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    Health Insurance लेने जा रहे हैं तो कभी न करें ये पांच गलतियां, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान

    By Siddharth PriyadarshiEdited By:
    Updated: Fri, 02 Sep 2022 06:06 PM (IST)

    Health Insurance हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते समय लोग कम प्रीमियम के लालच में ज्यादा कीमत का कवर नहीं लेते हैं। किसी भी व्यक्ति को कम से कम 5 लाख रुपये और अपने परिवार के साथ 10 लाख रुपये का हेल्थ कवर लेना चाहिए।

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    Never make these five mistakes while Purchasing health insurance know the details

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आज के समय में हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) लेना जरूरी हो गया है। कोरोना के बाद लोगों ने इसके महत्व को समझा है और बड़ी संख्या में हेल्थ इंश्योरेंस लेकर अपने परिवार को सुरक्षित भी कर रहे हैं। लेकिन हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय लोग कुछ ऐसी गलतियां करते हैं, जो आगे चलकर भारी पड़ सकती हैं। हम आपको ऐसी ही पांच गलतियों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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    कॉर्पोरेट हेल्थ पॉलिसी के बाद पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस न लेना

    कॉर्पोरेट सेक्टर के कर्मचारियों के बीच एक सबसे बड़ी गलतफहमी होती है कि ग्रुप हेल्थ पॉलिसी मिलने के बाद उन्हें कोई और हेल्थ पॉलिसी की जरूरत नहीं है। यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि कंपनी की ओर से दी गई पॉलिसी केवल आपकी जॉब रहने या फिर कंपनी के साथ जुड़े रहने तक ही मान्य होती है। ग्रुप हेल्थ पॉलिसी में कवर भी आजकल के मेडिकल खर्च के मुकाबले कम होता है।

    ज्यादा कवर न लेना

    हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय लोग कम प्रीमियम के लालच में असर ये गलती करते हैं। किसी भी व्यक्ति को कम से कम 5 लाख रुपये और अपने परिवार के साथ 10 लाख रुपये का हेल्थ कवर लेना चाहिए।

    हेल्थ इंश्योरेंस जल्दी न लेना

    भारत में अकसर हेल्थ इंश्योरेंस लेने के लिए लोगों पर दबाव बनाना पड़ता है। इसका प्रभाव यह होता है कि देरी से हेल्थ इंश्योरेंस लेने के कारण प्रीमियम अधिक आता है। इस कारण से हेल्थ इंश्योरेंस 30 की उम्र से पहले लेना अच्छा माना जाता है।

    कंपनी को पुरानी बीमारियों के बारे में गलत जानकारी देना

    कई बार लोग कुछ प्रीमियम बचाने के अपनी पुरानी बीमारियों के बारे में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को पूरी जानकारी नहीं देते हैं। लेकिन हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद आपकी सारी रिपोर्ट्स हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के पास जाती है, जिसमें सारा सच सामने आ जाता है। ऐसे में हेल्थ पॉलिसी को व्यर्थ (Void) हो सकती है।

    पॉलिसी डाक्युमेंट को न पढ़ना

    हेल्थ पॉलिसी को पूरा न पढ़ना भी क्लेम के समय भारी पड़ सकता है। पॉलिसी में कई सारी शर्ते होती है, जिनकी जानकारी कई बार इंश्योरेंस एजेंट को भी नहीं होती है। कुछ पॉलिसी में कई प्रकार की रूम लिमिट होती है। ऐसे में किसी भी पॉलिसी की प्रीमियम के आधार पर तुलना करते समय उसमें मिलने वाली सुविधाओं की भी तुलना करनी चाहिए।

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