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    अदाणी-टाटा ग्रुप का स्टॉक नहीं, FII इस पावर शेयर पर चुपचाप लगा रहे बड़ा दांव; किसी को भनक तक नहीं!

    Updated: Sat, 20 Dec 2025 07:10 PM (IST)

    भारतीय एनर्जी क्षेत्र में दबाव के बावजूद, हिताची एनर्जी इंडिया में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने Q2FY26 में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। रिन्यूएबल ए ...और पढ़ें

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    भारतीय एनर्जी क्षेत्र बीते एक साल से दबाव में है। कमजोर डिस्कॉम्स, इंफ्रास्ट्रक्चर की बाधाएं और नीतिगत अनिश्चितताओं के चलते सेक्टर का प्रदर्शन फीका रहा है। NSE डाटा के मुताबिक इसका असर निफ्टी एनर्जी इंडेक्स पर भी साफ दिखा, जो पिछले एक वर्ष में करीब 3.3% तक गिर चुका है।

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    लेकिन इस सुस्ती के बीच विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) एक ऐसे पावर स्टॉक में आक्रामक तरीके से खरीदारी कर रहे हैं, जो न तो अडानी समूह से जुड़ा है और न ही टाटा समूह से। इस कंपनी का नाम हिताची एनर्जी इंडिया (Hitachi Energy India Share Price) है ।

    गिरते शेयर में भरोसे की खरीद

    Q2FY26 के दौरान FIIs ने हिताची एनर्जी इंडिया में अपनी हिस्सेदारी 2.48 प्रतिशत अंक बढ़ाई, जिससे कुल FII होल्डिंग 9.7% तक पहुंच गई। दिलचस्प बात यह है कि एक साल पहले तक FIIs की हिस्सेदारी केवल 5.1% थी। यानी महज एक साल के अंदर विदेशी निवेशकों का भरोसा इस स्टॉक पर काफी बढ़ा है।

    साथ ही रोचक यह है कि FIIs ने यहखरीदारी ऐसे समय की जब शेयर की कीमत गिर रही थी। तिमाही की शुरुआत में शेयर लगभग ₹20,000 पर था, जो तिमाही के अंत तक गिरकर करीब ₹18,000 रह गया। इसके बाद आई रिकवरी से साफ है कि FIIs ने इस गिरावट को मौके के रूप में देखा।

    किस वजह से बढ़ रही दिलचस्प?

    FIIs की दिलचस्पी के पीछे सबसे बड़ी वजह कंपनी का वह बिजनेस मॉडल है, जो ऊर्जा क्षेत्र की एक बुनियादी समस्या ट्रांसमिशन और ग्रिड बॉटलनेक को सुलझाने पर फोकस कर रही है। हिताची एनर्जी इंडिया एनर्जी स्टोरेज, हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन और ग्रिड ऑटोमेशन जैसे अहम क्षेत्रों में काम करती है।

    कंपनी डिस्कॉम्स को ऐसे डिजिटल और इंजीनियरिंग समाधान देती है, जिससे वे अपने ट्रांसमिशन नेटवर्क की बेहतर निगरानी और प्रबंधन कर सकें। इसके अलावा, हाई-वोल्टेज टेक्नोलॉजी, पावर ट्रांसफॉर्मर, ट्रैक्शन ट्रांसफॉर्मर और ट्रांसफॉर्मर सर्विसेज में भी इसकी मजबूत पकड़ मानी जाती है।

    ऑर्डर बुक में रिन्यूएबल्स की चमक

    जुलाई–सितंबर तिमाही की ऑर्डर बुक कंपनी के भविष्य की दिशा दिखाती है। रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़े ऑर्डर्स में सालाना आधार पर करीब 40% की बढ़त दर्ज की गई, जबकि रेलवे और मेट्रो सेगमेंट में 61% की तेज वृद्धि देखने को मिली।

    हालांकि तस्वीर पूरी तरह एकतरफा नहीं है। ट्रांसमिशन बिजनेस और डेटा सेंटर्स से जुड़े ऑर्डर्स में गिरावट भी दर्ज की गई, जो यह दिखाती है कि कुछ सेगमेंट फिलहाल सुस्ती के दौर से गुजर रहे हैं।

    भारत से बाहर भी बढ़ती मौजूदगी

    FIIs के लिए एक और बड़ा आकर्षण कंपनी का तेजी से बढ़ता एक्सपोर्ट बिजनेस है। तिमाही के दौरान एक्सपोर्ट ऑर्डर्स में 59% की सालाना बढ़ोतरी हुई। ये ऑर्डर्स यूरोप, मिडिल ईस्ट, नॉर्थ अमेरिका और साउथ-ईस्ट एशिया जैसे बाजारों से आए हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि कंपनी सिर्फ घरेलू नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी स्थिति मजबूत कर रही है।

    मेगा प्रोजेक्ट और मजबूत फाइनेंशियल्स

    हिताची एनर्जी इंडिया को BHEL के साथ मिलकर राजस्थान से उत्तर प्रदेश तक 950 किलोमीटर लंबी HVDC ट्रांसमिशन लाइन बनाने का बड़ा प्रोजेक्ट मिला है। इस परियोजना के जरिए 6 करोड़ से ज्यादा घरों तक बिजली पहुंचाई जाएगी, जो भारत के 500 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्य का अहम हिस्सा है।

    फाइनेंशियल्स की बात करें तो Q2FY26 में कंपनी की बिक्री 17.9% बढ़कर ₹1,833 करोड़ हो गई, जबकि नेट प्रॉफिट में 406% की जबरदस्त छलांग लगाकर यह ₹264 करोड़ पर पहुंच गया।

    क्या हैं जोखिम समझ लीजिए?

    मजबूत ग्रोथ के बावजूद स्टॉक सस्ता नहीं है। इसका P/E रेशियो 112x से ज्यादा है, जो इंडस्ट्री औसत से कहीं ऊपर है। लंबी अवधि के ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स में देरी, रेगुलेटरी अड़चनें, कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और नीतिगत बदलाव जैसे जोखिम भी बने हुए हैं। ऐसे में किसी भी तरह की एग्जीक्यूशन चूक शेयर में तेज गिरावट ला सकती है।

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