से वीडियो केवाईसी और फिजिकल केवाईसी की जाने से वित्तीय संस्थानों की ग्राहकों को जोड़ने की लागत में इजाफा हो जाएगा। सी-केवाईसी से डाटा प्राप्त करने के लिए करीब 1.10 रुपये की लागत आती है, जबकि वीडियो केवाईसी की लागत 15 से 30 रुपये आती है।
सेंट्रल रजिस्ट्री ऑफ सिक्योरिटाइजेशन एसेट रिकंस्ट्रक्शन एंड सिक्योरिटी इंटरेस्ट ऑफ इंडिया (Cersai), जो सी-केवाईसी डाटा का प्रबंधन करती है। इस डेटाबेस का उपयोग करने वाले लगभग 5,000 संस्थानों द्वारा किया जाता है जिनमें लगभग 70 करोड़ केवाईसी रिकॉर्ड हैं।
सी-केवाईसी में क्या आ रही हैं परेशानियां
सी-केवाईसी डाटा का उपयोग करने में वित्तीय संस्थानों कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सी-केवाईसी के जरिए Cersai से मिलने वाले डाटा की क्वालिटी ठीक नहीं है और स्कैन्ड डॉक्यूमेंट में पढ़ें नहीं जा सकते हैं और फोटो भी कई बार मैच नहीं करती है।
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