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    भारत-जापान के बीच 75 अरब डॉलर की मुद्रा अदला-बदली पर समझौता, रुपये में होने वाली उतार-चढ़ाव से मिलेगी राहत

    वित्त मंत्रायल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते से भारत के कैपिटल मार्केट और विदेशी विनिमय को स्थिरता मिलेगी। इस समझौते के बाद से भारत जरूरत पड़ने पर 75 अरब डॉलर की पूंजी का इस्तेमाल कर सकता है।

    By Abhishek ParasharEdited By: Updated: Mon, 29 Oct 2018 05:17 PM (IST)

    नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। भारत और जापान ने 75 अरब डॉलर की मुद्रा अदला-बदली (करैंसी स्वैप) समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान इस समझौते को दोनों देशों ने मंजूरी दे दी है।

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    भारत की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस समझौते की मदद से विदेशी मुद्रा विनिमय के मामले में बड़ी राहत मिलेगी। साथ ही यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को और प्रगाढ़ करेगा।

    नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे की बीच दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय कारोबार, क्षेत्रीय मुद्दे और वैश्विक स्थिति को लेकर भी चर्चा हुई।

    वित्त मंत्रायल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते से भारत के कैपिटल मार्केट और विदेशी विनिमय को स्थिरता मिलेगी। इस समझौते के बाद से भारत जरूरत पड़ने पर 75 अरब डॉलर की पूंजी का इस्तेमाल कर सकता है।

    इस एग्रीमेंट के बाद संबंधित देश सस्ते ब्याज पर कर्ज ले सकता है। इस दौरान इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उस वक्त संबंधित देश की करेंसी का क्या मूल्य है। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुद्रा की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से राहत मिलती है।

    आसान शब्दों में समझा जाए तो डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में होने वाली उतार-चढ़ाव से देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है। मसलन रुपये में अगर ज्यादा गिरावट हो तो देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आती है। ऐसी स्थिति में आरबीआई को आगे आकर खुले बाजार में डॉलर की बिक्री करनी होती है। 

    जापान के साथ हुए इस समझौते के बाद अब भारत के पास रुपये में आई गिरावट और डॉलर की मांग में होने वाली बढ़ोतरी की स्थिति में निपटने का विकल्प होगा।

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