Move to Jagran APP

Income Tax System में नई सुधार घोषणाओं से करदाताओं पर क्या पर पड़ेगा असर? जानिए एक्सपर्ट की राय

Income Tax Reform जांच मामलों का चयन यादृच्छिक रूप से होगा और ऑटो मोड में होगा तो इससे आयकर अधिकारी जांच मामले चुनने में मनमानी नहीं कर पाएंगे। PC Pixabay

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 09:49 AM (IST)Updated: Sun, 16 Aug 2020 09:55 AM (IST)
Income Tax System में नई सुधार घोषणाओं से करदाताओं पर क्या पर पड़ेगा असर? जानिए एक्सपर्ट की राय
Income Tax System में नई सुधार घोषणाओं से करदाताओं पर क्या पर पड़ेगा असर? जानिए एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली, पवन जायसवाल। आयकर व्यवस्था (Income Tax System) को आसान बनाने और करदाताओं के मन से कर विभाग का डर कम करने की दिशा में प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को कई घोषणाएं कीं। प्रधानमंत्री ने फेसलेस असेसमेंट, टैक्सपेयर चार्टर और फेसलेस अपील जैसे प्रमुख आयकर सुधारों की घोषणाएं की हैं। साथ ही पीएम ने नया आयकर प्लेटफॉर्म 'ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन, ऑनरिंग द ऑनेस्ट' (पारदर्शी कराधान-ईमानदार को सम्मान) भी लॉन्च किया। फेसलेस असेसमेंट और टैक्सपेयर चार्टर गुरुवार से लागू हो गए हैं और फेसलेस अपील की व्यवस्था 25 सितंबर से लागू होगी। इन सुधार उपायों का बड़ा फायदा यह होगा कि अब आयकर अफसरों की प्रताड़ना रुकेगी और मिलीभगत नहीं हो सकेगी। पीएम द्वारा घोषित इन आयकर सुधार उपायों से आयकर व्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा, इस बारे में दैनिक जागरण ने अपनापैसा डॉट कॉम के चीफ एडिटर और टैक्स एवं इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन के साथ बात की। आइए जानते हैं कि उन्होंने क्या कहा।

loksabha election banner

प्रश्न- फेसलेस असेसमेंट की शुरुआत हमारी टैक्स व्यवस्था में किस तरह के बदलाव लाएगी?

उत्तर- फेसलेस असेसमेंट (Faceless Assessment) की अवधारणा साल 2019 में ई-असेसमेंट के रूप में लायी गई थी। अब फेसलेस असेसमेंट 'पारदर्शी कराधान-ईमानदार को सम्मान' प्लेटफॉर्म के तहत सभी असेसमेंट्स के लिए लागू किया जा रहा है। फेसलेस असेसमेंट के तहत करदाता और कर अधिकारी सीधे तौर पर एक-दूसरे के संपर्क में नहीं आएंगे। इसके अलावा जांच के मामलों की चयन प्रक्रिया भी ऑटो मोड में होगी और चयन डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से यादृच्छिक रूप से किया जाएगा। जांच मामलों के चयन और कम्युनिकेशन को भी केंद्रीकृत करना प्रस्तावित है। असेसेमेंट का कार्य विभिन्न यूनिट्स द्वारा होगा और यह एक टीम होगी ना कि कोई एक व्यक्ति। इससे एक अज्ञात प्रणाली पैदा होगा, जहां करदाता को यह पता नहीं चलेगा कि उसका अससेमेंट अधिकारी कौन है।

यह भी पढ़ें: FY19 के लिए ITR दाखिल करने में अब ना करें और देरी, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

प्रश्न- फेसलेस असेसमेंट की इस नई व्यवस्था से आम करदाताओं को क्या लाभ होगा?

