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    क्या है वैट

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    Updated: Tue, 06 Oct 2015 09:20 AM (IST)

    मूल्यवर्धित कर यानी वैट किसी उत्पाद या सेवा के वर्धित मूल्य पर लगाया गया अप्रत्यक्ष कर है। सुविधा की खातिर टैक्स आधार की लाभ व मजदूरी की कुल राशि के तौर पर सीधे गणना नहीं की जाती है, लेकिन परोक्ष रूप से बेची गई वस्तुओं व सेवाओं और खरीदी गई

    मूल्यवर्धित कर यानी वैट किसी उत्पाद या सेवा के वर्धित मूल्य पर लगाया गया अप्रत्यक्ष कर है। सुविधा की खातिर टैक्स आधार की लाभ व मजदूरी की कुल राशि के तौर पर सीधे गणना नहीं की जाती है, लेकिन परोक्ष रूप से बेची गई वस्तुओं व सेवाओं और खरीदी गई वस्तुओं एवं सेवाओं के बीच अंतर के रूप में की जाती है।

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    यद्यपि वैट की गणना व अदायगी वैट दाता (ज्यादातर कंपनियां हैं, लेकिन वे वास्तविक व्यक्ति भी हो सकते हैं) के रूप में पंजीकृत व्यक्तियों द्वारा बजट में की जाती है। वैट आखिर में वस्तु या सेवा का अंतिम उपभोक्ता ही चुकाता है। यही कारण है कि वैट को उपभोग कर भी कहा जाता है।

    वैट अपेक्षाकृत एक नया कर है, जिसे 1960 के दशक में यूरोप में लगाया गया था। इस कर को शुरू करने की संभावनाओं पर विचार करते वक्त इरादा यह था कि इसका इस्तेमाल लाभ कर की जगह किया जाए, क्योंकि आर्थिक अर्थों में यह उसी कर आधार पर लगता है, जिस पर आय और लाभ कर।

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