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    Home vs Rent: किराए पर घर लेना या लोन लेकर घर खरीदना, क्या है आपके लिए सही? देखें नुकसान और फायदे

    Home vs Rent आज लोग नौकरी की तलाश में बड़े शहरों की ओर बढ़ रहे हैं। फिर यहीं घर लेकर परमेंटली बसने का भी सोचते हैं। लेकिन अक्सर ये कन्फ्यूजन रहती है कि किराए पर रहा जाए या लोन लेकर ईएमआई के जरिए अपना घर लिया जाए क्या ज्यादा बेहतर रहेगा। चलिए इसके फायदे और नुकसान दोनों जानते हैं।

    By Mansi Bhandari Edited By: Mansi Bhandari Updated: Mon, 18 Aug 2025 04:12 PM (IST)
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    Home vs Rent: घर खरीदना या किराए पर रहना, क्या है बेहतर विकल्प?

     नई दिल्ली। आमतौर पर युवक नौकरी की तलाश में बड़े शहरों में आते हैं। फिर कुछ समय बाद यहीं रहने का सोचते हैं। लेकिन अक्सर इस बात को लेकर कन्फ्यूजन रहती है कि परिवार होने के बाद या आगे भविष्य में किराए पर रहना सही है या लोन के जरिए घर लेना चाहिए।

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    अगर आप भी इसे लेकर कन्फ्यूज है, तो ये आर्टिकल आपकी मदद कर सकता है। पहले हम दोनों के फायदे और नुकसान के बारे में बात करेंगे।

    Home vs Rent: किराए पर रहने के फायदे और नुकसान

    फायदे

    • अगर आए दिन नौकरी की वजह से शहर बदलते रहते हैं, तो किराए का घर बेहतर ऑप्शन रहेगा।
    • वहीं इसमें 2 या 3 महीने सिक्योरिटी डिपॉजिट कर आराम से रह सकते हैं।
    • आप प्रीमियम एरिया में किराया भरकर आराम से रह सकते हैं। ऐसे एरिया में खुद का घर लेना मुश्किल है।
    • वहीं बचे पैसों को आप सुरक्षित और असुरक्षित दोनों प्लेटफार्म में निवेश कर सकते हैं।

    नुकसान

    • मकान मालिक के द्वारा अनगिनत पाबंदियां लग सकती है।
    • अगर आप प्रीमियम इलाके में घर किराए पर लेते हैं, तो आपको भारीभरम अमाउंट देना पड़ सकता है।  

    Home vs Rent: लोन पर मकान लेना फायदा या नुकसान

    फायदा

    • पूरा लोन चुकाने पर घर आपका हो जाता है। फिर हर महीने किराए देने की टेंशन नहीं रहती।
    • अगर आप फ्लोटिंग रेट पर लोन लेते हैं, तो आपका ब्याज कम या ज्यादा होता रहता है। ऐसे में आप रेपो रेट की कटौती का फायदा भी उठा सकते हैं।
    • वहीं आप सेक्शन 80 सी और 24 बी के टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं।
    • अगर आपका सिबिल स्कोर अच्छा होगा, तो आपको कम ब्याज पर भी लोन आसानी से मिल जाता है। कम ब्याज होने से आपकी ईएमआई भी कम हो जाती है।

    नुकसान

    • अगर ज्यादा ब्याज पर लोन लिया तो ये हमें भारी पड़ सकता है।
    • पैसा बाजार के आर्टिकल के तहत बैंक और वित्तीय संस्थान होम लोन सैलरी के अनुसार प्रदान करते हैं। मल्टीप्लायर मेथड के तहत मासिक सैलरी का 72 गुना होम लोन अमाउंट हो सकता है।
    • वहीं कहा जाता है कि सैलरी का केवल 30 से 40 फीसदी ईएमआई में जाना चाहिए। अगर खर्चे ज्यादा है, तो ईएमआई जितना हो सकें कम रखें। इन बातों का लोग अक्सर ध्यान नहीं रखते और ईएमआई आपके लिए एक बोझ बन जाता है।

    एक्सपर्ट क्या कहते हैं?

    MyMoneyMantra.com के फाउंडर-एमडी राज खोसला कहते हैं कि कई बार किराए पर रहना ज़्यादा समझदारी होती है। अगर आपके पास घर की कीमत का कम से कम 15-20% डाउन पेमेंट नहीं है, तो थोड़ा रुककर और बचत करना बेहतर हो सकता है। अगर आपका क्रेडिट स्कोर 700 से कम है, तो लोन की ब्याज़ दर ज़्यादा हो सकती है, जिससे घर खरीदना महंगा पड़ सकता है। अगर आपके पास 6 महीने के खर्चों जितना इमरजेंसी फंड नहीं है, तो घर खरीदना जोखिम भरा हो सकता है। अगर आपकी नौकरी या शहर बदलने की संभावना है, या प्रॉपर्टी की कीमतें और ब्याज़ दरें बहुत ज़्यादा हैं, तो किराए से रहना ज्यादा सही होता है।

    आपके लिए क्या बेहतर?

    आपके लिए क्या बेहतर रहेगा, ये आपके व्यक्तिगत जरूरतों पर निर्भर करता है। आप दोनों के ही फायदे और नुकसान का ठीक तरह से आकलन कर ये पता लगा सकते हैं कि आपके लिए क्या ज्यादा सही रहेगा।