NPS vs FD vs Mutual Fund: किसमें निवेश हैं अधिक फायदे का सौदा, इस आधार पर लें निर्णय
NPS vs FD vs Mutual Fund अगर आप भी सोच रहे हैं कि एनपीएस एफडी और म्यूचुअल फंड में से किसमें निवेश किया जाएं तो ये खबर आपके लिए है। इसमें हम तीनों योजनाओं और उनके जोखिमों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। (जागरण फाइल फोटो)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। NPS vs FD vs Mutual Fund: निवेश को लेकर कहा जाता है कि जितनी जल्दी शुरुआत करें, उतना ही अच्छा होता है। निवेश की मदद से आप अपने पैसे को समय के साथ बढ़ा सकते हैं और बड़े खर्चों के साथ अपने सपनों को आसानी से पूरा कर सकते हैं, लेकिन निवेश के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आपके पास एक सही प्लान होना जरूरी है। देखा जाता है कि काफी लोग निवेश करते समय एनपीएस, एफडी और म्यूचुअल फंड को लेकर कंफ्यूजन रहते हैं।
NPS, FD और Mutual Fund में से किसमें करना चाहिए निवेश
निवेश करते समय हमेशा अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर पोर्टफोलियो को तैयार करना चाहिए। एनपीएस, एफडी और म्यूचुअल फंड तीनों अलग तरह की योजानएं, जो समय की साथ- साथ अलग-अलग रिटर्न देती हैं।
NPS एक पेंशन योजना है। अगर आप रिटायरमेंट को ध्यान में रखकर निवेश कर रहे हैं, तो फिर इसे अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना बहुत जरूरी है। एनपीएस में पैसा आपको 60 वर्ष के बाद ही मिलता है। आमतौर माना जाता है कि एनपीएस में निवेश करने वाले निवेशकों को औसत 10 प्रतिशत के आसपास का रिटर्न मिलता है। एनपीएस में निवेश करने पर आपको एक वित्त वर्ष में 2 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है।
Bank FD उन निवेशकों के लिए बेहतर मानी जाती है, जो बिना किसी जोखिम के अपने निवेश पर स्थिर रिटर्न चाहते हैं। हालांकि, बैंक एफडी से होने वाली इनकम एक सीमा के बाद टैक्स के दायरे में आती है।
Mutual Fund ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प माना जाता है, जो थोड़ा अधिक जोखिम उठाना चाहते हैं और लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं। आमतौर माना जाता है कि म्यूचुअल फंड में एफडी और एनपीएस के मुकाबले अच्छा रिटर्न देते हैं, लेकिन इसमें दोनों के मुकाबले जोखिम भी काफी अधिक होता है।
निवेश करते समय इन बातों का रखें ध्यान
निवेश करते समय हमेशा हमें अपनी रिस्क का ध्यान रखना चाहिए और अपने वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर ही निवेश को विकल्प का चुनाव करना चाहिए। अगर आप किसी गैर-सरकारी संस्था के साथ निवेश कर रहे हैं, तो नियामक की वेबसाइट से कंपनी के बारे में आवश्यक जानकारी जुटा लें।