जल्द जमा करें Tax-Saving Investments का प्रूफ, नहीं तो सैलरी से कट जाएगा पैसा; जानें पूरी डिटेल
Tax-saving proof submission कई लोग टैक्स कटौती का फायदा उठाने के लिए अलग-अलग योजनाओं में निवेश करते हैं। उस पर टैक्स डिडक्शन का लाभ लेते हैं। अगर आपने भी टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट किया है तो उसका प्रूफ डेडलाइन से पहले अपनी कंपनी के फाइनेंस डिपार्टमेंट के पास जमा कर दें। ऐसा न करने की स्थिति में आने वाले महीनों में आपकी सैलरी से अतिरिक्त पैसे काटे जा सकते हैं।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अगर आपने टैक्स बचाने के लिए निवेश किया है और उस पर टैक्स कटौती का लाभ लिया है, तो उसका प्रूफ जल्द अपने ऑफिस के फाइनेंस डिपार्टमेंट में जमा कर दें। अधिकतर कंपनियों ने टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट का प्रूफ सबमिट करने के लिए 15 जनवरी तक की डेडलाइन तय की है। आइए जानते हैं कि टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट का प्रूफ सबमिट करना क्यों जरूरी है और अगर आपने प्रूफ सबमिट नहीं किया, तो क्या होगा।
टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट क्या है?
इनकम टैक्स की पुरानी कर व्यवस्था (Old tax regime) में आपको कई तरह की टैक्स कटौती का लाभ मिलता है। इसमें आप सेक्शन 80सी के तहत एक दर्जन से अधिक योजनाओं में निवेश करके टैक्स बचा सकते हैं। इनमें पीपीएफ, ELSS और लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी जैसी स्कीमें शामिल हैं। आप दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। वहीं, सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ पॉलिसी के प्रीमियम पर डिडक्शन क्लेन करने की इजाजत है।
टैक्स-सेविंग प्रूफ जमा करना क्यों जरूरी है?
दरअसल, कंपनियां कर्मचारियों की सैलरी से हर महीने TDS काटती हैं। कर्मचारी हर वित्त वर्ष की शुरुआत में अपनी कंपनी को बताते हैं कि वे टैक्स बचाने के लिए किन योजनाओं में निवेश कर रहे हैं या करने वाले हैं। कंपनियां उसी हिसाब उनकी सैलरी से टैक्स काटती हैं।
फिर जनवरी में वे कर्मचारियों से टैक्स-सेविंग स्कीम में निवेश का प्रूफ मांगती हैं। इसके आधार पर कर्मचारी के पूरे वित्त वर्ष के टैक्स का कैलकुलेशन होता है। फिर कंपनियां उसी हिसाब से सैलरी से पैसा काटकर वित्त वर्ष खत्म होने से पहले यानी 31 दिसंबर तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास जमा करती हैं।
टैक्स-सेविंग प्रूफ सबमिट नहीं किया तो क्या होगा?
अगर आपने 15 जनवरी या कंपनी की तय डेडलाइन से पहले टैक्स-सेविंग का इन्वेस्टमेंट का प्रूफ नहीं जमा किया, तो आपको आपकी सैलरी से पैसे कट सकते हैं। दरअसल, कंपनी का फाइनेंस डिपार्टमेंट आपकी निवेश योजना के हिसाब से टीडीएस काटता है।
अगर आपने टैक्स बचाने वाले योजना में निवेश नहीं किया है, तो आपकी सैलरी से कंपनी ज्यादा टैक्स काटेगी। ये पैसे जनवरी, फरवरी और मार्च की सैलरी से काटे जाएंगे। इसलिए अगर आप सैलरी से ज्यादा नहीं कटाना चाहते, तो डेडलाइन से पहले टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट का प्रूफ जमा कर दें।
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