उत्तर- जांच मामलों का चयन यादृच्छिक रूप से होगा और ऑटो मोड में होगा, तो इससे आयकर अधिकारी जांच मामले चुनने में मनमानी नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा असेमेंट प्रक्रिया भी विभिन्न हिस्सों में होगी और यह विभिन्न यूनिट्स द्वारा एक टीम के रूप में की जाएगी। इससे सिस्टम में भ्रष्टाचार तो कम होगा ही, करदाता का उत्पीड़न भी बंद हो जाएगा। हालांकि, बड़ी मात्रा में पेपर्स के ऑनलाइन होने के कारण प्रस्तुतीकरण के कार्यान्वयन में कुछ तकनीकी अड़चने आ सकती हैं

प्रश्न- टैक्सपेयर चार्टर क्या है और इसकी जरूरत क्यों थी?

उत्तर- टैक्सपेयर चार्टर (Taxpayer Charter) को नई चीज नहीं है। यह साल 2004 से पहले से अस्तित्व में था। मेरी राय में टैक्सपेयर चार्टर हमारे संविधान में निहित निदेशात्मक सिद्धांतों की तरह है, जो मौलिक अधिकारों की तरह लागू करने योग्य नहीं हैं। टैक्सपेयर चार्टर बहुत सामान्य शब्दों में करदाताओं को अधिकार और कर्तव्य प्रदान करता है। मेरी राय में टैक्सपेयर चार्टर का तब तक कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं दिखेगा, जब तक इसे आयकर अधिनियम और कानून के तहत लागू नहीं किया जाता।

प्रश्न- इस चार्टर से ईमानदार करदाताओं को किस तरह के अधिकार मिलेंगे?

उत्तर- मेरी राय में नया टैक्सपेयर चार्टर करदाताओं के जीवन में कोई महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला नहीं है। जब तक इसे कानूनी रूप से लागू नहीं किया जाता, तब तक यह एक केवल प्रदर्शन के लिए रखी गई किसी सजावटी वस्तु की तरह ही है। इससे पहले के टैक्सपेयर चार्टर्स का भी अनुपालन कम और उल्लघंन अधिक हुआ था।

प्रश्न- इस नयी व्यवस्था और कर प्रणाली में किए जा रहे इन सुधारों से क्या टैक्स बेस बढ़ेगा?

उत्तर- मेरी राय में यह सिस्टम करदाता आधार को बढ़ाने वाला नहीं है। समस्या हमारे समाज में है। चूंकि करदाता राजनेताओं को बेईमान समझते हैं और वे यह सोचते हैं कि उनके धन का सदुपयोग नहीं किया जाता है। जब तक हमारे समाज के व्यवहार में मूलभूत बदलाव नहीं आ जाता, तब तक कर भुगतान के लिए स्वैच्छिक रुप से आगे आना एक सपना ही है। हम उस समाज में हैं, जहां कर की चोरी कोई पाप या कलंक का विषय नहीं माना जाता। करदाता आधार को बढ़ाने के लिए पूरे समाज को एक बदलाव से गुजरना होगा। जनसंख्या नियंत्रण के संबंध में भी ठीक यही बात है।

प्रश्न- टैक्स सुधारों की कड़ी में अभी और किस तरह के रिफॉर्म किए जाने की जरूरत है?

उत्तर- कर सुधारों के मामले में जो सबसे महत्वपर्ण बात है, वह यह कि कर कानूनों का सरलीकरण हो। कर कानून वर्षों से इतने जटिल हैं कि आयकर अधिनियम के केवल एक सेक्शन में भी कई पेज भर जाते हैं। यहां तक की एक ही प्रावधान को पढ़ने पर दो चार्टर्ड अकाउंटेंट की अलग-अलग राय होगी। कानूनों को इतना जटिल बनाने के लिए केवल नौकरशाही जिम्मेदार है। इसके बाद वे कानूनों का दुरुपयोग करते हैं। सरकार को कुकर्मों पर दंड के लिए कर अधिकारियों को जिम्मेदार बनाने की आवश्यकता है।

अपना पैसा डॉट कॉम के चीफ एडिटर और टैक्स एवं इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.