Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नोटबंदी के बाद लोगों ने काला धन सफेद करने के लिए अपनाए 13 तरीके, जानिए

    By Praveen DwivediEdited By:
    Updated: Tue, 06 Dec 2016 12:00 AM (IST)

    तमाम मुश्किलों के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट करने के तमाम तरीके खोज निकाले। नोटबंदी के बाद लोगों ने काला धन सफेद करने के लिए 13 तरीके खोज निकाले,

    नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद से ही देश की अधिकांश जनता परेशान है, बैंक परेशान है और आरबीआई भी। राजस्थान के पाली में एक परिवार अपने बच्चे का सिर्फ इसलिए इलाज नहीं करवा पाया क्योंकि एंबुलेंस वाला 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट लेने को तैयार नहीं था। वहीं दूसरी तरफ नोटबंदी के कारण एक व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने की खबर भी सामने आई। लेकिन इन तमाम मुश्किलों के बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट करने के तमाम तरीके खोज निकाले। नोटबंदी के बाद लोगों ने काला धन सफेद करने के लिए 13 तरीके खोज निकाले, जानिए इनके बारे में......

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंदिर में दे दिया दान:

    नोटबंदी के बाद इस तरह की खबरें सामने आईं कि लोगों ने या तो अपनी ब्लैक मनी मंदिर के हिंदुओं को दे दीं या फिर उन्होंने वह राशि डोनेशन बॉक्स में डाल दी। मंदिर प्रबंधन ने इस पैसे को गुमनाम दान में दिखाया। मंदिर प्रशासन ने इस पैसे को नई करेंसी से बदल दिया, इस सेवा के लिए कुछ कमीशन लिया और बाकी पैसा मालिक को लौटा दिया। सरकार ने यह बात पहले ही स्पष्ट कर दी है कि मंदिर के हिंदुओं से किसी भी तरह का कोई सवाल नहीं किया जाएगा।

    सहकारी बैंकों में करा ली बैक डेट की एफडी:

    अपने कालेधन को खंपाने के लिए कुछ लोग बैक डेट में कुछ वित्तीय संस्थानों से फिक्स्ड डिपॉजिट की रसीद ले रहे हैं। काला धन रखने वाले तमाम लोगों ने वित्तीय संस्थानों के जरिए तमाम तरह की एफडी ग्रामीण लोगों के नाम पर ले रखी हैं, जिससे उन्हें कुछ समय बाद नई करेंसी में उन्हें उनकी रकम वापस मिल जाएगी। ये उन लोगों को कुछ भुगतान भी कर रहे हैं जिनके नाम पर उन्होंने एफडी करवा रखी है। गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को इस तरह की जमा राशि स्वीकार करते हुए देखा गया है जो कथित तौर पर कालेधन को सफेद करने में मदद कर रहे हैं।

    गरीबों को लाइन में खड़ा कर बदलवाए पैसे:

    बहुत से ऐसे लोग थे जिन्होंने कुछ गरीब लोगों को बैंकों के बाहर लाइन में लगवाकर अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट करने की कोशिश की। कुछ लोगों ने गरीबों के खातों में 2.50 लाख रुपए जमा करवा कर उसे कुछ दिन में उनसे कहकर नकदी निकलवाकर अपनी ब्लैक मनी को सफेद कर लिया।

    गरीब लोगों को दे दिया लोन:

    नोटबंदी की आड़ में काला धन रखने वालो लोगों ने गरीबों को ब्याज मुक्त कर्ज बांट दिया। एक तरह से देखा जाए तो नोटबंदी के दौर में गरीब लोगों के लिए यह काफी फायदे का सौदा था, लेकिन वास्तव में लोगों ने इसके जरिए अपने कालेधन को सफेद करने की कोशिश की।

    लोगों ने जन-धन खाताधारकों को ढूंढा:

    जन-धन खातों की जब शुरुआत हुई थी, तब इसमे नाम मात्र को पैसा था लेकिन नोटबंदी के तुरंत बाद इसमे भारी नकदी जमा हो गई जिससे सरकार को सिस्टम में कालाधन आने का शक हुआ। लोगों ने गरीबों के खाते में अपना पैसा जमा करवाया फिर उसे उन्ही से कहकर कुछ दिन में निकलवा भी लिया।

    कुछ ने बैंक नोट माफियाओं से संपर्क साधा:

