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    Exclusive Interview: 60% मुनाफा हर साल डिविडेंड के रूप में बांटेगी ICICI प्रूडेंशियल एएमसी, मैनेजमेंट ने बताया पूरा प्लान 

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 08:05 PM (IST)

    देश की दूसरी सबसे बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनी ICICI प्रूडेंशियल एएमसी का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए खुला हुआ है। 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का यह आईपीओ दूस ...और पढ़ें

    देश की दूसरी सबसे बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनी ICICI प्रूडेंशियल एएमसी का आईपीओ (ICICI Prudential AMC IPO) सब्सक्रिप्शन के लिए खुला हुआ है। 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक का यह आईपीओ दूसरे दिन दो गुना से अधिक सब्सक्राइब हो चुका है। मंगलवार इसके लिए आवेदन करने का आखिरी दिन है। ऐसे में जागरण बिजनेस के एडिटर स्कन्द विवेक धर ने ICICI प्रूडेंशियल एएमसी के प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट चिंतन हरिया से बात की। इस बातचीत को आप ऊपर वीडियो में भी देख सकते हैं। 

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    पिछले कुछ समय से हम देख रहे हैं ज्यादातर आईपीओ ऑफर फॉर सेल के तौर पर आ रहे हैं। आपका आईपीओ भी 100% ऑफर फॉर सेल है। क्या आपको बिजनेस ग्रोथ के लिए पैसे की जरूरत नहीं है? इसे आप कैसे एक्सप्लेन करेंगे?

    एसेट मैनेजमेंट कंपनी का बिजनेस बहुत ही कैपिटल लाइट होता है। यहां पर ज्यादा कैपिटल की जरूरत नहीं होती। आज हमारा तकरीबन 10 लाख करोड़ के आसपास का एजेट अंडर मैनेजमेंट है। ऑपरेटिंग प्रॉफिट भी काफी अच्छा है। हमने अपने आरएफपी में भी कहा है कि आगे भी जो मुनाफा होगा उसका न्यूनतम 60% हम डिविडेंड के तौर पर देंगे तो क्योंकि हमें कैपिटल की जरूरत नहीं है। 

    आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के दो प्रमोटर्स हैं। ICICI बैंक की इसमें 51% हिस्सेदारी है और प्रुडेंशियल कॉर्प की 49%। प्रूडेंशियल 25 सालों से ज्यादा तक इस जॉइंट वेंचर में निवेशक रहा है और अब वह अपनी कुछ हिस्सेदारी इस आईपीओ के जरिए बेच रहा है। इसलिए यह आईपीओ एक ऑफर फॉर सेल है। ICICI Bank इसमें अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच रहा है, उल्टा आईपीओ प्राइस पर बैंक ने 2% हिस्सेदारी प्रूडेंशियल से खरीदी है। 

    तो क्या हम ऐसा कह सकते हैं कि आपको आईपीओ लाने की कोई जरूरत नहीं थी और यह आईपीओ सिर्फ प्रूडेंशियल कॉर्प की मांंग पर आ रहा है? 

    बिल्कुल, आपने सही कहा कि प्रूडेंशियल जो एक शेयर होल्डर है, उन्होंने इंटरनली तय किया कि उनको उनको कुछ हिस्सेदारी बेचनी है। इसके बाद बोर्ड की सहमति से यह आईपीओ आया। 

    वैल्यूएशन की बात करें तो आपका आईपीओ अपर प्राइस बैंड पर FY25 की अर्निंग के हिसाब से करीब 40 पीई पर है। बाजार में पहले से लिस्ट बड़ी एएमसी को देखें तो एचडीएफसी एएमसी का शेयर 44 के पीई के करीब और निप्पन इंडिया का शेयर 41 पीई के करीब ट्रेड कर रहा है। आप को नहीं लगता निवेशकों के लिए आपको वैल्यूएशन में थोड़ी गुंजाइश और देनी थी?  

    आपने जो तुलना की वह प्राइस टू इक्विटी मतलब प्राइस टू अर्निंग्स रेशियो पर की, लेकिन हम ऑपरेटिंग प्रॉफिट  मैट्रिक को बहुत इंपोर्टेंट मानते हैं। ऑपरेटिंग प्रॉफिट के मामले में ICICI प्रुडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी देश की सबसे बड़ी एएमसी है। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में जितना मुनाफा होता है, उसमें हमारी हिस्सेदारी 20% से ज्यादा है और यह एक इंपॉर्टेंट मैट्रिक है। भारत में जो भी कस्टमर फेसिंग बिजनेस है उसके साथ अगर आप तुलना करेंगे तो शायद आपको यह आईपीओ उतना महंगा ना लगे। 

    प्री-आईपीओ और जो एंकर इन्वेस्टमेंट राउंड में म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस कंपनीज और सॉवरन फंड्स ने जिस तरह से हिस्सा लिया है, उससे एक बात का पता चल सकता है कि इंडिया की म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कॉन्फिडेंस लंबी अवधि की ग्रोथ के लिए काफी स्ट्रॉन्ग है।

    आईपीओ के बाद भी आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी करीब 90% रहेगी। सेबी के नियमों के मुताबिक, आपको 3-5 साल में इसे घटाकर 75 फीसदी करना होगा। यानी 15% शेयर और ऑफ लोड करने होंगे। क्या इसमें icici bank भी अपनी हिस्सेदारी बेच सकता है? 

