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    EPF Interest Rate: रेपो रेट घटने के बाद क्या कम होगी EPF पर ब्याज दर? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

    रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट घटाने के बाद बैंकों के ब्याज दरों में कमी की संभावना जताई जा रही है लेकिन कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर ब्याज दर में इस साल कोई परिवर्तन नहीं होने की उम्मीद है। श्रम मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि चालू वित्त वर्ष में 8.25% ब्याज दर स्थिर रहेगी। 2024-25 में भी इसमें कोई बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है।

    By Sanjay Mishra Edited By: Chandan Kumar Updated: Thu, 20 Feb 2025 10:00 PM (IST)
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    ईपीएफ में वर्तमान में साढे छह करोड़ से अधिक सदस्य हैं।

    संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के लंबे अरसे के बाद रेपो रेट घटाने के बाद बैंकों की ओर से ब्याज दरों में कटौती देर-सवेर तय मानी जा रही है मगर कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) ब्याज पर कम से कम इस साल इसका असर पड़ने की आशंका नहीं है।

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    श्रम मंत्रालय से मिले संकेतों के अनुसार वर्तमान वित्तीय वर्ष में ब्याज दर में चाहे बढ़ोतरी न हो मगर पिछले साल की तुलना में इसमें कमी की कोई संभावना नहीं है। इसका मतलब साफ है कि चालू वित्त वर्ष में ईपीएफ निवेश में स्थिरता बनी रहेगी और 2024-25 में ईपीएफ पर 8.25 प्रतिशत ब्याज दिया जाना लगभग तय है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की अगले हफ्ते होने वाली बैठक में वर्तमान वर्ष के ईपीएफ ब्याज दर पर आधिकारिक फैसला किया जाएगा।

     ईपीएफ ब्याज पर भी असर की अटकलें

    सूत्रों के अनुसार ईपीएफओ ने वर्ष 2024-25 के लिए अपनी आय-व्यय का पूरा अनुमान लगाने के बाद श्रम मंत्रालय के साथ प्रस्तावित ब्याज दर को लेकर चर्चा पूरी कर ली है। रिजर्व बैंक के रेपो रेट में कटौती के बाद बैंकों की ओर से निवेश जमा और कर्ज पर ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को देखते हुए ईपीएफ ब्याज पर भी इसका असर पड़ने की अटकलें लगाई जाने लगी।

    हालांकि सामाजिक सुरक्षा की सबसे बड़ी छतरी माने जाने वाले ईपीएफ पर ब्याज के मामले में श्रम मंत्रालय वर्तमान वित्त वर्ष के आखिरी दो महीने के रेपो रेट को आधार बनाकर फैसला लेने के पक्ष में नहीं है। पिछले दिनों ईपीएफओ ने चालू साल के अपने आय-व्यय से लेकर वर्तमान तथा भविष्य के निवेश संबंधी विस्तृत ब्यौरे की श्रम मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुति दी। समझा जाता है कि ईपीएफओ के साथ इस मसले पर हुई बैठक में श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया भी ईपीएफ पर ब्याज में स्थिरता कायम रखने की राय जाहिर की।

    रेपो रेट में भी 0.25 प्रतिशत की कमी

    ईपीएफ में वर्तमान में साढे छह करोड़ से अधिक सदस्य हैं और राजनीतिक रूप से ईपीएफ ब्याज हमेशा ही संवेदनशील मसला होता है। वैसे पिछले वर्ष सितंबर में पूंजी बाजार की तेजी और बैंकों के सावधि जमा पर आठ प्रतिशत से अधिक ब्याज दिए जाने को देखते हुए मंत्रालय में एक समय चालू वर्ष के दौरान ईपीएफ पर 8.40 प्रतिशत ब्याज देने की संभावनाएं भी जगी थी। मगर पूंजी बाजार बीते पांच महीने से भारी उतार-चढ़ाव से रूबरू हो रहा और रेपो रेट में भी 0.25 प्रतिशत की कमी हो चुकी है।

    ऐसे में 2023-24 की तरह ईपीएफ पर इस साल 8.25 प्रतिशत बनाए रखना अहम है। श्रम मंत्रालय ने ईपीएफओ के ब्याज दर प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति दे दी है जिस पर 28 फरवरी को सीबीटी की बैठक में विचार कर फैसला लिया जाएगा। सीबीटी ही ब्याज दर तय करने के प्रस्ताव का अनुमोदन करती है। सीबीटी की अनुशंसा पर वित्त मंत्रालय अंतिम निर्णय करता है। अमूमन सीबीटी की सिफारिशों को वित्त मंत्रालय को मंजूर कर लेता है और इसके बाद ही ईपीएफ पर चालू वर्ष के ब्याज की रकम सदस्यों के खाते में जमा होती है।

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