Capital Gain कैलकुलेट करते समय इन बातों का रखें ध्यान, नहीं तो मिल सकता है Income Tax से नोटिस
Income Tax भरने के लिए सही कैपिटल गेन टैक्स का कैलकुलेशन करना जरूरी है। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जिनके बारे में हम इस रिपोर्ट में बताने जा रहे हैं। (फोटो - जागरण फाइल)
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। टैक्स की कैलकुलेशन करना एक पेचीदा विषय है। आपको अपने सभी स्रोतों से जैसे सैलरी, कैपिटल गेन और किराए के जरिए होने वाली आय को सही तरह से कैलकुलेट करके ही आईटीआर में शामिल करना चाहिए। आईटीआर में कैपिटल गेन सही कैलकुलेट करना बेहद जरूरी है। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि कैसे आप सही टैक्स कैलकुलेट कर सकते हैं?
कैपिटल गेन का क्लासिफिकेशन करें
सबसे पहले आपको कैपिटल गेन का सही तरह से क्लासिफिकेशन करना चाहिए। ट्रेडिंग गेन और इन्वेस्टमेंट से होने वाले फायदे को समझना चाहिए। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को अलग-अलग रखना चाहिए। कई बार लोग लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन को मिला देते हैं, जिस कारण सबसे ज्यादा टैक्स नोटिस मिलता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की छूट का उपयोग
अगर आपको एक वित्त वर्ष में एक लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन होता है तो वो छूट के दायरे में आता है। इसका मतलब यह है कि आपको किसी वित्त वर्ष में एक लाख रुपये तक का कैपिटल गेन होने पर ये राशि आपकी कर योग्य आय में से घटा दी जाती है।
संपत्ति की कीमत का सही आकलन
कई बार जब लोग प्रॉपर्टी आदि की बिक्री करत हैं तो लोगों को पुरानी उसकी सही कीमत के बारे में जानकारी नहीं होती है। इस कारण सही कैपिटल गेन का कैलकुलेशन करना मुश्किल हो जाता है। इस कारण आपको अपनी बेची गई संपत्ति पर कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेट करने के लिए पुरानी कीमत का सही पता होना चाहिए।
ऑफ मार्केट डील
कई ऐसे लेनदेन होते हैं जो ऑफ मार्केट किए जाते हैं। इनको आईटीआर में दिखाना बेहद जरूरी होता है। अगर ये छूट जाती है तो आपको टैक्स नोटिस मिल सकता है और फिर इनकम टैक्स जुर्माना और दूसरे चार्ज लगाता है।