चिट फंड में डूबा पैसा, जाएं कहां?
चिट फंड कंपनियों द्वारा किसी भी गड़बड़ी को लेकर एक निवेशक के तौर पर आपके अधिकार काफी सीमित हैं। इन फंडों के नियमन को लेकर कोई भी स्पष्ट अधिनियम अथवा दिशानिर्देश नहीं होने की वजह से परेशानी और भी ज्यादा हो जाती है।
चिट फंड कंपनियों द्वारा किसी भी गड़बड़ी को लेकर एक निवेशक के तौर पर आपके अधिकार काफी सीमित हैं। इन फंडों के नियमन को लेकर कोई भी स्पष्ट अधिनियम अथवा दिशानिर्देश नहीं होने की वजह से परेशानी और भी ज्यादा हो जाती है।
मोटे तौर पर ये कंपनियां कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के अधीन नीधि कंपनी के रूप में पंजीकृत होती हैं। चूंकि ये आम जनता से जमा लेने के लिए बनी हैं, इसलिए आरबीआइ ने अन्य बैंकिग कंपनी के रूप में इनके लिए अलग श्रेणी बनाई है। चिट फंड अलग-अलग राज्यों के अधिनियमों के तहत काम करते हैं और राज्य सरकारें ही एक तरह से इनका नियमन करती हैं। किसी भी धोखे की स्थिति में आपके पास पुलिस के पास जाकर धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराने के अलावा कोई चारा नहीं है। उसके बाद भी आपके पैसे वापस होंगे इसकी कोई गारंटी नहीं। आपके लिए उचित यही है कि चिट फंड में पैसा लगाते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखें। चिट फंड द्वारा जमा स्वीकार किए जाने की कोई सीमा नहीं है, इसलिए इन कंपनियों के पास जमा निधि से प्रभावित हो निवेश करना समझदारी नहीं।
आप कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पास अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, लेकिन मंत्रालय के हाथ में भी ज्यादा कुछ नहीं। मंत्रालय की एक विशेषज्ञ समिति ने अपनी सिफारिशों में इन कंपनियों में निधि शब्द जोड़ने, इनके द्वारा लिए गए जमा की राशि की सीमा तय करने, ब्याज दरों की सीमा तय करने और निवेशकों की सुरक्षा संबंधी कई बिंदु शामिल किए हैं, लेकिन इन पर अमल होने में वक्त लगेगा। सावधानी में ही सुरक्षा है वरना अपने फैसले के लिए सिर्फ आप ही जिम्मेदार हैं।
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