ITR वेरिफाई हो गया, लेकिन अब तक प्रोसेस नहीं हुआ, जानिए क्यों होती है इसमें देरी और किन बातों का रखें ध्यान
ITR Filing टैक्सपेयर्स द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने और उसे सत्यापित करने के बाद क्लेम को प्रोसेस करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से आयकर विभाग की होती है। हालांकि अगर किसी व्यक्ति द्वारा आईटीआर फॉर्म में घोषित आय वास्तविक इनकम से मेल नहीं खातीं तो आईटीआर प्रोसेस होने में देरी होती है। इसके लिए आयकर विभाग टैक्सपेयर को नोटिस भेजता है।
नई दिल्ली। इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल (ITR Filing) करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर है और इसके साथ ही आईटीआर फाइलिंग के काम में तेजी आ गई है। देशभर के लाखों टैक्सपेयर्स, लास्ट मिनिट और लास्ट डेट की भीड़भाड़ से बचने के लिए समय से पहले आईटीआर फाइल कर रहे हैं। हालांकि, ITR फाइल (How to File ITR) करने का तय प्रोसेस होता है जिसे पूरा करना जरूरी है। आईटीआर फाइल होने के बाद उसे वेरिफाइड करना भी जरूरी है। इसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उसे प्रोसेस करता है।
अक्सर, टैक्सपेयर्स आईटीआर फाइल करने और उसे वेरिफाइड करने के बाद उसे कंप्लीट करना भूल जाते हैं। दरअसल, आईटीआर के वेरिफाइड होने के बाद, टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा इसे प्रोसेस किया जाता है और प्रोसेस पूरा होने के बाद, टैक्सपेयर्स कर दाखिल करने वाले पोर्टल पर 'Processing Completion’ नोटिफिकेशन देख सकते हैं। अगर कोई टैक्सपेयर 30 दिनों के भीतर अपने आईटीआर का ई-वेरिफिकेशन नहीं करते हैं, तो उनका रिटर्न अमान्य हो जाता है, जिससे रिफंड में देरी और अन्य संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
ITR प्रोसेस होने में कितना समय लगता
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने से पहले, करदाताओं को यह सुनिश्चित करना होता है कि आईटीआर फॉर्म में बताई गई इनकम, कटौतियाँ और चुकाया गया टैक्स सही है। आईटीआर फाइल करने के बाद आधार ओटीपी और नेट बैंकिंग का उपयोग करके टैक्सपेयर्स अपने क्लेम का ई-वेरिफिकेशन कर सकते हैं। अगर आप इसे फिजिकली वेरिफाई करना चाहते हैं, तो उन्हें आईटीआर-V फॉर्म साइन करके डाक द्वारा भेजना होगा।
आईटीआर प्रोसेस होने में समय क्यों लगता है
दरअसल, टैक्सपेयर्स द्वारा आईटीआर का वेरिफिकेशन कंप्लीट करने के बाद आयकर विभाग उस डेटा की सटीकता और टैक्स कैलकुलेशन में गड़बड़ियों के लिए क्लेम की जांच करता है। चूंकि, यह प्रक्रिया थोड़ी जटिल होती है इसलिए इसे पूर्ण होने में कुछ घंटों से लेकर महीनेभर तक का समय लग सकता है।
हालांकि, आईटीआर प्रोसेसिंग सिस्टम आमतौर पर ऑटोपायलट मोड पर होता है, इसलिए जब आईटीआर फॉर्म में की गई घोषणाएं वार्षिक भुगतान के साथ मेल खाती हैं तो आईटीआर आसानी से प्रोसेस हो जाता है।
वेरिफिकेशन के बाद भी ITR प्रोसेस ना हो तो क्या करें
एक बार जब टैक्सपेयर्स, आईटीआर दाखिल करने और उसे सत्यापित करने का अपना काम पूरा कर लेता है, तो क्लेम को प्रोसेस करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से आयकर विभाग की होती है। अगर किसी व्यक्ति द्वारा आईटीआर फॉर्म में घोषित आय वास्तविक इनकम से मेल नहीं खातीं, तो उसे आयकर विभाग से इस गड़बड़ी को लेकर एक नोटिस मिलता है। उसके बाद, करदाता को अपने आईटीआर में आवश्यक बदलाव करने होते हैं। अगर वे टैक्सपेयर्स इन गलतियों को नहीं सुधारते हैं, तो आईटीआर खारिज किया जा सकता है।
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