बिजनेस या प्रोफेशन से आय पर कर
आकलन वर्ष 2013-14 के लिए रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। कॉरपोरेट सेक्टर के लिए ऑडिट के साथ रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 30 सितंबर, 2013 तय की गई है। पांच लाख रुपये से अधिक आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं के लिए ई-रिटर्न भरना जरूरी कर दिया गया है। अगर आपकी अ
आकलन वर्ष 2013-14 के लिए रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है। कॉरपोरेट सेक्टर के लिए ऑडिट के साथ रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 30 सितंबर, 2013 तय की गई है। पांच लाख रुपये से अधिक आय वाले व्यक्तिगत करदाताओं के लिए ई-रिटर्न भरना जरूरी कर दिया गया है। अगर आपकी आय किसी कारोबार अथवा प्रोफेशन के हो रही है तो हो सकता है कि आपको आइटीआर-3, आइटीआर-4 अथवा आइटीआर-4एस भरना पड़े। आइटीआरयह फॉर्म उन आयकर दाताओं के लिए है जो किसी फर्म में पार्टनर हैं और जिन्हें कोई बिजनेस या प्रोफेशनल से अलग से आमदनी नहीं हो रही है।
यह किन करदाताओं पर लागू होगा:
हिंदू अविभाजित परिवार या व्यक्तिगत तौर पर जो किसी फर्म में पार्टनर हैं और उनकी आमदनी व्यवसाय या पेशे से हुई आय या लाभ कर योग्य हो।
यह किन पर लागू नहीं होगा:
जिन करदाताओं को पिछले साल की कुल आमदनी में खुद के कारोबार या पेशे से हुई आय शामिल हो, आइटीआर-3 वैसे करदाताओं के लिए नहीं है।
आइटीआर-4:
बिजनेस अथवा प्रोफेशन से होने वाली आय के लिए आपको आइटीआर-4 भरना अनिवार्य है। कुल आय की गणना करते वक्त आपको सैलरी, प्रॉपर्टी, बिजनेस, प्रोफेशन और अन्य स्नोतों से होने वाली आय को शामिल करना जरूरी है। आइटीआर-3 और आइटीआर-4 भरते वक्त इस साल के लिए एक नया नियम यह है कि आपको 25 लाख से ज्यादा आमदनी होने पर अपने प्रॉपर्टी, कैश बैलेंस, बैंक डिपॉजिट, शेयरों में निवेश, जेवरात, गाड़ियों आदि की पूरी जानकारी आयकर विभाग को देनी जरूरी है।
कारोबार से होने वाले फायदे अथवा नुकसान के असर को आमदनी में शामिल करते हुए आपको अपनी कर योग्य आय की गणना करनी चाहिए
आइटीआर-4एस :
व्यक्तिगत करदाता अथवा अविभाजित हिंदू परिवार के सदस्य, जिन्होंने आयकर की धारा 44एडी और 44एई के तहत कर अदायगी के विकल्प को चुना है। ये धाराएं अनुमानित कर अदायगी से संबंधित हैं।
आप सुगम फॉर्म भरेगें अगर..
-कारोबार या पेशे से हो रही है आमदनी
-सैलरी अथवा पेंशन से हो रही है आय
-एक ही प्रापर्टी से हो रही है आमदनी
-अन्य स्नोत से
उनके लिए नहीं है यह फॉर्म:
-ऐसे करदाता जिनकी संपत्तिभारत से बाहर हो या फिर बाहर की किसी कंपनी के साथ उनका हित जुड़ा हुआ हो या भारत के बाहर किसी भी खाते में साइनिंग अथॉरिटी हो
-वैसे करदाता जो दोहरे कराधान छूट का दावा कर रहे हों, उन्हें आइटीआर-4 एस नहीं भरना चाहिए
-जिन करदाताओं की कर छूट वाली आमदनी 5,000 रुपये से अधिक है, उन्हें फॉर्म संख्या 4 में रिटर्न फाइल करना चाहिए
ध्यान दें:
-आपको रिटर्न के साथ कोई संलग्नक नहीं लगाना है
-फॉर्म 26 ए में अपने टीडीएस की डीटेल जरूर मैच कर लें
-अगर फॉर्म पर डिजिटल सिग्नेचर नहीं है तो आइटीआर भेजना न भूलें
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