कम रिस्क, अच्छा रिटर्न; कैसे करें किसी शेयर का फंडामेंटल एनालिसिस
फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental analysis for share) एक ऐसी विधि है जिससे कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य का अनुमान लगाया जाता है जिससे पता चलता है कि शेयर कितना दमदार है। इसके दो भाग हैं क्वालिटेटिव एनालिसिस जिसमें कंपनी के मैनेजमेंट का अनुभव आदि शामिल हैं और क्वांटिटेटिव एनालिसिस जिसमें कंपनी की कमाई और फाइनेंशियल रेश्यो शामिल हैं।

नई दिल्ली। अक्सर ऐसा होता है कि किसी शेयर का जो मौजूदा प्राइस बाजार में दिख रहा है, वो उसकी असली वैल्यू नहीं होती। हो सकता है वो शेयर ओवरवैल्यूड हो यानी उसकी कीमत जरूरत से ज्यादा हो... या फिर ये भी हो सकता है कि अंडरवैल्यूड हो यानी सस्ती हो लेकिन असल में कंपनी मजबूत हो। तो यहां असली सवाल ये है कि किसी शेयर की सही वैल्यू की पहचान कैसे की जाए?
इसका सबसे सटीक जवाब है फंडामेंटल एनालिसिस ही है। ये एक ऐसा मेथड है जिससे हम कंपनी की सेहत (Financial Health) के बारे में अनुमान लगाते हैं। समझते हैं कि वो शेयर असल में कितना काम का है या दमदार है। इससे हमें लॉन्ग टर्म के लिए सही कंपनियों में निवेश करने में बहुत मदद मिलती है।
फंडामेंटल एनालिसिस के होते हैं दो हिस्से
1. क्वालिटेटिव एनालिसिस (Qualitative Analysis)
ये वो चीजें होती हैं जिन्हें हम नंबर में नहीं समझ सकते। यानी कंपनी के मैनेजमेंट का अनुभव, इंडस्ट्री में उसका नाम, कॉम्पिटीशन से वो कैसे निपट रही है, कॉरपोरेट गवर्नेंस कैसा है आदि चीजें होती हैं।
2. क्वांटिटेटिव एनालिसिस (Quantitative Analysis)
ये सीधे-सीधे नंबरों से जुड़ा होता है। जैसे कि कंपनी की कमाई, मुनाफा, रिटर्न ऑन इक्विटी, फ्यूचर ग्रोथ और सबसे जरूरी बात फाइनेंशियल रेश्यो।
चलिए अब कुछ जरूरी फाइनेंशियल रेश्यो के बारे में जानते हैं
1. P/E रेश्यो (Price to Earnings)
P/E फॉर्मूला
शेयर की कीमत ÷ प्रति शेयर कमाई (EPS)
P/E का मतलब
जितना कम P/E, उतना सस्ता शेयर लेकिन सेक्टर पर भी तय होता है।
2. P/BV रेश्यो (Price to Book Value)
फॉर्मूला
शेयर की कीमत ÷ प्रति शेयर बुक वैल्यू
P/BV का मतलब
अगर ये रेश्यो कम है तो शेयर अंडरवैल्यू हो सकता है। लेकिन हर सेक्टर का अपना स्टैंडर्ड होता है।
3. ROE (Return on Equity)
फॉर्मूला
नेट इनकम ÷ औसत शेयरहोल्डर्स इक्विटी
ROE का मतलब
इससे पता चलता है कि कंपनी शेयरहोल्डर्स के पैसे से कितना मुनाफा कमा रही है।
4. Debt to Equity Ratio
फॉर्मूला
कुल लायबिलिटी ÷ शेयरहोल्डर्स इक्विटी
Debt to Equity Ratio का मतलब
अगर ये रेश्यो 1 से ज्यादा है तो कंपनी पर ज्यादा कर्ज है, जो थोड़ा रिस्की हो सकता है।
5. Current Ratio
फॉर्मूला
करेंट एसेट्स ÷ करेंट लायबिलिटीज
करेंट रेशियो का मतलब
ये बताता है कि कंपनी अपनी शॉर्ट टर्म जिम्मेदारियों को निभाने में कितनी सक्षम है। 1 से ऊपर होना बेहतर माना जाता है।
"शेयर से जुड़े अपने सवाल आप हमें business@jagrannewmedia.com पर भेज सकते हैं।"
(डिस्क्लेमर: यहां शेयरों को लेकर दी गई जानकारी निवेश की राय नहीं है। चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)
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