मोदी सरकार ने बनाया प्लान, टैरिफ से निपटने के लिए खोलेगी ₹25000 करोड़ का खजाना; MSME को मिलेगा फायदा
Trump Tariff केंद्र सरकार 2025 से 2031 तक निर्यातकों को लगभग 25000 करोड़ रुपये की सहायता देने पर विचार कर रही है। वाणिज्य मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय की व्यय वित्त समिति को प्रस्ताव भेजा है। इसका उद्देश्य निर्यातकों को आसान ऋण उपलब्ध कराना है। इस सहायता से निर्यातकों को वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से बचाने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली। ट्रंप टैरिफ से निपटने के लिए मोदी सरकार ने प्लान बनाया है। इस प्लान के तहत सरकार निर्यातकों को 25 हजार करोड़ रुपये की सहायता देने पर विचार कर रही है।
केंद्र सरकार बजट में घोषित निर्यात संवर्धन मिशन के तहत वर्ष 2025 से 2031 तक के लिए निर्यातकों को लगभग 25,000 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करने वाले उपायों पर विचार कर रही है
सूत्रों ने बताया कि इसका इस मुख्य उद्देश्य निर्यातकों को आसान और किफायती ऋण उपलब्ध कराना है। वाणिज्य मंत्रालय ने यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय की व्यय वित्त समिति (ईएफसी) के पास भेजा है।
टैरिफ से निपटने के लिए सरकार ने बना लिया प्लान?
यदि इन उपायों को मंजूरी मिल जाती है तो ये भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी शुल्क से उत्पन्न होने वाली वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं से बचाने में मदद कर सकते हैं। ईएफसी से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद वाणिज्य मंत्रालय केंद्रीय मंत्रिमंडल से संपर्क करेगा।
MSME उद्योग को होगा फायदा
प्रस्तावित मिशन का उद्देश्य अगले छह वर्षों में व्यापक, समावेशी और टिकाऊ निर्यात वृद्धि को बढ़ावा देना है। इसके तहत पारंपरिक तरीकों से आगे जाकर उन प्रमुख बाधाओं को दूर करने के नए उपाय खोजे जाएंगे, जिनका सामना भारतीय निर्यातक खासकर एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) करते हैं।
निर्यातकों को मिल सकती आर्थिक मदद
सूत्रों के मुताबिक, इस मिशन को दो उप-योजनाओं के जरिए लागू करने का प्रस्ताव है जिसमें निर्यात प्रोत्साहन (10,000 करोड़ रुपये से अधिक) और निर्यात दिशा (14,500 करोड़ रुपये से अधिक) शामिल हैं।
कितनी दी जा सकती है राशि
सरकार निर्यात प्रोत्साहन योजना के तहत जिन मुख्य बातों पर विचार कर रही है, उनमें अगले छह वित्त वर्षों के लिए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का ब्याज समानीकरण शामिल है।
इसी तरह, निर्यात दिशा योजना के तहत निर्यात के गुणवत्ता मानकों के पालन के लिए लगभग 4,000 करोड़ रुपये, विदेशी बाजारों के विकास के लिए 4,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि दी जा सकती है।
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