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    आयकर विभाग ने ITR-2 की प्री-फील्ड डाटा के साथ ऑनलाइन फाइलिंग शुरू की, जानें इससे जुड़ी 5 जरूरी बातें

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 10:30 AM (IST)

    आयकर विभाग (Income Tax Department) ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए ITR-2 फॉर्म (ITR-2 Online Filing) की ऑनलाइन फाइलिंग (ITR online filing) शुरू कर दी है जिससे वेतनभोगी करदाताओं और निवेशकों को राहत मिलेगी। यह फॉर्म उन व्यक्तियों और HUF के लिए है जिन्हें व्यवसाय से आय नहीं होती लेकिन वेतन पूंजीगत लाभ या क्रिप्टो से इनकम होती है।

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    आयकर विभाग ने ITR-2 फॉर्म की ऑनलाइन फाइलिंग सुविधा एक्टिव कर दी है।

    नई दिल्ली। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने आकलन वर्ष 2025-26 के लिए ITR-2 फॉर्म की ऑनलाइन फाइलिंग सुविधा एक्टिव कर दी है, जिससे सैलरीड टैक्सपेयर्स और निवेशकों को बड़ी राहत मिली है। यह कदम IT विभाग ने रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर करने के कुछ हफ्तों बाद उठाया है।

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    ITR-2 फॉर्म किसके लिए है?

    ITR-2 फॉर्म उन व्यक्तिगत करदाताओं और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) के लिए है जिन्हें व्यवसाय से आय नहीं होती, लेकिन वे वेतन, पूंजीगत लाभ (Capital Gains), विदेशी संपत्तियां या डिजिटल एसेट्स जैसे क्रिप्टो से इनकम करते हैं। अब यह फॉर्म आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध है।

    ITR-3 अभी भी ऑफलाइन ही

    आईटीआर-3 फॉर्म, जो कि व्यापार या पेशेवर आय वालों के लिए है, अभी केवल ऑफलाइन एक्सेल यूटिलिटीज के जरिए ही फाइल किया जा सकता है। ऑनलाइन प्री-फिलिंग सुविधा इसमें फिलहाल उपलब्ध नहीं है।

    वित्त अधिनियम 2024 में बदलाव देरी की वजह

    विभाग ने बताया है कि ITR यूटिलिटी में देरी की वजह वित्त अधिनियम 2024 के तहत किए गए हालिया बदलाव हैं। इसी कारण रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख को 15 सितंबर तक बढ़ाया गया।

    ITR-2 में किए गए 5 खास बदलाव कौन से हैं?

    1. संपत्ति बिक्री में तारीख आधारित डिक्लेरेशन जरूरी

    जमीन या घर बेचने वाले करदाताओं को अब यह अलग से बताना होगा कि अधिग्रहण और सुधार की लागत जुलाई 23, 2024 से पहले की है या बाद की है। यह बदलाव इंडेक्सेशन के हक को प्रभावित करेगा।

    2. शेयर बायबैक से लाभ का नया खुलासा

    अब एक नया कॉलम जोड़ा गया है जिसमें धारा 2(22)(f) के तहत शेयर बायबैक से मिली डिविडेंड इनकम (Dividend Income) का खुलासा करना जरूरी होगा। इससे शेयरधारकों की आय पर बेहतर नजर रखी जा सकेगी।

    3. नेटवर्थ डिक्लेरेशन की सीमा बढ़ी

    अब 1 करोड़ रुपये से अधिक सालाना आय वालों को अपनी सभी संपत्तियों और देनदारियों का खुलासा करना अनिवार्य होगा। पहले यह सीमा 50 लाख रुपये थी।

    4. TDS डिटेल में नया सेक्शन कोड

    टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) की जानकारी देने वाले शेड्यूल में अब नया फील्ड जोड़ा गया है, जिसमें यह बताना होगा कि किस सेक्शन कोड के तहत टैक्स काटा गया है।

    5. कैपिटल गेन टैक्स के लिए अलग कॉलम

    23 जुलाई 2024 से लागू हुए नए कैपिटल गेन टैक्स प्रावधानों के चलते, ITR-2 में अब पूंजीगत लाभ को दो हिस्सों में बांटकर दिखाने की सुविधा दी गई है। एक कॉलम जुलाई 23 से पहले की बिक्री के लिए और एक उसके बाद के लिए।

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