रतन टाटा के जाने के बाद 4 साल के सबसे खराब हालत में पहुंची TCS, क्या है लगातार शेयर गिरने की वजह
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS Share Price) के शेयरों में गिरावट जारी है जो अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर से 36% नीचे है। यह गिरावट वैश्विक आर्थिक दबावों और भू-राजनीतिक तनावों के कारण है। अमेरिकी वीजी नीति और व्यापारिक टैरिफ ने भी दबाव बढ़ाया है। आईटी सेक्टर में मांग की सुस्ती और सीमित बजट ने भी TCS के ग्रोथ आउटलुक को प्रभावित किया है।

नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS Share Price) के शेयरों में गिरावट का दौर जारी है। शुक्रवार को शेयर में 1.76% की गिरावट के साथ बंद हुआ।
अब यह अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर से करीब 36% नीचे पहुंच गया है। यह गिरावट केवल कंपनी तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे आईटी सेक्टर को प्रभावित कर रही है, जो इस समय वैश्विक आर्थिक दबावों, रेगुलेटरी अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनावों से जूझ रहा है।
टेक्निकल पर भी, TCS के शेयर ने ओवरसोल्ड जोन में एंट्री कर लिया है, जहां इसका रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) गिरकर 42.80 के स्तर पर पहुंच गया है।
अमेरिकी नीति और व्यापार तनाव बढ़ा रहे दबाव
TCS के लिए सबसे बड़ी चिंता अमेरिका की नई वीजी नीति है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के लिए $100,000 सालाना फीस लगाने का प्रस्ताव पास किया है।
यह नीति अब मास रिक्रूटमेंट को हतोत्साहित कर रही है और उच्च कौशल वाले पेशेवरों को प्राथमिकता दे रही है। चूंकि TCS जैसी भारतीय कंपनियां अमेरिका में ऑनशोर प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए H-1B वीजा पर निर्भर हैं, यह बदलाव ऑपरेशनल लागत बढ़ा सकता है और उनकी प्रोजेक्ट डिलीवरी क्षमताओं को प्रभावित कर सकता है।
इसके अलावा, ट्रंप सरकार के लगाए गए नई व्यापारिक टैरिफ ने भी बाजार में अनिश्चितता बढ़ाई है, जिससे रिस्क-ऑफ मूड पैदा हुआ है और निवेशकों की धारणा पर असर पड़ा है।
IT सेक्टर में मांग की सुस्ती
IT सेक्टर की मौजूदा सुस्ती की पुष्टि हाल ही में एक्सेंचर के तिमाही नतीजों से भी हुई है। एक्सेंचर ने कमजोर ग्रोथ आउटलुक दिया है, जिससे संकेत मिलता है कि बड़े आईटी प्रोजेक्ट्स और डिस्क्रेशनरी खर्चों की मांग अब भी धीमी बनी हुई है।
इसी के चलते Citi और Jefferies जैसे ब्रोकरेज हाउसेज ने भारतीय आईटी कंपनियों के लिए आने वाले वर्षों में तेज ग्रोथ की संभावना कम बताई है।
सीमित बजट तो सीमित उम्मीदें
TCS जैसे कुछ कंपनियों के लिए फाइनेंशियल सर्विसेज वर्टिकल अभी भी एक मजबूत सेगमेंट बना हुआ है, लेकिन समग्र माहौल अब भी नकारात्मक है।
तकनीकी बजट अब भी लॉन्ग-टर्म डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की बजाय कॉस्ट कटिंग प्रोजेक्ट्स पर केंद्रित हैं। इससे न केवल TCS के ग्रोथ आउटलुक पर असर पड़ता है, बल्कि इसका मूल्यांकन (P/E रेशियो) भी दबाव में आता है।
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(डिस्क्लेमर: यहां शेयरों को लेकर दी गई जानकारी निवेश की राय नहीं है। चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)
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