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    टैक्सपेयर्स के ई-मेल और लैपटाप की जांच करेगा इनकम टैक्स? CBDT के चेयरमैन ने सब बता दिया

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 07:55 PM (IST)

    सीबीडीटी के चेयरमैन के अनुसार टैक्सपेयर्स के ई-मेल और लैपटॉप की जाँच सिर्फ सर्च के दौरान ही होगी। नए आयकर कानून के बाद आइटीआर का नया फार्म आएगा जो टैक्सपेयर्स के लिए रिटर्न भरना आसान कर देगा। विभाग इलेक्ट्रॉनिक सूचना तंत्र से लोगों के खर्च और कमाई पर नजर रख रहा है जिससे टैक्स का दायरा बढ़ रहा है।

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    टैक्सपेयर्स के ई-मेल और लैपटाप की जांच करेगा इनकम टैक्स?

    नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) का मानना है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 में रिटर्न भरने वालों के साथ टैक्स संग्रह में भी बढ़ोतरी होगी। विभाग अपने इलेक्ट्रानिक सूचना तंत्र के आधार पर लोगों के खर्च और कमाई दोनों पर नजर रख रहा है जिससे टैक्स का दायरा और राजस्व दोनों में इजाफा हुआ है। इनकम टैक्स के नए कानून के आने के बाद टैक्सपेयर्स के लिए रिटर्न भरने से लेकर टैक्स की जानकारी हासिल करना और आसान हो जाएगा।

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    इन तमाम मुद्दों पर सीबीडीटी के चैयरमैन रवि अग्रवाल से सहायक संपादक राजीव कुमार की बातचीत के अंश

    प्रश्न: इनकम टैक्स का नया कानून आने वाला है, जल्द ही बिल को संसद में पेश किया जाएगा, आम टैक्सपेयर्स को नए कानून से क्या फायदा होगा?

    उत्तर: टैक्सपेयर्स को सहूलियत देने का प्रयास है। नए बिल के आने के बाद इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) फार्म को और सरल करने की कोशिश करेंगे। नए कानून के बाद आइटीआर का नया फार्म आएगा। हमने नए कानून की भाषा को बिल्कुल सरल कर दिया है। शब्दों की संख्या को आधा कर दिया गया है। टेबल बना दी है। टैक्सपेयर्स टेबल देखकर ही चीजें समझ जाएंगे।

    प्रश्न: यह भी कहा जा रहा है कि नए कानून में टैक्स अधिकारी को टैक्सपेयर्स के लैपटाप, ई-मेल, वाट्सएप की जांच करने का अधिकार होगा?

    उत्तर: आजकल सभी वित्तीय गतिविधियां आनलाइन हो रही है। टैक्सपेयर्स के यहां सिर्फ सर्च और सर्वे के दौरान अधिकारी को इस प्रकार की जांच का अधिकार होगा। यहां तक कि किसी टैक्सपेयर्स पर अगर नजर रखी जा रही है या उसकी जांच की जा रही है, उस दौरान भी टैक्सपेयर्स के ई-मेल, लैपटाप की जांच का अधिकार नहीं होगा।

    प्रश्न: टैक्सपेयर्स के सालाना खर्च का एनुअल इनफार्मेशन स्टेटमेंट (एआइएस) विभाग तैयार करता है जिस आधार पर टैक्सपेयर्स की वित्तीय जन्मपत्री बनाई जाती है, इनमें किन-किन खर्च को शामिल किया जाता है?

