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    ऑफर फॉर सेल प्रक्रिया कैसे पूरी होती है?

    ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) शेयरों की बिक्री का ही तरीका है। यह पहले से लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटरों को आसानी से शेयर इश्यू करने का रास्ता देता है। यह इश्यू मौजूदा शेयरधारकों के बीच ही जारी होता है। यह कई बार न्यूनतम शेयर इश्यू से जुड़े नियमों के पालन के

    By Edited By: Updated: Mon, 09 Feb 2015 06:10 AM (IST)

    ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) शेयरों की बिक्री का ही तरीका है। यह पहले से लिस्टेड कंपनियों के प्रमोटरों को आसानी से शेयर इश्यू करने का रास्ता देता है। यह इश्यू मौजूदा शेयरधारकों के बीच ही जारी होता है। यह कई बार न्यूनतम शेयर इश्यू से जुड़े नियमों के पालन के लिए करना पड़ता है। इसके अलावा बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की 200 सबसे बड़ी कंपनियों को भी ओएफएस की छूट है। खुदरा निवेशकों के अलावा म्यचुअल फंड निवेशक, विदेशी संस्थागत निवेशक, बीमा कंपनियां, कॉरपोरेट, एनआरआइ समेत हर तरह के निवेशकों को यह जारी किया जा सकता है।

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    सेबी के नियमों के मुताबिक जो भी कंपनी ओएफएस जारी करना चाहती है उसे इश्यू के दो दिन पहले इसकी सूचना देनी पड़ती है। एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों को भी इसके बारे में अलग से सूचना जारी करनी पड़ती है। एनएसई के वेबसाइट पर भी जानकारी देनी होती है। निवेशक एनएसई के मौजूदा कारोबारी सदस्यों के जरिये ओएफएस प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं। निवेशक को उक्त कारोबारी सदस्यों यह जानकारी देनी होगी कि उसे कितने शेयरों की खरीद करनी होती है इसकी जानकारी देनी होती है।

    साथ ही किस कीमत पर वह शेयर खरीदना चाहते हैं उसकी भी जानकारी उपलब्ध करानी होती है। इसके आधार पर निवेशक को निविदा करनी होती है। उसे शेयर मिलेगा या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि अंतिम निविदा में कंपनी ने ओएफएस के लिए क्या कीमत तय की है। साथ ही ओएफएस के लिए कितने प्रस्ताव आए हुए हैं, इससे भी यह तय होता है कि निवेशकों के बीच कितने शेयरों की बिक्री हुई है।

    एक बात और ध्यान रखने वाली है कि ओएफएस प्रक्रिया में वे निवेशक ही भाग ले सकते हैं जिन्होंने शेयर ब्रोकर के साथ पंजीयन करा रखा हो। अगर वह पहले से ही पंजीकृत निवेशक है तो फिर कोई और कागजात देने की जरूरत नहीं होती। ओएफएस कारोबार के तहत यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि यहां सिर्फ शेयरों की खरीद होती है आप शेयरों की बिक्री नहीं कर सकते। सेबी के नियम स्पष्ट हैं कि ओएफएस के तहत पंजीकृत निवेशक जितने चाहे उतने शेयरों की खरीदने का प्रस्ताव कर सकता है।

    वह चाहे तो एक शेयर खरीदने की भी निविदा कर सकता है। सेबा के नियमों के मुताबिक कंपनी को 10 फीसद शेयर खुदरा निवेशकों के बीच, 25 फीसद शेयर म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों के बीच करना अनिवार्य है। जिस दिन ओएफएस कंपनी जारी करती उसी दिन शाम को सभी निवेशकों को इस बारे में सूचना दे दी जाती है।

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