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Old and New Tax Regime: टैक्स रिजीम चुनने में न करें लापरवाही, इन लोगों को एक ही बार मिलेगा मौका

Old And New Tax System Selection नई या पुरानी कर व्यवस्था का चुनाव करते समय सावधानी बरतनी जरूरी है। आयकर नियमों के तहत कुछ करदाताओं को केवल एक बार टैक्स व्यवस्था चुनने का मौका दिया जाएगा। (फोटो-जागरण फाइल)

By Sonali SinghEdited By: Sonali SinghPublished: Wed, 26 Apr 2023 08:00 PM (IST)Updated: Wed, 26 Apr 2023 08:28 PM (IST)
Old and New Tax Regime: टैक्स रिजीम चुनने में न करें लापरवाही, इन लोगों को एक ही बार मिलेगा मौका
Old Or New Tax Slab Selection, These People Won't Get Second Chance

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Tax Slab 2023: बजट 2023 में वित्तीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए टैक्स रिजीम (New Tax Regime) की पेशकश की थी, जिसमें करदाताओं को ज्यादा लाभ देने के लिए टैक्स स्लैब में बदलाव किए गए थे।

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नई व्यवस्था के तहत एक और नियम में बदलाव किया गया था, जिसमें यह व्यवस्था डिफॉल्ट रूप से लागू की गई थी। यानी अब पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime) में आने के लिए करदाताओं को आवेदन देना होगा। वहीं, अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो नई कर व्यवस्था खुद-ब-खुद लागू हो जाएगी।

ऐसे में सवाल उठता है कि कोई करदाता कितनी बार अपने टैक्स सिस्टम को बदल सकता है? जानकारी के लिए आपको बता दें कि आयकर अधिनियम के तहत कुछ दाताओं को इसे एक से ज्यादा बार बदलने की सुविधा मिलती है, जबकि कुछ दाता अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बार नए या पुराने टैक्स रिजीम (New And Old Tax Regime 2023) का चुनाव कर सकते हैं। तो चलिए इन नियमों के बारे में जानते हैं।

इन लोगों को मिलता है बदलने का मौका

आयकर अधिनिम के तहत वेतनभोगियों करदाताओं को कई बार टैक्स व्यवस्था को चुनने का मौका मिलता है। हालांकि, एक वित्तीय वर्ष में केवल एक ही व्यवस्था का चुनाव किया जा सकता है और साल की समाप्ति तक इसमें बने रहना पड़ता है। ऐसे में अगर कोई वेतनभोगी इस वित्तीय वर्ष में पुरानी व्यवस्था में रहता है, तो अगले वित्तीय वर्ष में वह चाहे तो नई व्यवस्था में जा सकता है।

कर्मचारियों को बताना होगा इन्टरेस्ट

आयकर विभाग की ओर से जारी सूचना के आधार पर कंपनियां अपनी मर्जी से अपने कर्मचारियों के लिए नई या पुरानी व्यवस्था का चुनाव नहीं कर सकती है। इसके लिए उन्हें कर्मचारियों की राय जानना जरूरी है। अगर आप किसी कंपनी में काम करते हैं तो इस बात की संभावना है कि आपके नियोक्ता ने भी मैसेज या मेल के जरिए टैक्स चुनाव की जानकारी देने के लिए कहा हो।

इनको मिल रहा सिर्फ एक बार मौका

अगर आप एक नॉन-सैलरीड पर्सन हैं, तो आप टैक्स व्यवस्था को चुनने का सिर्फ एक ही मौका दिया जाएगा। यानी कि वैसे करदाता, जिनकी इनकम व्यवसाय (Income From Business) या फिर पेशे (Income From Profession) से होती है, उन्हें एक ही बार में नई या पुरानी व्यवस्था को चुनना होगा।

 


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