क्या पापा ने खरीदे थे फिजिकल शेयर? अब उन्हें बदलने का आखिरी मौका, शेयर सर्टिफिकेट को डिजिटल फॉर्म में ऐसे बदलें
शेयर मार्केट रेगुलेटर SEBI ने लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) रेगुलेशन, 2015 में बदलावों को मंज़ूरी दी है, और इसका मकसद इन्व ...और पढ़ें
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नई दिल्ली। पहले स्टॉक मार्केट में शेयर खरीदने पर शेयर सर्टिफिकेट (Share Certificate) मिला करते थे, करीब 2 दशक पहले शेयर डिजिटल फॉर्म में नहीं हुआ करते थे। यह वह जमाना था जब आपके पापा या उससे पहले दादा ने कभी शेयर खरीदे होंगे। अगर आपके पास भी शेयर सर्टिफिकेट हैं तो उन्हें डिजिटल फॉर्म में कंवर्ट करने का आखिरी मौका है। मार्केट रेगुलेटर, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने इस संबंध में बड़ी राहत दी है।
दरअसल, 17 दिसंबर को SEBI ने लिस्टिंग ऑब्लिगेशन्स एंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (LODR) रेगुलेशन, 2015 में बदलावों को मंज़ूरी दी, जिसका मकसद इन्वेस्टर सर्विसेज़ को आसान बनाना और फिजिकल शेयर रखने वाले असली इन्वेस्टर्स के लिए ट्रांसफर अधिकारों को फिर से शुरू करना है। उम्मीद है कि इन सुधारों से प्रोसेसिंग टाइम में काफी कमी आएगी और कुछ लंबे समय से अटके फिजिकल शेयर ट्रांसफर को रजिस्टर करने के लिए एक सीमित समय के लिए मौका मिलेगा।
क्या होता है शेयर सर्टिफिकेट?
शेयर सर्टिफिकेट, जिसे स्टॉक सर्टिफिकेट भी कहा जाता है, जो किसी लिस्टेड कंपनी द्वारा जारी किया गया एक कानूनी दस्तावेज़ है। यह शेयरों के मालिकाना हक का एक आधिकारिक सबूत होता है। पहले शेयर खरीदने पर यह सर्टिफिकेट जारी होता था, जिसमें खरीदे गए शेयरों की संख्या की पूरी डिटेल होती थी।
SEBI ने आसान किया प्रोसेस
खास बात है कि सेबी ने एक बड़ा बदलाव करते हुए कन्फर्मेशन लेटर की ज़रूरत को हटा दिया गया है, जिसकी ज़रूरत पहले इन्वेस्टर्स को डुप्लीकेट सर्टिफिकेट जारी करने, शेयर ट्रांसफर करने या कॉर्पोरेट एक्शन से मिलने वाली सिक्योरिटीज़ को क्रेडिट करने जैसे रिक्वेस्ट के लिए पड़ती थी। पुराने सिस्टम में, इन्वेस्टर्स को यह लेटर अपने डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स को जमा करना होता था, इस प्रोसेस में अक्सर लगभग 150 दिन लगते थे।
अब, रजिस्ट्रार और कंपनियों द्वारा ठीक से जांच के बाद, सिक्योरिटीज़ सीधे इन्वेस्टर्स के डीमैट अकाउंट में क्रेडिट की जाएंगी, जिससे प्रोसेसिंग का समय घटकर लगभग 30 दिन हो जाएगा और फिजिकल डॉक्यूमेंट्स के खोने या गलत इस्तेमाल का खतरा भी कम हो जाएगा।
2019 में बंद हुई थी ये प्रोसेस
फिजिकल शेयर ट्रांसफर को 1 अप्रैल, 2019 से आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया गया था। SEBI ने पहले निवेशकों को उस तारीख से पहले किए गए ट्रांसफर डीड को फिर से जमा करने की अनुमति दी थी, लेकिन वह विंडो 31 मार्च, 2021 को बंद हो गई। 7 जुलाई, 2025 से 6 जनवरी, 2026 तक एक स्पेशल री-लॉजमेंट विंडो चली, फिर भी कई निवेशक इससे बाहर रह गए, खासकर वे जिनके ट्रांसफर डीड तय समय सीमा के अंदर कभी जमा नहीं किए गए थे।
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इस समस्या को हल करने के लिए, SEBI ने अब उन इन्वेस्टर्स के लिए एक और मौका दिया है जिनके पास 1 अप्रैल, 2019 से पहले खरीदे गए शेयरों के ओरिजिनल फिजिकल सर्टिफिकेट और ट्रांसफर डीड हैं। इन ट्रांसफर को अब रजिस्ट्रार और कंपनियों द्वारा कड़ी जांच-पड़ताल के बाद फिर से जमा किया जा सकता है। जिन मामलों में विवाद या धोखाधड़ी का शक है, वे इसके लिए योग्य नहीं होंगे।

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