    नोटबंदी के फैसले के तुरंत बाद काफी सारे बैंकनोट माफियाओं ने जन्म ले लिया। ये ऐसे लोग थे जो लोगों से 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों के बदले उनको उनकी नकदी का 15 से 80 फीसदी हिस्सा ही वापस कर रहे थे। इन माफियाओं के जरिए भी कुल लोगों ने काफी काला धन सफेद किया।

    एडवांस में कर दिया सैलरी का भुगतान:

    कुछ लोगों ने नोटबंदी से बचने का शानदार तरीका निकाला। व्यापारी तबके ने अपने मातहत आने वाले कर्मचारियों को एडवांस में सैलरी बांट दी। यानी इस तरह से कर्मचारियों को 3 से 8 महीने की सैलरी बांट दी गई। कुछ ने तो सैलरी अकाउंट खुलवाकर उसमे एडवांस सैलरी जमा करवा दी, जिससे वो 30 दिसंबर से पहले अपना काफी सारा पैसा जमा करवा पाए।

    ट्रेन की टिकट बुक कीं और फिर कैंसल की योजना बनाई:

    नोटबंदी के दौर में लोगों ने अपने पुराने नोट खंपाने के लिए कमाल कमाल के आइडिया निकाले। रेलवे में 14 नवंबर तक पुराने नोट स्वीकार किए जाने की खबर मीडिया में आते ही लोगों ने अंधाधुंध टिकिटों की बिक्री कर ली, उन्होंने सोचा कि बाद में इसे कैंसल कराकर नई करेंसी प्राप्त की जा सकती है।

    पेशेवर मनी लॉन्ड्रिंग फर्म का इस्तेमाल किया:

    विशेष तौर पर कोलकाता में चार्टेड अकाउंटेंट के माध्यम से संचालित होने वाली मनी लॉन्ड्रिंग कंपनियों का भी लोगों ने खूब इस्तेमाल किया। ये ऐसी कंपनियां होती हैं जो आपका टैक्स बचाने के लिए आपकी ब्लैक मनी को व्हाइट में बदल देती हैं। ऐसी कंपनियां कोलकाता के अलावा अन्य शहरों में भी काम करती हैं।

    खरीदने लगे सोना:

    नोटबंदी की घोषणा के बाद सोने की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला, क्योंकि काफी सारे लोग अपनी पुरानी करेंसी खंपाने के लिए सुनारों की दुकानों पर पहुंचने लगे। कालाधन रखने वाले काफी सारे लोगों ने घोषणा वाले दिन की आधी रात तक काफी मात्रा में सोना खरीद डाला। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि सोने की बिक्री बैक डेट में भी हुई है।

    किसानों का हुआ इस्तेमाल:

    नोटबंदी के दौरान कालेधन को सफेद करने के लिए किसानों का भी बखूबी इस्तेमाल किया गया। जैसा कि किसान की आमदनी कर के दायरे में नहीं आती है, वो आसानी से कह सकते हैं कि उन्हें यह पैसा मंडी में बिक्री के जरिए नोटबंदी लागू होने से पहले मिला है, उनके पास यह पुरानी नकदी है और वो आसानी से नई करेंसी पा सकते हैं। लोगों ने इसी का फायदा उठाया।

    राजनीतिक पार्टियों का किया इस्तेमाल:

    जैसा कि राजनीतिक पार्टियां किसी से भी 20,000 रुपए का डोनेशन ले सकती हैं और वो भी दानकर्ता का नाम बताए बगैर। साथ ही उन्हें इसके लिए पैन नंबर भी नहीं देना होता है, इस सुविधा ने नोटबंदी के दौर में लोगों के लिए काम किया। ऐसी पार्टियां आसानी से कह सकती हैं कि उन्हें नोटबंदी से पहले कुछ डोनेशन मिला है और वो आसानी से अपने पुराने नोट बदलवाकर नई करेंसी प्राप्त कर सकती हैं।

    बैंकों में जमा करा दिया पैसा:

    नोटबंदी के बाद लोगों को अपनी ब्लैकमनी को व्हाइट करने का सबसे आसान तरीका यह लगा कि उन्होंने अपनी नकदी का कुछ हिस्सा बैंकों में जमा करवा दिया। वित्त मंत्रालय ने लोगों को 2.50 लाख रुपए तक की जमा राशि पर छूट दे रखी है। इस सुविधा ने भी ऐसे लोगों की मदद की।