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    गैर सरकारी PF और ग्रेच्‍युटी की नई ब्‍याज दर का हो गया ऐलान, जनवरी से आएगा इतना ब्‍याज

    By Ashish DeepEdited By:
    Updated: Thu, 13 Jan 2022 08:13 AM (IST)

    फाइनेंस मिनिस्‍ट्री ने Non-Government Provident की Special Deposit Scheme Superannuation और Gratuity Funds के लिए ब्‍याज दर तय कर दी है। जनवरी से मार्च 2022 तक की तिमाही के लिए इन फंडों पर ब्‍याज दर 7.1 फीसद रहेगी।

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    गैर सरकारी PF की ब्‍याज दर भी 7.1 फीसद है। (Pti)

    नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की सामान्‍य भविष्‍य निधि (General Provident fund, GPF) की ब्‍याज दर का ऐलान करने के बाद अब गैर सरकारी फंडों के तिमाही इंट्रेस्‍ट रेट का ऐलान कर दिया है। यह ब्‍याज दर जनवरी से मार्च 2022 के लिए है। इसमें वे भविष्‍य निधि शामिल है, जो कर्मचारी के रिटायरमेंट, ग्रेच्‍युटी से जुड़े हैं।

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    भारत सरकार में ज्‍वाइंट सेक्रेटरी आशीष वच्‍चानी के मुताबिक फाइनेंस मिनिस्‍ट्री ने Non-Government Provident की Special Deposit Scheme, Superannuation और Gratuity Funds के लिए ब्‍याज दर तय कर दी है। जनवरी से मार्च 2022 तक की तिमाही के लिए इन फंडों पर ब्‍याज दर 7.1 फीसद रहेगी।

    क्‍या होती है सामान्‍य भविष्‍य निधि

    GPF विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों के लिए है। भारत सरकार में कार्यरत व्यक्ति अपने वेतन का न्यूनतम 6% योगदान करते हैं और रिटायरमेंट या सेवानिवृत्ति के समय इकट्ठा रकम के हकदार होते हैं। जीपीएफ पर मौजूदा ब्याज दर 7.1% है। सभी अस्थायी सरकारी कर्मचारियों, सभी स्थायी सरकारी कर्मचारियों और सभी पुन: नियोजित पेंशनभोगियों (अंशदायी भविष्य निधि के लिए पात्र के अलावा) को एक साल की रेगुलर सेवा के बाद जीपीएफ की सदस्यता लेना अनिवार्य है।

    कौन करता है GPF का संचालन

    GPF यानि General Provident fund का प्रबंधन कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है। GPF सब्सक्रिप्शन के समय सब्सक्राइबर एक या एक से ज्‍यादा व्यक्तियों को नामांकित कर सकता है ताकि उन्हें GPF धारक की मृत्यु के मामले में फंड के लिए दावा करने का अधिकार मिल सके। GPF फंड पर ब्याज दर सरकार द्वारा समय-समय पर संशोधित की जाती है।

    कौन तय करता है रकम

    जीपीएफ के लिए सब्सक्रिप्शन की रकम सब्सक्राइबर खुद तय करता है। हालांकि, योगदान की दर कर्मचारी की कुल सैलरी के 6% से कम नहीं होनी चाहिए। अधिकतम योगदान कर्मचारी के वेतन का 100% है।