दीपावली के मौके पर बाजार की दिशा पर सौरभ मुखर्जी ने दी बेबाक राय, संवत 2082 के लिए क्या है निवेश की रणनीति?
दिवाली के अवसर पर, सौरभ मुखर्जी ने संवत 2082 के लिए भारतीय और वैश्विक बाजारों पर अपनी राय दी। उन्होंने भारतीय बाजार के प्रदर्शन, निवेशकों के लिए चेतावनी, अमेरिकी बाजार में अवसर, सरकार के प्रोत्साहन उपाय, नौकरियों पर खतरा और एफटीए की आवश्यकता पर बात की। उन्होंने निवेश के लिए बेहतर विकल्प और बाजार के भविष्य पर भी अपने विचार व्यक्त किए।

नई दिल्ली। दिवाली के खास मौके पर दैनिक जागरण बिजनेस की कंसल्टिंग एडिटर गीतू मोजा के साथ दीपावली विशेष कार्यक्रम के दौरान मशहूर निवेशक और मार्सलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के फाउंडर और CIO सौरभ मुखर्जी ने संवत 2082 के लिए भारतीय और वैश्विक बाजारों को लेकर अपनी राय साझा की।
उन्होंने कहा कि संवत 2081 घरेलू मोर्चे पर कई सकारात्मक पहलुओं के बावजूद चुनौतियों भरा रहा। भारत ने वैश्विक बाजारों की तुलना में अंडरपरफॉर्म किया, जबकि घरेलू स्तर पर GST रेट्स में कटौती और GDP ग्रोथ जैसे कारक सकारात्मक रहे। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत में अर्निंग ग्रोथ लगातार दो सालों से कमजोर रही है और अब यह लगभग 5% के आसपास सिमट गई है, जबकि बाज़ार मल्टीपल्स अभी भी ऊंचे हैं। यह खासकर स्मॉल और मिडकैप शेयरों में दिख रहा है।
मुखर्जी ने निवेशकों को चेतावनी दी कि भारत के स्मॉल और मिडकैप शेयरों की वैल्यूएशन फैंटेसी लेवल पर है और इन क्षेत्रों में निवेश कर रहे लोग कल्पना की दुनिया में जी रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि एक समझदार निवेशक को अब पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन की दिशा में सोचना चाहिए। 50% भारत और 50% अमेरिका जैसे विकसित बाजारों में निवेश करना चाहिए। अमेरिका के स्मॉल और मिडकैप स्टॉक्स को उन्होंने आकर्षक बताया जो 15-17 पीई मल्टीपल पर ट्रेड हो रहे हैं और जिनकी अर्निंग ग्रोथ भारत की तुलना में दोगुनी है।
उन्होंने भारत सरकार के हालिया पांच उपायों की सराहना की जो कंजम्पशन को प्रोत्साहित करने के लिए किए गए। इनमें जैसे इनकम टैक्स में राहत, GST में कटौती, रेपो रेट में कमी, रियल मनी गेमिंग पर रोक, और संभावित F&O ट्रेडिंग पर पाबंदी शामिल है। इन प्रयासों से लगभग ₹6 लाख करोड़ का आर्थिक स्टिमुलस तैयार हुआ है जो आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था को सहारा दे सकता है।
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हालांकि, उन्होंने यह भी आगाह किया कि AI और ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ से भारत की व्हाइट कॉलर और ब्लू कॉलर नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है, जिससे घरेलू कंजम्पशन कमजोर हो सकता है। सौरभ का मानना है कि भारत को अमेरिका के साथ FTA साइन करना ही होगा, जिससे भारतीय एक्सपोर्ट्स को राहत मिलेगी और सस्ते अमेरिकी खाद्य पदार्थ भारत आकर CPI को नियंत्रित करेंगे। इससे RBI को रेट कट करने का स्पेस मिलेगा और मिडिल क्लास को राहत मिलेगी।
डोमेस्टिक इंजन की बात करें तो उन्होंने HDFC Bank, ICICI Bank जैसे हाई क्वालिटी लार्ज कैप बैंकों में अवसर बताया, जबकि स्मॉल बैंकों और NBFCs के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण बताया। साथ ही, हेल्थकेयर और हॉस्पिटल्स सेक्टर (जैसे नारायण हृदयालय, डॉ लाल, विजय डायग्नोस्टिक्स) और स्पेशलाइज्ड एक्सपोर्टर्स (जैसे गर्बारे टेक्निकल फाइबर्स) को भी उन्होंने मजबूत निवेश थीम बताया है।
गोल्ड और सिल्वर पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि फिलहाल इनकी कीमतें डर पर आधारित हैं, और जब वैश्विक स्तर पर डर घटेगा, तब ये सस्ते होंगे और तब डायवर्सिफिकेशन के लिए बेहतर विकल्प बन सकते हैं।
अंत में, उन्होंने FII फ्लो पर कहा कि जब रुपया स्थिर होगा, US-India संबंध सुधरेंगे और अर्निंग्स में सुधार दिखेगा, तभी FII लौटेंगे। अगले 12 महीनों में बाजार नए ऑल-टाइम हाई पर जाएगा या नहीं, इसका पूर्वानुमान देना कठिन है, लेकिन लॉन्ग टर्म में भारत की ग्रोथ स्टोरी मजबूत बनी हुई है। उन्होंने निवेशकों से कहा कि बाजार में कंपाउंडिंग का आनंद लेने के लिए विवेकपूर्ण और संतुलित रणनीति अपनाएं।
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(डिस्क्लेमर: यहां शेयरों को लेकर दी गई जानकारी निवेश की राय नहीं है। चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)
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