SIP के साथ बढ़ें, SWP के साथ जिएं; दो तरफा कमाई का ये है सबसे आसान तरीका
बाजार बदलते रहते हैं, अर्थव्यवस्थाएं उतार-चढ़ाव से गुजरती हैं, लेकिन लंबी अवधि के निवेश का असली आधार अनुशासन, निरंतरता और समय पर टिका रहता है। कंपाउंड ...और पढ़ें

ए. बालासुब्रमणियन, आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी लिमिटेड के एमडी एवं सीईओ।
नई दिल्ली। बाजार बदलते रहते हैं, अर्थव्यवस्थाएं उतार-चढ़ाव से गुजरती हैं, लेकिन लंबी अवधि के निवेश का असली आधार तीन स्तंभों पर ही टिका रहता है। वह हैं अनुशासन, निरंतरता और समय। इनमें सबसे मजबूत शक्ति है कंपाउंडिंग, जो निवेशक को उसके धैर्य और प्रतिबद्धता के बदले में उत्कृष्ट लाभ देती है।
आज व्यक्तिगत वित्त की चुनौती सिर्फ धन इकट्ठा करने तक सीमित नहीं है। जो रकम आज पर्याप्त लगती है, वह भविष्य में बढ़ती आवश्यकताओं, महंगाई और जीवनशैली के बदलाव के सामने छोटी पड़ सकती है।
बच्चे की पढ़ाई, अपनी रिटायरमेंट योजना या व्यक्तिगत आकांक्षाएं ये तो जीवन के योजनाबद्ध लक्ष्य हैं। लेकिन इसी के समानांतर अप्रत्याशित स्थितियां भी होती हैं जिनमें स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थिति, अचानक कोई जिम्मेदारी या जीवनशैली में बढ़ोत्तरी शामिल है। खर्च कभी रुकते नहीं, जबकि आय एक समय पर सीमित हो जाती है। ऐसे में वित्तीय योजना को व्यापक और लचीला होना चाहिए, जो वर्तमान और भविष्य दोनों का ख्याल रख सके।
इसी संदर्भ में लाइफसाइकल-आधारित निवेश रणनीति की अहमियत बढ़ जाती है। यदि निवेशक SIP यानी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान की अनुशासित आदत को SWP यानी सिस्टेमैटिक विदड्रॉवल प्लान की सुविधा से जोड़ दें, तो एक संतुलित वित्तीय ढांचा तैयार होता है जो जीवन के हर चरण के अनुरूप काम कर सकता है। SIP जहां बचत को धीरे-धीरे संपत्ति में बदलती है, वहीं SWP उसी संपत्ति को नियमित आय में परिवर्तित करती है। यह संयोजन न सिर्फ लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करता है, बल्कि अनिश्चित स्थितियों में भी एक सुरक्षा प्रदान करता है।
यह विचार एक बड़े सच को दर्शाता है। धन का निर्माण और उसका प्रबंधन अलग-अलग प्रक्रियाएं नहीं, बल्कि एक निरंतर यात्रा है। जितना जल्दी निवेशक अनुशासित तरीके से शुरुआत करते हैं और बाद में विवेकपूर्ण ढंग से अपनी बची हुई संपत्ति का उपयोग करते हैं, उतनी ही उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत और लचीली बनती जाती है। लक्ष्य सिर्फ पूँजी बढ़ाना नहीं, बल्कि उसे जीवन के बदलते जरूरतों के अनुरूप बनाए रखना भी है।
निवेश यात्रा की शुरुआत उस चरण से होती है जहां व्यक्ति SIP के माध्यम से इक्विटी या हाइब्रिड योजनाओं में लंबे समय तक नियमित निवेश करता है। समय के साथ यह राशि धीरे-धीरे एक बड़े कोष का रूप लेती है। जब यह कोष तैयार हो जाता है, तो इसे एकमुश्त निकाला जा सकता है या कम जोखिम वाले डेट फंड या हाइब्रिड फंड में स्थानांतरित करके SWP के माध्यम से नियमित मासिक आय प्राप्त की जा सकती है। इस तरह, संपत्ति निर्माण से लेकर नियमित आय प्राप्त करने तक की प्रक्रिया सहज और सतत बनी रहती है।
भारत में वित्तीय जागरूकता के बढ़ने के साथ आज अधिक लोग अपनी योजनाबद्ध और अप्रत्याशित दोनों तरह की जरूरतों के लिए अग्रिम तैयारी की महत्ता समझ रहे हैं। भविष्य के प्रति तैयार रहना सिर्फ लक्ष्यों के लिए बचत करना नहीं, बल्कि जीवन के हर पड़ाव के लिए एक मजबूत योजना बनाना है। यही कारण है कि SIP + SWP का संयोजन आज निवेशकों की दीर्घकालिक वित्तीय योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है।
(लेखक ए. बालासुब्रमणियन, आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी लिमिटेड के एमडी एवं सीईओ हैं।)

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