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    Layoff के बाद सैलरी आना हो गई बंद तो बैंक अकाउंट में तुरंत ब्रांच से करवाएं ये बदलाव, वरना बैंक काटेगा मोटा चार्ज!

    Updated: Thu, 07 Aug 2025 07:57 PM (IST)

    नौकरी छूटने के बाद सैलरी अकाउंट (salary account) निष्क्रिय होने पर उसे जीरो-बैलेंस (zero balance account) सेविंग्स अकाउंट में बदलवाना जरूरी है। तीन महीने तक सैलरी न आने पर बैंक इसे सामान्य सेविंग्स अकाउंट में बदल देता है जिसमें मिनिमम बैलेंस रखना अनिवार्य होता है नहीं तो जुर्माना लगता है।

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    Layoff के बाद सैलरी आना हो गई बंद तो बैंक अकाउंट में तुरंत ब्रांच से करवाएं ये बदलाव

    नई दिल्ली। नौकरी छूटने के बाद या नौकरी बदलने पर नया सैलरी अकाउंट बनाने के बाद पुराना निष्क्रिय हो गया है, तो जरूरी है कि आप समय रहते उसे जीरो-बैलेंस सेविंग्स अकाउंट में बदलवा लें। क्योंकि बैंक आपसे मिनिमम बैलेंस न रखने पर जुर्माना वसूल सकता है और कई सुविधाएं भी बंद हो सकती हैं।

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    क्यों सैलरी अकाउंट बन जाता है सामान्य सेविंग्स अकाउंट?

    जब आप किसी कंपनी में काम करते हैं, तो बैंक सैलरी अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की शर्तें लागू नहीं करता। लेकिन अगर लगातार तीन महीने तक सैलरी नहीं आती, तो बैंक इसे सामान्य सेविंग्स अकाउंट में बदल देता है। इसके बाद आपको ₹5,000 से ₹15,000 तक का न्यूनतम औसत बैलेंस बनाए रखना होता है। यह अमाउंट बैंक और शाखा पर निर्भर करता है।

    अगर बैलेंस मेंटेन नहीं किया तो क्या होगा?

    मिनिमम बैलेंस न रखने पर बैंक 600 रुपये या उससे ज्यादा का मंथली जुर्माना लगा सकता है। इसके अलावा, फ्री एटीएम ट्रांजैक्शन, प्रीमियम डेबिट कार्ड और ऑनलाइन बैंकिंग रिवॉर्ड जैसी सुविधाएं भी छिन जाती हैं। नौकरी ढूंढ रहे लोगों या फ्रीलांस काम करने वालों के लिए यह एक बेवजह का आर्थिक नुकसान हो सकता है।

    कैसे बदलवाएं अकाउंट को जीरो-बैलेंस सेविंग्स अकाउंट में?

    अगर आप फिलहाल नौकरी में नहीं हैं, फ्रीलांसिंग कर रहे हैं या ब्रेक पर हैं, तो आप अपने बैंक से रिक्वेस्ट कर सकते हैं कि आपका अकाउंट Basic Savings Bank Deposit Account (BSBDA) में बदला जाए। इसके लिए मोबाइल या नेट बैंकिंग से ऑनलाइन फॉर्म भरकर रिक्वेस्ट करें। या फिर आधार और पैन कार्ड लेकर नजदीकी ब्रांच जाएं और लिखित आवेदन दें।

    क्यों BSBDA अकाउंट है समझदारी भरा विकल्प?

    • BSBDA अकाउंट में कोई मिनिमम बैलेंस जरूरी नहीं होता।
    • महीने में चार बार फ्री एटीएम या ब्रांच ट्रांजैक्शन।
    • डिजिटल और UPI ट्रांजैक्शन पूरी तरह फ्री और अनलिमिटेड।
    • नौकरी की जरूरत नहीं, सिर्फ पहचान दस्तावेज चाहिए।
    • EMI, SIP और बिल पेमेंट जैसी सुविधाएं भी चलती रहती हैं।

    क्या अकाउंट नंबर वही रहेगा?

    कुछ बैंक मौजूदा अकाउंट को ही जीरो-बैलेंस वर्जन में बदल देते हैं, जिससे अकाउंट नंबर, डेबिट कार्ड और UPI ID वही रहती है। वहीं कुछ बैंक नया अकाउंट खोलने और पुराने को बंद करने को कह सकते हैं। इसीलिए, बेहतर है कि पहले अपने बैंक से क्लियर जानकारी ले लें। बता दें कि BSBDA में चेक बुक, लॉकर सुविधा या अन्य सेवाओं में कुछ कटौती हो सकती है।

    बैंक के नोटिस को न करें नजरअंदाज

    बैंक आमतौर पर सैलरी बंद होने पर आपको ईमेल, SMS या नोटिफिकेशन के जरिए सूचित करता है। ऐसे नोटिस को अनदेखा न करें। समय रहते बदलाव करें या अकाउंट बंद करवा दें। कुछ बैंक रिटायर्ड कर्मचारियों को 6-12 महीने की छूट भी देते हैं। इससे पेनाल्टी से बचाव, बैलेंस की सुरक्षा और फाइनेंशियल अनुशासन बना रहता है