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    Azim Premji Birthday: एक ऐसा शख्स जिसे अमीरी से नहीं होता रोमांच..हमेशा रहती है परोपकार की इच्छा

    By Pawan JayaswalEdited By:
    Updated: Fri, 24 Jul 2020 09:03 AM (IST)

    Azim Premji Birthday वॉरेन बफे और बिल गेट्स के अभियान द गिविंग प्लेज में शामिल होने वाले पहले भारतीय प्रेमजी ही हैं। PS ANI

    Azim Premji Birthday: एक ऐसा शख्स जिसे अमीरी से नहीं होता रोमांच..हमेशा रहती है परोपकार की इच्छा

    नई दिल्ली, पवन जायसवाल। भारत के बिल गेट्स कहे जाने वाले अजीम हाशिम प्रमेजी आज पाकिस्तान में हो सकते थे, लेकिन उनके पिता की एक ना के कारण आज वे भारत के दिग्गज आईटी उद्योगपति और एक बड़े दानवीर के रूप में पहचाने जाते हैं। प्रेमजी के पिता मुहम्मद हाशिम प्रेमजी एक बड़े कारोबारी थे और उन्हें बर्मा के राइस किंग के रूप में जाना जाता था। पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने स्वयं अजीम प्रेमजी के पिता को पाकिस्तान आने के लिए कहा था, लेकिन अजीम प्रेमजी के पिता ने जिन्ना के निवेदन को ठुकरा कर भारत में ही रहना पसंद किया।

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    अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई में हुआ था। आज अजीम प्रेमजी का 75वां जन्मदिन है। भारतीय आईटी इंडस्ट्री के बादशाह के रूप में पहचाने जाने वाले दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन प्रेमजी ने एक बिजनेस टाइकून के अलावा भी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वे एक बड़े दानवीर भी हैं।

    एशिया के सबसे बड़े दानवीर

    फोर्ब्स द्वारा दिसंबर, 2019 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 में एशिया के सबसे बड़े दानवीरों की सूची में प्रेमजी शीर्ष पर रहे थे। फोर्ब्स की इस रिपोर्ट के अनुसार, अजीम प्रेमजी ने साल 2019 में 7.6 अरब डॉलर के विप्रो के शेयरों को शिक्षा के लिए समर्पित अपनी फाउंडेशन को दान दिया था। इसके साथ ही उनके द्वारा जीवन भर में दान की गई कुल रकम 21 अरब डॉलर पर पहुंच गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन एंड यूनिवर्सिटी देश भर में दो लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में टीचर्स को ट्रेंड करने और बेहतर पाठ्यक्रम प्रदान करने जैसे कई काम करती है।

    कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भी प्रेमजी ने दोनों हाथ खोलकर धनराशि दान की है। इस लड़ाई में वे सबसे ज्यादा दान देने वाले लोगों में शामिल हैं। प्रेमजी ने इस लड़ाई में करीब एक हजार करोड़ रुपये दान दिये हैं। इससे पहले अप्रैल 2013 में प्रेमजी ने कहा था कि वे अपनी व्यक्तिगत संपत्ति का 25 फीसद से अधिक हिस्सा दान कर चुके हैं। जुलाई, 2015 में उन्होंने विप्रो में अपनी हिस्सेदारी का अतिरिक्त 18 फीसद हिस्सा दान दिया था।

    अमीर होने से नही होती रोमांच की अनुभूति

    प्रेमजी का कहना है कि उन्हें अमीर होने से किसी रोमांच की अनुभूति नहीं हुई है। प्रेमजी ने एक बार एक कार्यक्रम में कहा था, ''मैं पिछले एक साल से परोपकार संबंधी कार्यों से ज्यादा जुड़ गया हूं। जितना मैं इसको देख रहा हूं, उससे ये ही लगता है कि यह कितना जाटिल है। पैसे के बिना भी आप किसी इंसान को कैसे खुश रख सकते हैं और समाजसेवा से आपको कितनी तारीफ मिलती है, यह आप शब्दों में बयां नहीं कर सकते हैं।''

    साथ ही प्रेमजी ने कहा, "मेरा दृढ़ता से मानना ​​है कि हममें से जिन लोगों के पास धन होने का विशेषाधिकार है, उन्हें उन लाखों लोगों के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने और इसके लिए प्रयास करने में महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए, जो अभी तक कम विशेषाधिकार प्राप्त हैं।" प्रेमजी का कहना है कि परोपकार करना किसी कंपनी को चलाने से ज्यादा मुश्किल कार्य है।'

    वॉरेन बफे और बिल गेट्स के अभियान 'द गिविंग प्लेज' में शामिल होने वाले पहले भारतीय प्रेमजी ही हैं। इस अभियान में शामिल होने वाले रिचर्ड ब्रैनसन और डेविड सैन्सबरी के बाद वे तीसरे गैर-अमेरिकी हैं। परोपकार की भावना के साथ प्रेमजी ने साल 2001 में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन एंड यूनिवर्सिटी की स्थापना की।

    साबुन बनाने वाली कंपनी में सॉफ्टवेयर बनाया

    अजीम प्रेमजी के पिता मुहम्मद हाशिम प्रेमजी ने साल 1945 में वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड की स्थापना की थी, जो अब हम विप्रो के नाम से जानते हैं। अजीम प्रेमजी ने 21 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था। उस समय प्रेमजी स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। पिता के जाने के बाद प्रेमजी पढ़ाई छोड़कर भारत आए और साल 1996 में कंपनी का कार्यभार संभाला। वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड सनफ्लॉवर वनस्पति ब्रांड नाम से खाद्य तेल और कपड़े धोने का साबुन बनाती थी, जिसे 787 नाम से जाना जाता था।

    प्रेमजी के आने के बाद कंपनी में बेकरी, टॉयलेट संबंधी उत्पादों, बालों संबंधी उत्पादों और बच्चों से जुड़ी वस्तुओं का उत्पादन भी शुरू हुआ। इसके बाद 1980 के दशक में भारत से आईबीएम के चले जाने से आईटी सेक्टर में बने स्पेस का महत्व अजीम प्रेमजी ने समझा और वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड को विप्रो में बदल दिया व कंपनी में साबुन की बजाय सॉफ्टवेयर बनाने लगे।

    पद्म भूषण से हैं सम्मानित

    अजीम प्रेमजी को टाइम मैगज़ीन द्वारा दो बार 100 सबसे अधिक प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया गया है और एशियावीक द्वारा साल 2010 में उन्हें दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली पुरुषों में शामिल किया गया था। साल 2005 में भारत सरकार ने प्रेमजी को व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये पद्म भूषण अवार्ड देकर सम्मानित किया था।

    सोर्स- फोर्ब्स, विकिपीडिया