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    लंबा चल सकता है गिरावट का दौर

    By Edited By:
    Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)

    बाजार शुक्रवार को बुरी तरह से पिटे। सेंसेक्स में यह चार साल की सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी का 234 और सेंसेक्स का 76 ...और पढ़ें

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    बाजार शुक्रवार को बुरी तरह से पिटे। सेंसेक्स में यह चार साल की सबसे बड़ी गिरावट है। निफ्टी का 234 और सेंसेक्स का 769 अंक लुढ़कना साफ संकेत दे रही है कि गिरावट का दौर लंबे वक्त तक रह सकता है। डॉलर के मुकाबले रुपया 62 के स्तर के नीचे आया, क्योंकि आरबीआइ के नियंत्रण के फैसलों ने बाजार में पैनिक का माहौल पैदा कर दिया। विदेशी पूंजी को निकलने की एक और खिड़की अमेरिका में खुली दिखाई दी। वहां पर बेरोजगारी के आंकड़ों में कमी आई तो निवेशकों को लगा कि अब पक्के तौर पर फेडरल रिजर्व अपनी बांड खरीद योजना को जल्दी ही वापस लेगा। ऐसे में डॉलर की सप्लाई में कमी इसे और मजबूत बना सकती है। अनुमान है कि सितंबर से ही फेड रिजर्व बांड खरीद योजना को धीरे-धीरे समेटना शुरू कर सकता है। इससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में एफआइआइ निवेश में कमी आने के आसार हैं। अभी तक भारतीय इक्विटी और डेट बाजार से 11.6 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा की निकासी हो चुकी है।

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    सरकार और आरबीआइ ने रुपये को संभालने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन असर न के बराबर दिखा। निकट भविष्य में 63 का स्तर भी पार होता दिख रहा है। इससे भारत के कच्चे तेल के आयात बिल पर दबाव बढ़ेगा, जिसकी 110 डॉलर प्रति बैरल की कीमत यकीनन अच्छी खबर नही है। सरकार सोने के आयात पर तो पाबंदी लगा सकती है, लेकिन कच्चे तेल, लौह अयस्क, फर्टिलाइजर और कोयले के आयात पर नहीं, क्योंकि इन पर लगाम लगाने से विकास दर ही प्रभावित होगा।

    गिरते तारे

    निफ्टी में 6000 और 6100 के स्तर ने बाजार को उलझा कर रख दिया था। कई छोटे व मझोले शेयर अपने 2008 की कीमतों के आसपास तक पहुंच चुके थे। सूचकांक की तेजी में निवेशक भूल गया कि यह तस्वीर बाजार की अधूरी कहानी ही पेश करता है। कुछ निजी बैंक, आइटी कंपनियों, फार्मा और एफएमसीजी शेयरों ने बाजार को हवा दी थी, जो अब जमीन पकड़ते नजर आ रहे हैं। अगर एफआइआइ पैसा निकालना जारी रखते हैं तो उनकी ज्यादा हिस्सेदारी वाले शेयर जैसे कि डॉ. रेड्डीज, एचडीएफसी, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस, इंफोसिस, एचसीएल टेक में गिरावट संभव है। बैंकिग शेयरों के पांव शुक्रवार के तूफान में सबसे ज्यादा उखड़े, लेकिन मेटल्स, रीयल एस्टेट, पीएसयू शेयर पर भी मार कम नहीं पड़ी। सोने के आयात से जुड़े शेयर भी पिटे। अब तो शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र बचा है, जहां गिरावट न आने की संभावना हो।

    भयाक्रांत भविष्य

    अभी गिरावट का दौर खत्म नहीं हुआ। 5500 का स्तर तोड़ने के बाद निफ्टी अब 5200 के करीब जाने को तैयार है। तो अभी कैश में रहना ही समझदारी है और निवेश के चक्रव्यूह में न फंसे तो बेहतर है। कुछ ब्लूचिप कंपनियां और बैंक कीमतों के लिहाज से आकर्षक जरूर हैं, लेकिन लालच में न पड़ें। ट्रेडर्स अगस्त और सितंबर सीरीज को शॉर्ट कर सकते हैं।

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