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    खत्म होगी असेसमेंट ईयर और प्रीवियस ईयर की कन्फ्यूजन, Income tax bill 2025 में होगा ये बड़ा बदलाव

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 06:57 PM (IST)

    इनकम टैक्स बिल 2025 में एक महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है। सेलेक्ट कमिटी ने प्रीवियस ईयर और असेसमेंट ईयर की दोहरी परिभाषाओं को खत्म कर टैक्स ईयर की एकीकरण अवधारणा (Tax Year Simplification) को मंजूरी दे दी है। इस बदलाव से कर प्रणाली सरल होगी और टैक्स भरना अधिक आसान और पारदर्शी हो जाएगा। भारत में अप्रैल से मार्च की व्यवस्था ही बरकरार रहेगी।

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    इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव होने वाला है।

    नई दिल्ली। इनकम टैक्स से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव होने वाला है। इनकम टैक्स बिल 2025 (Income tax bill 2025) में एक अहम प्रस्ताव को सेलेक्ट कमिटी ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब 'प्रीवियस ईयर' और 'असेसमेंट ईयर' जैसी दोहरी परिभाषाओं को खत्म कर 'टैक्स ईयर' (Tax Year concept) की एकीकरण अवधारणा लाई जाएगी। ताकि असेसमेंट ईयर और प्रीवियस ईयर की कन्फ्यूजन (End assessment‑year confusion) को दूर किया जा सके।

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    इस प्रस्ताव को बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय सेलेक्ट कमिटी ने स्वीकार कर लिया है और यह अब नए इनकम टैक्स कानून ( Income Tax Bill 2025 change) का हिस्सा होगा।

    अब तक टैक्सपेयर्स को यह समझने में दिक्कत होती थी कि जिस साल उन्होंने आय अर्जित की है वह 'प्रीवियस ईयर' कहलाता है। वहीं उसका आकलन अगले 'असेसमेंट ईयर' में होता है। इस दोहरे सिस्टम के कारण करदाता अक्सर भ्रम में रहते थे और दस्तावेज तैयार करने से लेकर रिटर्न फाइल करने तक की प्रक्रिया जटिल हो जाती थी।

    'टैक्स ईयर' की एकल अवधारणा अपनाई जाएगी

    इनकम टैक्स बिल 2025 में प्रस्तावित क्लॉज 3 के अनुसार, अब 'टैक्स ईयर' की एकल अवधारणा अपनाई जाएगी, जिससे टैक्स से जुड़ी समयावधियों को लेकर स्पष्टता आएगी। समिति ने माना है कि यह परिवर्तन कर प्रणाली को अधिक सरल और सहज बनाएगा, जिससे आम करदाताओं की समझ में सुधार आएगा और अनुपालन की प्रक्रिया भी आसान होगी।

    गौरतलब है कि भले ही कई देशों में कैलेंडर ईयर (जनवरी से दिसंबर) को टैक्स ईयर माना जाता है, लेकिन भारत इस नए बदलाव के बावजूद अप्रैल से मार्च की पारंपरिक व्यवस्था को ही बरकरार रखेगा। समिति ने इसे एक स्वागतयोग्य कदम बताया है, जो टैक्स कानूनों को सरल बनाने की दिशा में एक ठोस पहल है।

    इस बदलाव से करदाताओं के लिए टैक्स भरना पहले से अधिक सहज और पारदर्शी हो जाएगा। सरकार का उद्देश्य भी यही है कि टैक्स व्यवस्था को अधिक सरल, सुलभ और नागरिकों के अनुकूल बनाया जाए।