    आपने सही कहा, सेबी के करंट रेगुलेशन के हिसाब से न्यूनतम शेयर होल्डिंग 75% करनी पड़ती है। जो रेगुलेशन है उसके हिसाब से तीन या पांच साल में वह न्यूनतम स्तर पर पहुंचना पड़ता है। आप 10% से स्टार्ट करते हैं और फिर 25% पर पहुंचते हैं। अभी जो हिस्सेदारी प्रूडेंशियल बेच रहा है वह 10% और 2.5% प्री-आईपीओ मिलाकर  12.5% हिस्सेदारी बिक रही है। आगे का जो 12.5% हिस्सेदरी बिकनी है वह भी प्रूडेंशियल के ओर से होगी। ICICI Bank ने कहा है कि वह अपनी हिस्सेदारी 51% पर बरकरार रखेगी और वह मार्केट में शेयर नहीं बेचेगी। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी icici bank की सब्सिडरी बनी रहेगी। 

    म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने बीते एक दशक में बहुत ग्रोथ किया है। इसके चलते बहुत की कंपनियां मार्केट में आ गई हैं। आज की डेट में 50 कंपनियां इंडस्ट्री में मौजूद हैं। इतने कंपटीटिव मार्केट में अपना मार्केट शेयर कैसे बचाएंगे?

    पिछले 10 सालों से हमारा मार्केट शेयर 13% के आसपास बना हुआ है। इस दौरान बहुत से नए प्लेयर आए। हम हमारा मार्केट शेयर इसलिए मेंटेन कर पाए हैं क्योंकि हमारे जो प्रोडक्ट हैं, उन्हें हमने अच्छे से मैनेज करके रखा है। और जो नए प्लेयर आ भी रहे हैं उन्हें हम कंपटीशन नहीं मानते, हम उसे मार्केट क्रिएशन मानते हैं। म्यूचुअल फंड इंडस्ट्रीज से नए लोग इसलिए जुड़ रहे हैं, क्योंकि उनको ग्रोथ दिख रहा है। अगर हम अच्छे से मैनेज कर पाए तो सबकी ग्रोथ होगी, क्योंकि पूरा मार्केट एक्सपैंड हो रहा है।

    म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में एक्सपेंस एक्सपेंस रेशियो इतने कम हो चुके हैं कि अब बहुत ज्यादा कमाई की गुंजाइश नहीं रह गई है। ना डिस्ट्रीब्यूटर के लिए ना ही कंपनियों के लिए। क्या आपके लिए यह एक चैलेंज है या आपको लगता है कि अभी भी काफी स्पेस है?

    एक्टिव फंड भारत में बहुत ही कंट्रोल्ड हैं। हम बहुत ही कंट्रोल्ड तरीके से एक्सपेंस रेश्यो चार्ज कर पाते हैं। वो टेलिस्कोपिक प्राइसिंग है जैसे जैसे एयूएम बढ़ता है, वैसे-वैसे फंड का एक्सपेंस रेशियो भी कम होता है। एक्सपेंस रेशियो कम होने से  फंड की लागत इन्वेस्टर के लिए वह कम होते जाती है। यह निवेशकों के लिए काफी अच्छा है। लेकिन एक्सपेंस रेशियो का कम होना एक एक्टिव फंड मैनेजर के लिए भी अच्छा होता है, क्योंकि इससे उसे बेंचमार्क को बीट करना आसान हो जाता है। 

    देखिए भारत में किसी भी बिजनेस को स्केल पर देखा जाना चाहिए, इकोनॉमी पर देखा जाना चाहिए, वॉल्यूम पर देखा जाना चाहिए ना कि मार्जिन पर। क्योंकि वॉल्यूम्स इतने बड़े हैं कि मार्जिन अपने आप मैनेज हो जाते हैं। या मार्जिन भले ही कम हो मुनाफा बड़ा हो जाता है, क्योंकि आपका वॉल्यूम बहुत अधिक है। तो इंडिया में स्केल गेम इंपॉर्टेंट है। आप अगर बड़ा पैसा मैनेज कर पा रहे हैं तो आपके मार्जिन कम भी होते हो तो भी आपके मुनाफा बढ़ जाता है और इसलिए हम बिल्कुल चिंता नहीं करते अगर एक्सपेंस रेशियो भी कम होते हैं।

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