OPS vs NPS: तो क्या बहाल नहीं होगी पुरानी पेंशन स्कीम? निर्मला सीतारमण ने दिया ये जवाब
OPS vs NPS News वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि पुरानी पेंशन योजना सरकार के खजाने पर भारी पड़ रही थी इसलिए NPS लागू की गई जो 1 जनवरी 2004 या उसके बाद नौकरी शुरू करने वाले केंद्रीय कर्मचारियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए है। एनपीएस में सुधार के लिए एक कमेटी बनाई गई थी जिसके सुझावों के आधार पर UPS शुरू की गई है।

नई दिल्ली| OPS vs NPS news : केंद्र सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के तहत आने वाले केंद्रीय कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल (pension scheme restoration ) करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा में कहा कि पुरानी पेंशन योजना सरकार के खजाने पर भारी पड़ रही थी, इसलिए एनपीएस लागू किया गया, जो 1 जनवरी, 2004 या उसके बाद नौकरी शुरू करने वाले केंद्रीय कर्मचारियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए है।
एनपीएस में सुधार के लिए एक कमेटी बनाई गई थी, जिसके सुझावों के आधार पर यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) शुरू की गई है। यह एनपीएस का एक विकल्प है, जिसका मकसद रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को तयशुदा पेंशन देना और योजना को वित्तीय रूप से टिकाऊ रखना है। यूपीएस में परिवार की परिभाषा को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि कर्मचारियों को गारंटीड पेंशन मिले और फंड की स्थिरता भी बनी रहे।
यूपीएस चुनने वाले कर्मचारी, अगर नौकरी के दौरान उनकी मृत्यु हो जाती है या अक्षमता की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ती है, तो वे सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 या सीसीएस (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी पेंशन) नियम, 2023 के तहत लाभ ले सकते हैं। सरकार ने 24 जनवरी, 2025 को अधिसूचना जारी करके यूपीएस को एनपीएस के तहत एक विकल्प के रूप में शुरू किया।
यूपीएस के तहत, अगर कर्मचारी ने कम से कम 25 साल की नौकरी की है, तो रिटायरमेंट पर उसे पिछले 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा। अगर नौकरी का समय 25 साल से कम है, तो पेंशन उसी अनुपात में कम होगी।
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घरों की वित्तीय स्थिति में हुआ बड़ा सुधार
एक अन्य सवाल के जवाब में सीतारमण ने बताया कि मार्च 2020 से मार्च 2024 तक घरेलू वित्तीय देनदारियां (लोन) करीब 5.5% बढ़ी हैं, जबकि घरेलू वित्तीय संपत्तियां (बचत और निवेश) 20.7% बढ़ी हैं। इसका मतलब है कि 2023-24 तक घरों की नेट वित्तीय स्थिति (संपत्ति माइनस देनदारी) में सुधार हुआ है।
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, बैंकों के रिटेल लोन (कुल लोन और अग्रिम का हिस्सा) मार्च 2024 में 30.94% से बढ़कर मार्च 2025 में 31.48% हो गया है। हालांकि, रिटेल लोन की साल-दर-साल वृद्धि की रफ्तार मार्च 2024 के 17.61% से घटकर मार्च 2025 में 14.05% हो गई है।
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घरेलू वित्तीय बचत 15.5 लाख करोड़ के पार
रिटेल लोन की संपत्ति गुणवत्ता स्थिर है, जिसमें मार्च 2025 तक ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPS) का अनुपात 1.18% है। रिटेल लोन में असुरक्षित लोन (बिना गारंटी वाले) का हिस्सा कम है, जो रिटेल लोन का 25% और कुल अग्रिम का 8.3% है।
नेशनल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (NSO) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, घरेलू वित्तीय बचत 2022-23 में 13.3 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 15.5 लाख करोड़ रुपए हो गई है। इसलिए, बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता को लेकर कोई बड़ी चिंता नहीं है।
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