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    SIP Calculation: 2000 रुपये की एसआईपी से 10 साल बाद कितना बनेगा फंड? यहां देखें पूरी कैलकुलेशन

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 05:09 PM (IST)

    म्यूचुअल फंड निवेशकों का पसंदीदा प्लेटफॉर्म है। इसमें ज्यादातर एसआईपी के जरिए ही निवेश किया जाता है। एसआईपी का माध्यम निवेश के लिए सबसे आसान माना जाता है। आज हम SIP Calculation की मदद से समझेंगे कि हर महीने 2000 रुपये की एसआईपी के जरिए 10 साल बाद कितना फंड बन सकता है।

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    10 साल में 2000 रुपये की SIP से कितना मिलेगा रिटर्न, यहां समझें कैलकुलेशन

     नई दिल्ली। म्यूचुअल फंड निवेश के लिए पॉपुलर प्लेटफॉर्म है। लोग बेहतर रिटर्न की चाहत में म्यूचुअल फंड को अपने पोर्टफोलियो में शामिल करते हैं। हालांकि म्यूचुअल फंड में मिलने वाला रिटर्न बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।

    आज हम कैलकुलेशन की मदद से समझेंगे कि अगर 10 साल तक 2000 रुपये एसआईपी की जाती है, तो कितना फंड बनकर तैयार होगा?

    10 साल में कितना बनेगा फंड?

    • निवेश रकम- हर महीने 2000 रुपये
    • रिटर्न- 12 फीसदी
    • निवेश अवधि- 10 साल

    अगर कोई व्यक्ति 10 साल तक हर महीने 2000 रुपये निवेश करता है, तो 12 फीसदी रिटर्न के हिसाब से आपको मैच्योरिटी पर 4,65,000 रुपये मिलेंगे। वही इन 10 सालों में निवेशक द्वारा 2,40,000 रुपये निवेश किए गए होंगे। मैच्योरिटी पर मिलने वाला रिटर्न बाजार के उतार-चढ़ाव पर भी निर्भर करता है।

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    आइए अब समझते हैं कि एसआईपी करने से क्या फायदे होते हैं।

    एसआईपी से जुड़े 5 बड़े फायदे

    1. लचीलापन

    एसआईपी में आपको कई तरह की फ्लेक्सिबिलिटी (Flexibility) मिलती है। जैसे आप अपने अनुसार अवधि चुन सकते हैं। वहीं निवेश की रकम को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा अगर कोई आर्थिक आपदा आ जाए, तो एसआईपी को बीच में रोक (pause) भी कर सकते हैं।

    2. कम्पाउंडिंग का फायदा

    एसआईपी में निवेश करने से कम्पाउंडिंग का फायदा भी मिलता है। इसलिए अगर आप लंबे समय के लिए पैसा निवेश कर रहे हैं, तो ही आपको एसआईपी में फायदा मिलता है। आप जितना लंबे समय के लिए निवेश करेंगे, उतना ही ज्यादा कम्पाउंडिंग का फायदा होगा।

    3. निवेश की कोई सीमा नहीं

    एसआईपी में आप जितना चाहे, उतना निवेश कर सकते हैं। इसमें निवेश करने की कोई सीमा नहीं रखी गई है। हालांकि ये ध्यान रखें की पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन हो। जिसका मतलब हुआ कि अलग-अलग एसेट क्लास में निवेश किया हो। ताकि आपको शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का इतना असर ना हो।

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