IPO नियमों में बड़ा बदलाव: रिटेल का कोटा घटेगा, QIBs और म्यूचुअल फंड्स को मिलेगा ज्यादा हिस्सा, जानें क्या है वजह
सेबी ने IPO नियमों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है जिसका उद्देश्य कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देना और दीर्घकालिक निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। बड़े IPO में खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सेदारी को कम करने और योग्य संस्थागत खरीदारों (QIBs) के लिए कोटा बढ़ाने का प्रस्ताव है।

नई दिल्ली। सेबी ने IPO से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव का प्रस्ताव रखा है। इसका मकसद कारोबारी सुगमता बढ़ाना और लंबे समय के निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। गुरुवार को जारी एडवाइजरी लेटर में सेबी ने कहा कि बड़े IPO के लिए खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सेदारी कम करने और योग्य संस्थागत खरीदारों (QIBs) के लिए कोटा बढ़ाने का प्रस्ताव है।
नियामक ने बताया कि ₹1,000 करोड़ से अधिक के IPO का औसत आकार कैलेंडर वर्ष 2024 में लगभग ₹4,000 करोड़ रहा है और यह 2025 और 2026 में और बढ़ने की उम्मीद है। यह प्रवृत्ति भारतीय पूंजी बाजारों की परिपक्वता और बढ़ते विश्वास को दर्शाती है। सेबी ने इन बदलावों के लिए जनता से 21 अगस्त 2025 तक सुझाव मांगे हैं।
बड़े IPO में खुदरा हिस्सेदारी घटेगी
वर्तमान नियमों के मुताबिक ₹5,000 करोड़ से अधिक के बड़े IPO में कम से कम 35% हिस्सा खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित होता है। सेबी ने इसे घटाकर न्यूनतम 25% करने का प्रस्ताव दिया है।
सेबी ने कहा, "बड़े IPO में खुदरा हिस्सेदारी का आकार बहुत बढ़ जाता है, जिससे पूर्ण सदस्यता मुश्किल हो जाती है, खासकर तब जब बाजार सुस्त हो। ऐसे मामलों में खुदरा से QIB श्रेणी में ओवरफ्लो की अनुमति तो है, लेकिन अंडर-सब्सक्रिप्शन का नकारात्मक असर IPO के सेंटीमेंट पर पड़ता है।"
इसके साथ ही, QIB कोटा 50% से बढ़ाकर 60% करने का प्रस्ताव है, ताकि मांग में स्थिरता बनी रहे और कंपनियों को अस्थिर बाजार में भरोसा मिले।
म्यूचुअल फंड्स को मिलेगा ज्यादा हिस्सा
QIB श्रेणी में म्यूचुअल फंड्स के लिए आरक्षित कोटा बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। अभी यह 5% है, जिसे बढ़ाकर 15% करने की सिफारिश की गई है। सेबी का मानना है कि खुदरा निवेशकों की सीधी भागीदारी पिछले तीन वर्षों में लगभग स्थिर रही है, जबकि म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से उनकी भागीदारी लगातार बढ़ी है।
एंकर निवेशकों की संख्या बढ़ेगी
सेबी ने बड़े IPO में एंकर निवेशकों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। फिलहाल यह संख्या इश्यू के आकार पर निर्भर करती है। ₹250 करोड़ से अधिक के एंकर आवंटन वाले IPO के लिए, हर ₹250 करोड़ पर 10 की जगह 15 अतिरिक्त एंकर निवेशकों की अनुमति देने का सुझाव दिया गया है, बशर्ते प्रति निवेशक न्यूनतम आवंटन ₹5 करोड़ हो।
इस बदलाव से बड़े विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को फायदा होगा, जिनके पास कई फंड होते हैं और जिन्हें मौजूदा लाइन कैप्स के कारण दिक्कत होती है।
बीमा कंपनियां और पेंशन फंड्स भी शामिल होंगे
सेबी ने सुझाव दिया है कि एंकर निवेशक श्रेणी में जीवन बीमा कंपनियों और पेंशन फंड्स को भी शामिल किया जाए। अभी इस श्रेणी में केवल म्यूचुअल फंड्स के लिए 33% आरक्षण है। इसे बढ़ाकर 40% करने का प्रस्ताव है, जिससे लंबे समय के निवेशकों का आधार मजबूत होगा।
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