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    TDS Vs TCS: टैक्स भरने से पहले समझ लें टीसीएस और टीडीएस का पूरा गणित, चूक गए तो हो सकता है नुकसान

    By Sonali SinghEdited By: Sonali Singh
    Updated: Wed, 01 Mar 2023 07:34 PM (IST)

    Difference Between TDS and TCS हम सभी ने TDS या TCS का भुगतान जरूर किया होगा या इनके बारे में सुना होगा। इनकम और सेल के स्रोत से कटने वाले इन टैक्स के बारे में विस्तार से जानने के लिए नीचे पढ़ें । (जागरण फोटो)

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    Difference Between TDS and TCS: See Penalty, Rate, Payment Details

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अगर आप एक करदाता है तो आपने TDS के बारे में जरूर सुना होगा, जिसे आपके आय के सोर्स से काटा जाता है। इसी तरह की एक और टैक्स कटौती की जाती है, जिसे TCS कहा जाता है। ये दोनों सरकार के लिए मुख्य आय के स्रोत जैसे हैं। करदाता के लिए ये इनकम टैक्स के भुगतान में लगने वाली पेनल्टी से बचाते हैं। पर क्या आपको पता है कि इन दोनों में क्या अंतर है? 

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    क्या हैं TDS और TCS?

    TDS का मतलब होता है टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स, यानी कि किसी भी स्रोत पर टैक्स की कटौती। आयकर विभाग किसी भी कंपनी या व्यक्ति को स्रोत पर कर कटौती करने के लिए बाध्य करता है। टीडीएस की दरें सरकार द्वारा आयकर अधिनियम के तहत तय की जाती हैं। इसमें टीडीएस काटने वाली कंपनी या व्यक्ति को डिडक्टर कहा जाता है, जबकि भुगतान प्राप्त करने वाली कंपनी या व्यक्ति को डिडक्टी कहा जाता है।

    TCS यानी कि टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स,  विक्रेता द्वारा किसी भी माल पर लगाया जाने वाला कर है। माल की बिक्री पर टीसीएस की सीमा 50 लाख रुपये है।

    इन चीजों पर होता लागू

    टीडीएस मुख्य रूप से ब्याज, वेतन, ब्रोकरेज, प्रोफेशनल फीस, कमीशन, सामान की खरीद, किराया जैसी चीजों पर लागू होता है। वहीं, टीसीएस टिम्बर, स्क्रैप, खनिज, शराब, तेंदू पत्ता, वनोपज, कार और टोल टिकट की बिक्री पर लागू होता है। ये दोनों 50 लाख रुपये से ऊपर की खरीद-बिक्री पर लागू होते हैं।

    रेट

    रेट के मामले में TCS और TDS दोनों पर ही 50 लाख रुपये से अधिक की खरीद-बिक्री पर 0.1% का भुगतान करना पड़ता है।

    भुगतान का समय

    TDS की कटौती भुगतान के ड्यू डेट या भुगतान का समय, दोनों में जो पहले हो, किया जाता है। वहीं, TCS विक्रेता के द्वारा माल की बिक्री के समय किया जाता है।

    कब होता है भुगतान?

    टीडीएस जमा करने की समय हर महीने की 7 तारीख है, जबकि टीडीएस रिटर्न तिमाही में जमा करना होता है। दूसरी तरफ, जिस महीने में आपूर्ति की जाती है उसी महीने के दौरान टीसीएस का भुगतान किया जाता है और महीने के खत्म होने से 10 दिन के भीतर सरकार के खाते में जमा कर दिया जाता है।

    लगने वाला पेनल्टी 

    TDS के भुगतान में अगर करदाता विफल रहता है या रिटर्न सही ढंग से फाइल नहीं किया गया है तो धारा 271एच कटौतीकर्ता/संग्राहक पर न्यूनतम 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। वहीं, आयकर अधिनियम की धारा 201(1ए) टीडीएस की गैर-कटौती के लिए 1.5% प्रति माह की दर से ब्याज काटा जाता है।