सेबी का पोर्टफोलियो प्रबंधकों को डिजिटल समाधान अपनाने का आग्रह, जानें साप्ताहिक एक्सपायरी पर अंकुश लगाने पर क्या दिया अपडेट
सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने पोर्टफोलियो प्रबंधकों से डिजिटल समाधान अपनाने का आग्रह किया है ताकि वे प्रतिस्पर्धी बने रहें। उन्होंने भ्रामक दावों पर लगाम लगाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया क्योंकि इससे उद्योग की विश्वसनीयता कम होती है। पांडेय ने साप्ताहिक एक्सपायरी पर अंकुश लगाने संबंधी खबरों को अटकलबाजी बताया।

मुंबई। सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बुधवार को कहा कि पोर्टफोलियो प्रबंधकों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए डिजिटल समाधान के जरिये नियुक्ति, रिपोर्टिंग और ग्राहक जुड़ाव को आधुनिक बनाना होगा। एसोसिएशन आफ पोर्टफोलियो मैनेजर्स इन इंडिया (एपीएमआइ) के वार्षिक सम्मेलन में सेबी प्रमुख ने उद्योग संगठन से आग्रह किया कि कुछ पंजीकृत पोर्टफोलियो प्रबंधकों के भ्रामक दावों पर लगाम लगाई जानी चाहिए।
सेबी प्रमुख ने कहा, 'पीएमएस (पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं) उद्योग को प्रतिस्पर्धी और विश्वसनीय बने रहने के लिए डिजिटल समाधानों के माध्यम से नियुक्ति, रिपोर्टिंग और ग्राहक जुड़ाव को आधुनिक बनाना होगा।' उन्होंने कहा कि पीएमएस उद्योग एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, आपके पास एक मजबूत स्थिति, एक लचीला नियामक ढांचा, एसोसिएशन के माध्यम से सक्रिय उद्योग जुड़ाव और जानकार निवेशकों का बढ़ता समूह है।'
पांडे ने कहा कि एसोसिएशन और उद्योग को कुछ पंजीकृत पोर्टफोलियो प्रबंधकों द्वारा किए जा रहे भ्रामक दावों पर अंकुश लगाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, 'इस तरह के बढ़ा-चढ़ाकर किए गए प्रदर्शन के दावे विश्वास को कम करते हैं और इस उद्योग की वृद्धि को रोक सकते हैं।'
साप्ताहिक एक्सपायरी पर अंकुश लगाने संबंधी रिपोर्ट महज अटकलबाजी
सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने बुधवार को साप्ताहिक एक्सपायरी पर अंकुश लगाने संबंधी मीडिया रिपोर्टों को अटकलबाजी करार दिया। उन्होंने कहा कि बाजार में सुधार की जरूरत होती है, लेकिन इसकी एक प्रक्रिया होती है।
मंगलवार को यह रिपोर्ट सामने आने के बाद कि बाजार नियामक और सरकार सट्टेबाजी कम करने के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी पर अंकुश लगाने पर विचार कर रहे हैं, बीएसई और अन्य पूंजी बाजार के शेयरों में गिरावट शुरू हो गई थी और बुधवार सुबह भी गिरावट के साथ इनके शेयर खुले। पिछले महीने, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण ने एफएंडओ अनुबंधों में उछाल पर ¨चता व्यक्त की थी और कहा था कि नियामक परिपक्वता अवधि बढ़ाकर एफएंडओ बाजार की गुणवत्ता में सुधार पर विचार करेगा।
जुलाई, 2025 में सेबी के एक अध्ययन में पाया गया कि एफएंडओ में कारोबार करने वाले खुदरा निवेशकों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत कम हुई है, लेकिन दो साल पहले की तुलना में 24 प्रतिशत बढ़ी है। एफएंडओ कारोबार छोड़ने वालों में अधिकतर व्यापारी ऐसे थे, जिनका कुल कारोबार एक लाख रुपये से कम था। खुदरा निवेशकों को वित्त वर्ष 2025 के दौरान एफएंडओ खंड में लगभग 1.06 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो वित्त वर्ष 2024 के 74,812 करोड़ रुपये के नुकसान से 41 प्रतिशत अधिक है।
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