Mutual Fund के मुनाफे पर कितना देना होता है टैक्स, क्या-क्या होते हैं चार्जिस?
आज हर निवेशक म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना चाहता है। इसका कारण है इसमें मिलने वाला रिटर्न। हालांकि ये रिटर्न शेयर मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और सोच रहे हैं पोर्टफोलियो में दिखने वाली रकम सारे मेरे खाते में आएगी तो आप पूरी तरह से गलत है।

नई दिल्ली। म्यूचुअल फंड जितना साधारण दिख रहा है, उतना है नहीं। म्यूचुअल फंड के आकर्षित लाभ को देखकर इसमें अप्लाई कर तो देते हैं, लेकिन इसके मुनाफे में लगने वाले चार्ज और टैक्स से अनजान रहते हैं।
आज हम खास तौर पर इसके टैक्स के बारे में बात करेंगे। हम देखेंगे कि म्यूचुअल फंड में होने वाली कमाई पर कितना टैक्स देना होता है।
कितना देना होता है टैक्स
क्योंकि म्यूचुअल फंड शेयर बाजार से जुड़ा हुआ है, तो इसमें होने वाली कमाई पर आपको टैक्स देना पड़ता है। शेयर बाजार के लाभ को फाइनेंशियल एसेट्स में गिना जाता है। म्यूचुअल फंड पर लगने वाला टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितने समय के लिए निवेश किया है।
इस समय सीमा पर STCG (Short Term Capital Gains Tax ) और LTCG (Long Term Captial Gain) तय होता है।
अगर आपने 12 महीने या उससे कम समय पर ये मुनाफा कमाया है, तो उस पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। मसलन अगर इन 12 महीनों में आपने 1000 रुपये कमाया, तो 200 रुपये टैक्स के रूप में देने होंगे।
ऐसे ही अगर ये समय सीमा 12 महीने से ज्यादा हुआ, तो आपको एलटीसीजी टैक्स देना होगा। ये 12.5 फीसदी लगता है। 12 महीने से ज्यादा होने वाले मुनाफे पर 1.25 लाख टैक्स फ्री होता है।
इस तरह से म्यूचुअल फंड की कमाई पर टैक्स लगता है। टैक्स के अलावा भी आपको इसमें कई तरह के चार्जिस देने होते हैं।
एग्जिट लोड (Exit load)
निवेशक जब भी किसी भी म्यूचुअल फंड से निकासी करते हैं, तो उसे एग्जिट लोड भरना होता है। ये एग्जिट लोड एएमसी कंपनी द्वारा तय किया जाता है। जब भी आप किसी म्यूचुअल फंड में निवेश करने जाते हैं, तो उसी समय आपको ये पता लग जाएगा कि उस फंड में कितना एग्जिट लोड लग रहा है।
हालांकि अगर कोई निवेशक एक साल से पहले फंड से एग्जिट करता है, तब उसे ये चार्ज देना पड़ता है। एक साल बाद एग्जिट या निकासी करने पर आपको कोई चार्ज नहीं देना पड़ता।
ट्रांजेक्शन चार्ज (Transaction Charges)
ये चार्ज निवेशकों को एक बार जरूर भरना होता है। अगर कोई व्यक्ति 10 हजार या इससे ज्यादा का निवेश करता है, तो उसे ये चार्ज देना पड़ता है। इसकी रकम 100 रुपये से लेकर 150 रुपये तक हो सकती है। अगर निवेश रकम 10 हजार से कम होती है, तो उसे ये चार्ज नहीं देना होता।
एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio)
म्यूचुअल फंड मैनेजर द्वारा निवेशकों से फंड मैनेज करने के लिए Expense Ratio के नाम पर फीस ली जाती है। ये फीस एएमए कंपनी पर निर्भर करती है। Expense Ratio में म्यूचुअल फंड मैनेज करने से लेकर उसे चलाने तक हर तरह की कोस्ट शामिल की जाती है।
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