    उत्तर: एआइएस के तहत पिछले वित्त वर्ष में 650 करोड़ ट्रांजेक्शन को कवर किया गया। एआइएस में वित्तीय ट्रांजेक्शन की 57 श्रेणी शामिल हैं। मुख्य रूप से इसमें टैक्सपेयर्स की आय, निवेश, बैंकों से मिलने वाले ब्याज, प्रापर्टी की खरीद-फरोख्त शामिल है।

    अन्य बड़ी खरीदारी करने पर थर्ड पार्टी विभाग को सूचित करता है। उसे भी एआइएस में शामिल किया जाता है। इस ट्रांजेक्शन के आधार पर टैक्सपेयर्स का एआइएस बनता है।

    टैक्सपेयर्स इसे देखकर अपना रिटर्न फाइल करता है। अगर उसे लगता है कि एआईएस में जो ट्रांजेक्शन दिखाए जा रहे हैं, उसने नहीं किया है तो वह उसे सुधार सकता है।

    प्रश्न: कितनी राशि के ट्रांजेक्शन को एआइएस में शामिल किया जाता है?

    उत्तर: सबके लिए अलग-अलग है। जैसे प्रापर्टी में 30 लाख से अधिक की खरीदारी को शामिल किया जाता है।

    प्रश्न: एआइएस तैयार करने से क्या फायदा मिला है, लोगों के खर्च पर नजर रखने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का भी इस्तेमाल कर रहे हैं?

    उत्तर: इसका ही नतीजा है कि पिछले चार साल में तकरीबन एक करोड़ टैक्सपेयर्स ने अपडेटेड रिटर्न भरा है और विभाग को 11,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ है। इसकी मदद से रिफंड के गलत दावे भी पकड़े जा रहे हैं।

    प्रश्न: एआइ की क्या भूमिका होती है?

    उत्तर: एआइ से प्राप्त डाटा के आधार पर पहचान की जाती है कि कौन से टैक्सपेयर्स पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इससे हमें यह पता लगता है कि किन लोगों को आइटीआर फाइल करना चाहिए था और वे नहीं कर रहे हैं। दूसरा, अगर कोई अपनी आय से कम का आइटीआर फाइल कर रहा है तो वह भी हमें पता चलता है।

    प्रश्न: आपके विभाग ने इलेक्ट्रानिक अभियान चलाया, इससे टैक्सपेयर्स को क्या फायदा हुआ?

    उत्तर: देखिए, टैक्सपेयर्स को आइटीआर भरना बिल्कुल आसान हो गया है। पिछले साल नौ करोड़ लोगों ने आइटीआर भरे। इनमें से 3.56 करोड़ लोगों ने बिल्कुल सरल तरीके रिटर्न भरे। इसी तरह कारोबार करने वाले 2.30 करोड़ टैक्सपेयर्स भी बिल्कुल सरल रिटर्न भर रहे हैं। मतलब 65 प्रतिशत टैक्सपेयर्स के लिए आइटीआर भरना बिल्कुल आसान हो गया है।

    प्रश्न: क्या अब इनकम टैक्स का नोटिस या अन्य सूचनाएं डाक के माध्यम से दी जाती है?

    उत्तर: नहीं, अब सबकुछ डिजिटल फार्म में हो गया है। इसलिए हम ई-मेल और एसएमएस के जरिए सूचनाएं देते हैं। टैक्सपेयर्स को रिटर्न भरन के दौरान अपना सही मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी देना चाहिए ताकि उन्हें सूचनाएं मिलती रहे। यह भी देखने में आया है कि कई बिचौलिए टैक्सपेयर्स को अधिक रिफंड दिलाने का लालच देकर उनके रिफंड को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं और इसका खामियाजा टैक्सपेयर्स को भुगतना पड़ता है। इससे टैक्सपेयर्स को बचना चाहिए।

    प्रश्न: इस बार आइटीआर भरने की समय सीमा 15 सितंबर तक कर दी गई जबकि यह समय सीमा 31 जुलाई तक होती थी, इसे बढ़ाने के पीछे कोई खास वजह?

    उत्तर: आईटीआर का फार्म नोटिफाइ होने में देर हो रही थी। साफ्टवेयर बनने में थोड़ा समय लग गया। इसलिए टैक्सपेयर्स की सुविधा का ध्यान रखते हुए हमने तारीख बढ़ाई। अब उसे बदलने की जरूरत नहीं होगी।