NSE का नया कीर्तिमान, ट्रेडिंग खाते हुए 23 करोड़ पार, जानें उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की कितनी रही हिस्सेदारी
भारतीय राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) जुलाई 2025 में 23 करोड़ अद्वितीय ट्रेडिंग खातों के साथ एक नया रिकॉर्ड (NSE trading accounts) बनाएगा। खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी के कारण यह उपलब्धि अप्रैल में 22 करोड़ का आंकड़ा पार करने के तीन महीने बाद ही हासिल हुई है। एनएसई और सेबी निवेशक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) जुलाई 2025 में एक नया कीर्तिमान हासिल करेगा, जहाँ यूनिक ट्रेडिंग खातों की संख्या 23 करोड़ (230 मिलियन) को पार कर जाएगी। यह अप्रैल में 22 करोड़ का आंकड़ा पार करने के ठीक तीन महीने बाद हुआ है, जो खुदरा निवेशकों की भागीदारी में लगातार बढ़ोतरी को दिखाता है। NSE पर 28 जुलाई, 2025 तक यूनिक रजिस्टर निवेशकों की संख्या 11.8 करोड़ थी।
हालांकि व्यक्तिगत निवेशक विभिन्न ब्रोकरों के कई खाते रख सकते हैं, जिससे उनके एक से ज़्यादा क्लाइंट कोड बन सकते हैं, लेकिन क्षेत्रीय वितरण आँकड़े दर्शाते हैं कि महाराष्ट्र लगभग 4 करोड़ खातों (17% हिस्सेदारी) के साथ सबसे आगे बना हुआ है। इसके बाद उत्तर प्रदेश 2.5 करोड़ खातों (11%), गुजरात 2 करोड़ से ज़्यादा खातों (9%), और पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान 1.3 करोड़ से ज़्यादा खातों (प्रत्येक 6% हिस्सेदारी) के साथ दूसरे स्थान पर है। ये पाँच राज्य मिलकर कुल NSE ट्रेडिंग खातों का लगभग आधा हिस्सा बनाते हैं , जबकि टॉप 10 राज्यों की हिस्सेदारी कुल खातों का लगभग 75% है।
नए निवेशकों का एक बड़ा हिस्सा युवा और पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों का है। इसके जवाब में, NSE और सेबी ने जोखिम प्रबंधन, धोखाधड़ी रोकथाम और दीर्घकालिक निवेश पर केंद्रित निवेशक शिक्षा पहलों को तेज कर दिया है।
NSE द्वारा आयोजित निवेशक जागरूकता कार्यक्रमों (आईएपी) की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 20 में 3,504 से बढ़कर वित्त वर्ष 25 में 14,679 हो गई और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 8 लाख से अधिक प्रतिभागियों तक पहुँच बना रही है। NSE निवेशक सुरक्षा कोष (आईपीएफ) भी साल-दर-साल 22% बढ़कर 30 जून, 2025 तक 2,573 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है।
वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा भारतीय इक्विटी बाजारों के मजबूत प्रदर्शन के साथ मेल खाता है। पिछले पाँच वर्षों में, निफ्टी 50 और निफ्टी 500 ने क्रमशः 17% और 20% से अधिक का वार्षिक रिटर्न दिया है। खुदरा निवेशकों की भागीदारी में तेजी से बढ़ोतरी डिजिटलीकरण, फिनटेक प्लेटफॉर्म तक बढ़ती पहुँच के कारण हुई है।
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