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    विदेशी निवेशकों ने 2025 में भारतीय शेयरों से निकाले रिकॉर्ड 1.58 लाख करोड़, क्या 2026 में आएंगे वापस?

    By Agency CENTRALDESKEdited By: Ashish Kushwaha
    Updated: Sun, 28 Dec 2025 08:30 PM (IST)

    विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने 2025 में भारतीय शेयरों से रिकॉर्ड 1.58 लाख करोड़ रुपये निकाले, जो अब तक की सबसे अधिक निकासी है। मुद्रा में उता ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) 2025 में अब तक 1.58 लाख करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। यह भारतीय शेयर बाजारों के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक निकासी है। इस निकासी का प्रमुख कारण मुद्रा में उतार-चढ़ाव, वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिकी टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता और उच्च मूल्यांकन रहा है, जिस कारण विदेशी निवेशकों ने कम जोखिम का रुख अपनाया है। हालांकि, 2026 में एफपीआइ निवेश स्थायी रूप से सकारात्मक होने की उम्मीद है।

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    नेशनल सिक्योरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, 26 दिसंबर तक एफपीआइ भारतीय शेयरों से 1,58,409 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। वहीं, डेट या बांड बाजारों में 59,390 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं। 2025 की निकासी ने 2022 के रिकार्ड को भी पीछे छोड़ दिया है। तब एफपीआइ ने भारतीय शेयरों से 1.21 लाख करोड़ रुपये की रिकार्ड निकासी की थी। मासिक आधार पर निवेश की बात करें तो एफपीआइ ने 2025 में 12 में से आठ महीनों में शेयर बेचे। एफपीआइ द्वारा शेयरों की बिक्री को घरेलू संस्थागत निवेशकों की मजबूत खरीद से सहारा मिला है।

    शेयरों के विपरीत, एफपीआई ने डेट में स्पष्ट प्राथमिकता दिखाई। वर्ष के दौरान एफपीआइ ने वित्तीय सेवाओं और आइटी से सबसे अधिक निकासी की है, जबकि स्वास्थ्य देखभाल और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र ने निवेश आकर्षित किया है।

    हम उम्मीद करते हैं कि एफपीआइ भारत में स्थायी रूप से लौटेंगे क्योंकि कैलेंडर वर्ष 2026 में नामिनल वृद्धि और आय में सुधार होगा। अमेरिका के साथ व्यापार सौदे का समापन टैरिफ अंतर को कम करेगा, जबकि फेड की दर में कटौती डालर को कमजोर रखेगी, जिससे उभरते बाजार की संपत्तियों को लाभ होगा। वैश्विक सहारों के अलावा घरेलू कारक भी एफपीआइ निवेश को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। -एलारा सिक्योरिटीज इंडिया की शोध उपाध्यक्ष और अर्थशास्त्री गरिमा कपूर 

    ओम्नीसाइंस कैपिटल के सीईओ और मुख्य निवेश रणनीतिकार विकास गुप्ता ने कहा कि भारतीय आय की वृद्धि, नीतिगत निरंतरता और सुधार प्रमुख कारकों के रूप में कार्य कर सकते हैं।

    अगले वर्ष यानी 2026 में एफपीआइ गतिविधियां वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों की दिशा और टैरिफ से जुड़े घटनाक्रमों से प्रभावित होंगी। अमेरिकी बांड यील्ड में कमी और कमजोर डालर शेयरों में एफपीआइ प्रवाह को पुनर्जीवित करने में मदद कर सकते हैं।हिमांशु श्रीवास्तव, प्रमुख शोध प्रबंधक, मार्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया

    दिसंबर के चौथे सप्ताह में बढ़ी निकासीएफपीआइ के डाटा के अनुसार, दिसंबर के चौथे सप्ताह (22-26 दिसंबर) के दौरान एफपीआइ की निकासी बढ़कर 14,734 करोड़ रुपये हो गई है। 19 दिसंबर को समाप्त हुए तीसरे सप्ताह तक एफपीआइ की कुल निकासी 14,185 करोड़ रुपये थी।

    2025 में किस महीने कितना रहा एफपीआइ का निवेश?

    महीना FPI निवेश (₹ करोड़ में)
    जनवरी -78,027
    फरवरी -34,574
    मार्च -3,973
    अप्रैल 4,223
    मई 19,860
    जून 14,590
    जुलाई -17,741
    अगस्त -34,993
    सितंबर -23,885
    अक्टूबर 14,610
    नवंबर -3,765
    दिसंबर* -14,734

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